5 ताजा तस्वीरों में देखिए तबाही का मंजर, उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटने के बाद के हालात

Uttarakhand Glacier Disaster : ग्लेशियर टूटने के बाद आई भारी बाढ़ से हजारों लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया. सैकड़ों घरों को नुकसान पहुंचा. ऋषि गंगा और एनटीपीसी पॉवर प्रोजेक्ट क्षतिग्रस्त हो गया.

5 ताजा तस्वीरों में देखिए तबाही का मंजर, उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटने के बाद के हालात

Uttarakhand Disaster : आईटीबीपी और स्थानीय लोगों ने राहत एवं बचाव कार्य में जुटे

चमोली:

उत्तराखंड के जोशीमठ इलाके के तपोवन में नंदा देवी ग्लेशियर (Uttarakhand Glacier Burst) का एक हिस्सा टूटने से हुई तबाही में 10 लोगों की मौत और 170 से ज्यादा लोग लापता बताए जाते हैं. इस कारण चमोली जिले की अलकनंदा और धौलीगंगा नदी में रविवार सुबह भारी बाढ़ आई. ताजातरीन तस्वीरें बताती हैं कि तबाही का मंजर किस कदर भयावह था.

ग्लेशियर टूटने के बाद आई भारी बाढ़ से हजारों लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया. सैकड़ों घरों को नुकसान पहुंचा. ऋषि गंगा और एनटीपीसी पॉवर प्रोजेक्ट क्षतिग्रस्त हो गया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से फोन पर बातचीत की है और हालात की लगातार निगरानी भी वे कर रहे हैं. हालांकि सरकार का कहना है कि जलस्तर धीरे-धीरे सामान्य हो रहा है और निचले इलाकों में बाढ़ आने का कोई खतरा नहीं है.

उत्तराखंड के सीएम ने हर मृतक के परिवार वालों को 4 लाख रुपये की वित्तीय मदद का ऐलान किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मृतकों के परिजनों के लिए 2-2 लाख रुपये की अनुग्रह राशि की घोषणा की है.

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उत्तराखंड (Uttarakhand) के जोशीमठ (Joshimath) में बड़ा हादसा हुआ. चमोली जिले के तपोवन इलाके में रविवार को ग्लेशियर फटने (Glacier burst) से ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट को भारी नुकसान पहुंचा. ऋषिगंगा में अचानक आई भारी बाढ़ में ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट बह गया. ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट, जोशीमठ के क़रीब है. अब तक दस शव मिल चुके हैं. 7 लोगों को एक सुरंग से बचाया भी गया है. राहत और बचाव अभियान बड़े स्तर पर जारी है. 170 लोगों के फंसे होने की आशंका है.

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उत्तराखंड के चमोली में रविवार की सुबह 11 बजे अचानक ऋषिगंगा नदी का विकराल रूप दिखाई दिया. देखते ही देखते नदी ने अपने भयानक प्रवाह से रास्ते में पड़ने वाले ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट को तबाह कर दिया. 11 मेगावॉट के इस पावर प्रोजेक्ट में उस वक्त कई लोग पावर हाउस और सुरंग के आसपास काम में जुटे थे. इससे पहले कि वो संभल पाते, वो सभी नदी के प्रवाह में समा गए. सब कुछ इतनी तेज़ी से हुआ कि आसपास के लोगों की चेतावनी देने की कोशिशें नाकाम रहीं. 

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