मुंबई:
आदर्श घोटाले में फंसे महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण भले ही अपने आप को पाक-साफ बताने की कोशिश कर रहे हों, लेकिन सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में पूर्व मुख्यमंत्री पर जो आरोप लगाए हैं, उनसे बच पाना उनके लिए काफी मुश्किल साबित होता दिख रहा है।
सीबीआई ने 10,000 पन्नों की चार्जशीट में अशोक चव्हाण पर आईपीसी की धारा 420 के अलावा साजिश रचने के भी आरोप लगाए हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने अपने रिश्तेदारों के फ्लैट खरीदने के लिए पैसे भरे, जो उन्होंने पुणे के बिल्डर जयंती शाह से लिए थे। चव्हाण ने 69 लाख रुपयों में अपनी सास भगवती शर्मा और चचिया ससुर मदनलाल शर्मा के लिए आदर्श में फ्लैट बुक करवाए थे।
सीबीआई का आरोप है कि चव्हाण ने नियमों को ताक पर रखकर अपने चचिया ससुर के लिए फ्लैट दिलवाया। सीबीआई ने अपनी जांच में पाया कि मदनलाल शर्मा का मुंबई के अंधेरी इलाके में एक फ्लैट था, जिसके चलते वह किसी भी सरकारी स्कीम के तहत फ्लैट नहीं पा सकते थे, लेकिन वर्ष 2010 में आदर्श मामले में ईडी की जांच की याचिका दायर करते ही चव्हाण ने यह पैसे लौटा दिए।
सीबीआई ने चार्जशीट में दावा किया कि चव्हाण ने पैसे 55 और 14 लाख की दो किस्तों में लौटाए। इतना ही नहीं, उन्होंने अपने मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान अपनी साली सीमा शर्मा को भी फ्लैट दिलाने की कोशिश की थी, लेकिन आदर्श सोसाइटी ने उनकी याचिका रद्द कर दी। सीबीआई का आरोप है कि चव्हाण ने ही आदर्श सोसाइटी में सिविलियन को शामिल करने की मांग की थी, ताकि उनके रिश्तेदारों को भी फ्लैट मिल सके।
आरोप है कि चव्हाण ने यह पेशकश साल 2000 में अपने राजस्व मंत्री के कार्यकाल के दौरान की थी। चव्हाण ने उसी दौरान मामले के दूसरे आरोपियों आरसी ठाकुर, एमएम वांछू और पूर्व कांग्रेसी कन्हैयालाल गिडवानी से भी मुलाकात की थी।
सीबीआई की चार्जशीट में 150 गवाहों के अलावा अलग-अलग विभागों के 161 कागजात को सबूत के तौर पर शामिल किया गया है। सीबीआई ने 29 जनवरी, 2011 को आदर्श घोटाले में एफआईआर दर्ज की थी, लेकिन पहली गिरफ्तारी मार्च, 2012 में ही कर पाए। उस वक्त तय समयसीमा के भीतर चार्जशीट दायर न कर पाने की वजह से सभी आरोपियों को जमानत मिल गई थी, और फिर सीबीआई ने 4 जुलाई, 2012 को 10,000 पन्नों की चार्जशीट दायर की।
सीबीआई ने 10,000 पन्नों की चार्जशीट में अशोक चव्हाण पर आईपीसी की धारा 420 के अलावा साजिश रचने के भी आरोप लगाए हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने अपने रिश्तेदारों के फ्लैट खरीदने के लिए पैसे भरे, जो उन्होंने पुणे के बिल्डर जयंती शाह से लिए थे। चव्हाण ने 69 लाख रुपयों में अपनी सास भगवती शर्मा और चचिया ससुर मदनलाल शर्मा के लिए आदर्श में फ्लैट बुक करवाए थे।
सीबीआई का आरोप है कि चव्हाण ने नियमों को ताक पर रखकर अपने चचिया ससुर के लिए फ्लैट दिलवाया। सीबीआई ने अपनी जांच में पाया कि मदनलाल शर्मा का मुंबई के अंधेरी इलाके में एक फ्लैट था, जिसके चलते वह किसी भी सरकारी स्कीम के तहत फ्लैट नहीं पा सकते थे, लेकिन वर्ष 2010 में आदर्श मामले में ईडी की जांच की याचिका दायर करते ही चव्हाण ने यह पैसे लौटा दिए।
सीबीआई ने चार्जशीट में दावा किया कि चव्हाण ने पैसे 55 और 14 लाख की दो किस्तों में लौटाए। इतना ही नहीं, उन्होंने अपने मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान अपनी साली सीमा शर्मा को भी फ्लैट दिलाने की कोशिश की थी, लेकिन आदर्श सोसाइटी ने उनकी याचिका रद्द कर दी। सीबीआई का आरोप है कि चव्हाण ने ही आदर्श सोसाइटी में सिविलियन को शामिल करने की मांग की थी, ताकि उनके रिश्तेदारों को भी फ्लैट मिल सके।
आरोप है कि चव्हाण ने यह पेशकश साल 2000 में अपने राजस्व मंत्री के कार्यकाल के दौरान की थी। चव्हाण ने उसी दौरान मामले के दूसरे आरोपियों आरसी ठाकुर, एमएम वांछू और पूर्व कांग्रेसी कन्हैयालाल गिडवानी से भी मुलाकात की थी।
सीबीआई की चार्जशीट में 150 गवाहों के अलावा अलग-अलग विभागों के 161 कागजात को सबूत के तौर पर शामिल किया गया है। सीबीआई ने 29 जनवरी, 2011 को आदर्श घोटाले में एफआईआर दर्ज की थी, लेकिन पहली गिरफ्तारी मार्च, 2012 में ही कर पाए। उस वक्त तय समयसीमा के भीतर चार्जशीट दायर न कर पाने की वजह से सभी आरोपियों को जमानत मिल गई थी, और फिर सीबीआई ने 4 जुलाई, 2012 को 10,000 पन्नों की चार्जशीट दायर की।
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