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This Article is From Oct 01, 2020

प्रशांत भूषण ने एक रुपया जुर्माना की सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर की पुनर्विचार याचिका 

जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने प्रशांत भूषण के दो ट्वीट पर स्वत: संज्ञान लिया था और उन्हें अवमानना का नोटिस जारी किया था.

प्रशांत भूषण ने एक रुपया जुर्माना की सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर की पुनर्विचार याचिका 
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट की ओर से अवमानना केस में दोषी ठहराए गए वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan) ने 1 रुपया का जुर्माना भर दिया था. ऐसा नहीं करने पर उन्हें तीन महीने की जेल हो सकती थी. अब उन्होंने कोर्ट के उस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की है. शीर्ष अदालत ने 14 अगस्त को प्रशांत भूषण को न्यायपालिका के खिलाफ दो अपमानजनक ट्वीट के लिए आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया था और कहा था कि इन्हें जनहित में न्यापालिका के कामकाज की स्वस्थ आलोचना नहीं कहा जा सकता.

कोर्ट ने तब न्यायपालिका के खिलाफ दो ट्वीट के लिए दोषी ठहराए गए प्रशांत भूषण को 15 सितंबर तक शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री में जुर्माने की राशि जमा कराने का निर्देश दिया था. न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमुर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने प्रशांत भूषण को सजा सुनाते हुए कहा था कि जुर्माना राशि जमा नहीं करने पर उन्हें तीन महीने की साधारण कैद भुगतनी होगी और तीन साल तक उनके वकालत करने पर प्रतिबंध रहेगा.

अवमानना केस : प्रशांत भूषण ने जमा किया 1 रुपये जुर्माना, बोले - अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोंटा जा रहा

मामले में खंडपीठ ने कहा था कि अभिव्यक्ति की आजादी बाधित नहीं की जा सकती है लेकिन दूसरों के अधिकारों का भी सम्मान करना होगा. अपनी सफाई में प्रशांत भूषण ने कहा था कि मुख्य न्यायाधीश की आलोचना करने से सुप्रीम कोर्ट का अपमान नहीं होता है. भूषण ने ट्वीट मामले में अदालत से माफी मांगने से भी इनकार कर दिया था. अपने हलफनामे में भूषण ने यह भी कहा था कि सीजेआई को सुप्रीम कोर्ट मान लेना और सुप्रीम कोर्ट को सीजेआई मान लेना भारत के सर्वोच्च न्यायालय की संस्था को कमजोर करना है.

बता दें कि जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने प्रशांत भूषण के दो ट्वीट पर स्वत: संज्ञान लिया था और उन्हें अवमानना का नोटिस जारी किया था. भूषण ने अपने ट्वीट के जरिए देश के प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबड़े द्वारा बिना मास्क मोटरसाइकिल चलाने पर दो ट्वीट किए थे.

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