उत्तर प्रदेश में भाजपा को हराने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा ने विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हराने के 5 सितंबर को मिशन यूपी की शुरुआत करने की योजना बनाई है. इसकी शुरुआत मुजफ्फरनगर से किसान महापंचायत करके की जाएगी. लेकिन संयुक्त किसान मोर्चे में पंजाब विधानसभा चुनाव को लेकर अभी तक कोई रणनीति नहीं दिख रही है. जबकि यूपी और पंजाब के विधानसभा चुनाव एक साथ है लेकिन क्या यूपी के साथ पंजाब चुनाव में भी किसान संगठन की कोई रणनीति है?
चंडीगढ़ में प्रेस कांन्फ्रेंस करके राकेश टिकैत ने पंजाब और हरियाणा के किसानों को यूपी के मुजफ्फरनगर में पहुंचने की अपील की. 5 सितंबर को मुजफ्फरनगर में किसानों की महापंचायत करके मिशन यूपी की शुरुआत की जाएगी. इसके तहत यूपी में पहले महापंचायत फिर हर मंडल में किसानों की रैली होगी. लेकिन जब उनसे मिशन पंजाब शुरु करने पर सवाल पूछा गया तो उनका जवाब था, 'जब चुनाव होगा तो देखा जाएगा. वहां भी करेंगे जब आचार संहिता लग जाएगी तब बताएंगे.'
कुछ दिन पहले पंजाब में गन्ने के सरकारी दाम में 50 रुपए की बढ़ोत्तरी की गई. उसके बाद किसान यूनियन के कुछ लोग कैप्टन अमरेंदर का मुंह मीठा कराते दिखे. ऐसे में तमाम लोग को लग रहा है कि पंजाब में संयुक्त किसान मोर्चा कांग्रेस सरकार के प्रति नरम है. लेकिन किसान संघर्ष मोर्चे के किसान नेता जोगिंदर सिंह उगरांवा कहते हैं कि राज्य सरकार के खिलाफ मिशन पंजाब चलाया जाएगा.
जोगिंदर सिंह उगरांवा ने कहा कि मुजफ्फरनगर की महापंचायत से फ्री होकर फिर हम मिशन पंजाब भी चलाएंगे लोगों को समझाएंगे कि कैप्टन अमरेंदर ने जो वादे किए थे उनको उन्होंने पूरा नहीं किया है.
उधर पंजाब के गांवों में जिस तरह किसानों ने सभी पार्टियों के खिलाफ पोस्टर वॉर शुरु किया है, उसके चलते किसान संगठनों के बीच चुनाव को लेकर तमाम मतभेद हैं. अभी संयुक्त किसान मोर्चे ने मिशन पंजाब चलाने का फैसला नहीं लिया है. लेकिन किसान संगठन से जुड़े रहे गुरनाम सिंह चढ़ूनी पंजाब में अपने तैयार उम्मीदवारों को खड़ा करने की हिमायत कर रहे हैं.
गुरुनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा, जिस तरह से यूपी-उत्तरांचल में बीजेपी के खिलाफ प्रचार करने का फैसला संयुक्त किसान मोर्चा ने लिया था, उसी तरह पश्चिम बंगाल में भी हम गए थे लेकिन अभी तक मिशन पंजाब पर फैसला नहीं लिया है लेकिन हमने मिशन पंजाब चलाने का फैसला लिया है. उसके तहत हमने उनको जोड़ना शुरु किया जो सभी सरकार से नाखुश है जो देश में बदलाव चाहते हैं.
किसान आंदोलन से जुड़े योगेंद्र यादव समेत वामपंथी संगठन से जुड़े कुछ लोग पहले चुनाव लड़ चुके हैं. ऐसे में मिशन पंजाब को लेकर संयुक्त किसान मोर्चे की रणनीति पर सबसे ज्यादा बीजेपी की निगाहें रहेंगी.
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