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This Article is From Oct 13, 2015

रुश्दी ने किया लेखकों का समर्थन, 12 और साहित्यकारों ने साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाया

रुश्दी ने किया लेखकों का समर्थन, 12 और साहित्यकारों ने साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाया
सलमान रुश्दी (फाइल फोटो)
बुकर पुरस्कार से सम्मानित लेखक सलमान रुश्दी भी ‘सांप्रदायिकता के जहर के प्रसार’ और देश में ‘बढ़ती असहिष्णुता’ के खिलाफ अग्रणी लेखकों के बढ़ते विरोध प्रदर्शन में सोमवार को शामिल हो गए। उधर, 12 और लेखकों ने अपना साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने का फैसला किया।

लेखक राजेश जोशी, गुलाम नबी खयाल, अमन सेठी ने भी लौटाया साहित्य अकादमी पुरस्कार

रुश्दी ने अपने ट्वीट में कहा, ‘मैं नयनतारा सहगल और कई अन्य लेखकों के विरोध प्रदर्शन का समर्थन करता हूं। भारत में अभिव्यक्ति की आजादी के लिए खतरनाक समय है।’ जवाहर लाल नेहरू की 88 वर्षीय भांजी सहगल उन शुरुआती लोगों में से थीं जिन्होंने असहमति की आवाज उठाने पर लेखकों और अंधविश्वास विरोधी कार्यकर्ताओं पर बार-बार हमले को लेकर अकादमी की चुप्पी के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया था।

कश्मीरी लेखक गुलाम नबी खयाल, उर्दू उपन्यासकार रहमान अब्बास, कन्नड़ लेखक और अनुवादक श्रीनाथ डी एन ने कहा कि वे अपना साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा रहे हैं।

श्रीनाथ के साथ ही हिंदी लेखकों मंगलेश डबराल और राजेश जोशी ने भी कहा कि वे अपने प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी पुरस्कारों को लौटा देंगे वहीं वरयाम संधु और जी एन रंगनाथ राव ने अकादमी को अपने फैसले की सूचना दे दी है। खयाल ने भी इन लेखकों के समर्थन में उतरते हुए कहा कि आज देश में अल्पसंख्यक ‘असुरक्षित और डरा हुआ’ महसूस कर रहे हैं।

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