नासिक:
नासिक और त्र्यंबकेश्वर में कुंभ मेले का दूसरा शाही स्नान रविवार को संपन्न हो गया। पवित्र गोदावरी में नासिक और त्र्यंबकेश्वर के कुशावर्त कुंड में वैष्णव और शैव मतों को मानने वाले साधु महंतों के अलावा लाखों श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई। पहले शाही स्नान की तुलना में इस बार प्रशासन ने भी भक्तों के लिए थोड़ी नरमी बरती, जिससे कुंभ मेले में लाखों की भीड़ आराम से स्नान करने में सफल रही।
अमावस्या के दिन दूसरा शाही स्नान था, रामकुंड में वैष्णव, तो त्र्यंबक के कुशावर्त में शैव मत को मानने वाले अखाड़े गोदावरी के पावन जल में डुबकी लगाने पहुंचे। नासिक में इस बार डुबकी लगाने का पहला मौका मिला निर्मोही अखाड़े को। फिर बारी आई दिगंबर अखाड़े की।
पहले शाही स्नान में पहले डुबकी लगाने वाले निर्वाणी अखाड़े का क्रम इस बार तीसरा था। शाही स्नान के वक्त सनातन परंपरा में शस्त्र और शास्त्र के ध्वजा रोहक पूरे आनंद में थे। तलवार भांजते, नारे लगाते, त्रिशूल लहराते, फूलों से सजी गाड़ियों के साथ साधु-महंत तपोवन के लक्ष्मीनारायण मंदिर से निकलकर शाही मार्ग होते हुए राम कुंड पर पहुंचे। उधर, त्र्यबकेश्वर के कुशावर्त में शैव संप्रदाय के साधु-महंतों ने डुबकी लगाई।
दूसरे शाही स्नान में प्रशासन के इंतजाम से साधु-महंत भी खुश दिखे। हरियाणा से आए महंत रामदास ने कहा कि पहले शाही स्नान में सब सूना-सूना लग रहा था, जिससे हम खुश नहीं थे, लेकिन इस बार प्रशासन ने अच्छा इंतजाम किया है। शाही स्नान पूरा होने के बाद देश के कोने-कोने से आए श्रद्धालुओं ने रामकुंड और कुशावर्त में डुबकी लगाई।
पहले शाही स्नान में प्रशासन ने 80 लाख लोगों के जुटने का दावा किया था, लेकिन उसकी सख्ती की वजह से 8 लाख लोग भी नासिक नहीं पहुंचे थे। इस बार श्रद्धालुओं को कुंभ तक लाने के लिए उसने नए सिरे से योजना बनाई।
कुंभ के प्रभारी मंत्री गिरीश महाजन ने एनडीटीवी से कहा कि हमसे पहले थोड़ी गलती हुई थी, लेकिन इस बार हमने नए सिरे से योजना बनाई और पुलिस एवं प्रशासन का पूरा सहयोग मिला। कोई भी श्रद्धालु आधा एक किलोमीटर से ज्यादा पैदल नहीं चल रहा है। पुलिसकर्मियों की तादाद 20 हजार के करीब ही है। बस हमने थोड़े बैरिकेड कम किए हैं और प्लानिंग में थोड़ा बदलाव किया है।
नासिक में अब शाही स्नान 18 सितंबर को है, जबकि त्र्यंबकेश्वर में 25 सितंबर को।
अमावस्या के दिन दूसरा शाही स्नान था, रामकुंड में वैष्णव, तो त्र्यंबक के कुशावर्त में शैव मत को मानने वाले अखाड़े गोदावरी के पावन जल में डुबकी लगाने पहुंचे। नासिक में इस बार डुबकी लगाने का पहला मौका मिला निर्मोही अखाड़े को। फिर बारी आई दिगंबर अखाड़े की।
पहले शाही स्नान में पहले डुबकी लगाने वाले निर्वाणी अखाड़े का क्रम इस बार तीसरा था। शाही स्नान के वक्त सनातन परंपरा में शस्त्र और शास्त्र के ध्वजा रोहक पूरे आनंद में थे। तलवार भांजते, नारे लगाते, त्रिशूल लहराते, फूलों से सजी गाड़ियों के साथ साधु-महंत तपोवन के लक्ष्मीनारायण मंदिर से निकलकर शाही मार्ग होते हुए राम कुंड पर पहुंचे। उधर, त्र्यबकेश्वर के कुशावर्त में शैव संप्रदाय के साधु-महंतों ने डुबकी लगाई।
दूसरे शाही स्नान में प्रशासन के इंतजाम से साधु-महंत भी खुश दिखे। हरियाणा से आए महंत रामदास ने कहा कि पहले शाही स्नान में सब सूना-सूना लग रहा था, जिससे हम खुश नहीं थे, लेकिन इस बार प्रशासन ने अच्छा इंतजाम किया है। शाही स्नान पूरा होने के बाद देश के कोने-कोने से आए श्रद्धालुओं ने रामकुंड और कुशावर्त में डुबकी लगाई।
पहले शाही स्नान में प्रशासन ने 80 लाख लोगों के जुटने का दावा किया था, लेकिन उसकी सख्ती की वजह से 8 लाख लोग भी नासिक नहीं पहुंचे थे। इस बार श्रद्धालुओं को कुंभ तक लाने के लिए उसने नए सिरे से योजना बनाई।
कुंभ के प्रभारी मंत्री गिरीश महाजन ने एनडीटीवी से कहा कि हमसे पहले थोड़ी गलती हुई थी, लेकिन इस बार हमने नए सिरे से योजना बनाई और पुलिस एवं प्रशासन का पूरा सहयोग मिला। कोई भी श्रद्धालु आधा एक किलोमीटर से ज्यादा पैदल नहीं चल रहा है। पुलिसकर्मियों की तादाद 20 हजार के करीब ही है। बस हमने थोड़े बैरिकेड कम किए हैं और प्लानिंग में थोड़ा बदलाव किया है।
नासिक में अब शाही स्नान 18 सितंबर को है, जबकि त्र्यंबकेश्वर में 25 सितंबर को।
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