प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने जीन संवर्धित (जीएम) सरसों की फसल को व्यावसायिक रूप से जारी करने पर दस दिन की रोक लगा दी है. शीर्ष अदालत ने केंद्र से कहा है कि इस तरह के बीजों को खेती के लिए जारी करने से पहले सार्वजनिक राय ले.
मुख्य न्यायाधीश टी एस ठाकुर तथा न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर की पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार केंद्र सरकार जीन संवर्धित सरसों की फसल को 17 अक्टूबर तक जारी नहीं करेगी. उसी दिन पीठ इस मामले पर विस्तार से सुनवाई करेगी.
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस बात पर सहमति दी कि इन बीजों को 17 अक्टूबर तक व्यावसायिक रूप से जारी नहीं किया जाएगा. इन्हें जारी करने से पहले सार्वजनिक रूप से विचार और सुझाव लिए जाएंगे और उन्हें आकलन समिति के समक्ष रखा जाएगा. सरसों देश की सर्दियों की प्रमुख फसल है, जिसकी बुवाई अक्टूबर मध्य से नवंबर अंत तक होती है.
मेहता ने कहा कि केंद्र को याचिका पर जवाब दाखिल करना होगा. उन्होंने इन आरोपों को खारिज किया कि इन बीजों की बुवाई बिना उचित परीक्षण के की गई है. याचिकाकर्ता अरुणा रॉड्रिग्यूज की ओर से उपस्थिति अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि केंद्र विभिन्न खेतों में इन बीजों की बुवाई कर रही है और जैव सुरक्षा के बारे में ‘डॉजियर’ वेबसाइट पर डाला गया है लेकिन इसे अभी तक किया नहीं गया है.
उन्होंने कहा कि बिना उचित परीक्षण के इस फसल का खेत पर परीक्षण किया जा रहा है. उन्होंने इस पर दस साल की रोक की अपील की. रॉड्रिग्यूज ने गुरुवार को यह याचिका दायर की थी. इनमें जीएम सरसों फसल को व्यावसायिक रूप से जारी करने और इसके खुले खेत में परीक्षण पर रोक की मांग की गई है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
मुख्य न्यायाधीश टी एस ठाकुर तथा न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर की पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार केंद्र सरकार जीन संवर्धित सरसों की फसल को 17 अक्टूबर तक जारी नहीं करेगी. उसी दिन पीठ इस मामले पर विस्तार से सुनवाई करेगी.
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस बात पर सहमति दी कि इन बीजों को 17 अक्टूबर तक व्यावसायिक रूप से जारी नहीं किया जाएगा. इन्हें जारी करने से पहले सार्वजनिक रूप से विचार और सुझाव लिए जाएंगे और उन्हें आकलन समिति के समक्ष रखा जाएगा. सरसों देश की सर्दियों की प्रमुख फसल है, जिसकी बुवाई अक्टूबर मध्य से नवंबर अंत तक होती है.
मेहता ने कहा कि केंद्र को याचिका पर जवाब दाखिल करना होगा. उन्होंने इन आरोपों को खारिज किया कि इन बीजों की बुवाई बिना उचित परीक्षण के की गई है. याचिकाकर्ता अरुणा रॉड्रिग्यूज की ओर से उपस्थिति अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि केंद्र विभिन्न खेतों में इन बीजों की बुवाई कर रही है और जैव सुरक्षा के बारे में ‘डॉजियर’ वेबसाइट पर डाला गया है लेकिन इसे अभी तक किया नहीं गया है.
उन्होंने कहा कि बिना उचित परीक्षण के इस फसल का खेत पर परीक्षण किया जा रहा है. उन्होंने इस पर दस साल की रोक की अपील की. रॉड्रिग्यूज ने गुरुवार को यह याचिका दायर की थी. इनमें जीएम सरसों फसल को व्यावसायिक रूप से जारी करने और इसके खुले खेत में परीक्षण पर रोक की मांग की गई है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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