
प्रतीकात्मक तस्वीर...
भुवनेश्वर/नई दिल्ली:
भारत में रोटावायरस जनित डायरिया से हर साल करीब 78,000 बच्चों की मौत हो जाती है। इस खतरनाक बीमारी के चलते देश में हर चौथे मिनट में एक बच्चा दम तोड़ देता है, जिसके चलते यह देश में पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मौत की मुख्य वजहों में एक है। लिहाजा, रोटावायरस जनित डायरिया की रोकथाम के मकसद से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने भुवनेश्वर में राष्ट्रव्यापी रोटावायरस टीका कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए रोटावायरस वैक्सीन को लॉन्च किया। इस कार्यक्रम का मकसद देशभर में 2.7 करोड़ बच्चों का टीकाकरण करना है। इस वैक्सीन से डायरिया संबंधित मौतों की समस्या से सीधे तौर पर निजात मिल सकेगी।
रोटावायरस बेहद खतरनाक है : जेपी नड्डा
इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि 'हम जानते हैं कि 'रोटावायरस से हर तकरीबन 78,000 बच्चों की मौत हो जाती है और इससे पीड़ित 10 लाख बच्चे हर साल अस्पताल में भर्ती हो हैं। यह बेहद खतरनाक है और चिकित्सा उपचार की अवधि बहुत कम होती है।' आंध्र प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और ओडिशा में टीके की शुरुआत की गई है और चरणबद्ध तरीके से देश के बाकी हिस्सों में इसका विस्तार किया जाएगा।
अब हर बच्चे को उपलब्ध होगी रोटवायरस वैक्सीन : डॉ. निर्मला डे
इससे पहले उड़ीसा के स्वास्थ्य विभाग द्वारा यूनीसेफ, विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं अन्य के सहयोग से यहां मीडिया के लिए आयोजित कार्यशाला में राज्य की परिवार कल्याण (निदेशक) डॉ. निर्मला डे ने बताया कि 'रोटावायरस वैक्सीन दस्त निर्जलीकरण से हजारों बच्चों की रक्षा करेगा। इससे पहले इस वैक्सीन का लाभ केवल वही उठा पाते थे, जो इसका खर्चा उठा सकते थे, लेकिन अब यह राज्य में हर बच्चे को उपलब्ध हो सकेगा।'
वैक्सीन उपलब्धता की जानकारी हर माता-पिता तक पहुंचे : युमी बे
वहीं, यूनिसेफ, उड़ीसा की चीफ ऑफ फील्ड ऑफिसर युमी बे ने कहा कि 'यह जरूरी है कि रोटावायरस वैक्सीन की उपलब्धता की जानकारी राज्य के प्रत्येक माता-पिता तक पहुंचे। उड़ीसा में पांच साल से कम बच्चों की मृत्यु दर सबसे अधिक है, जिसकी मुख्य वजह डायरिया है।'
दरअसल, रोटावायरस वैक्सीन, रोटवायरस डायरिया को रोकने में सबसे कारगर है। अनुमान के मुताबिक, रोटावायरस टीकाकरण से भारत में पांच साल की उम्र से कम करीब 41,000 से 48000 बच्चों को मौत के मुंह से बचाया जा सकेगा।
रोटावायरस बेहद खतरनाक है : जेपी नड्डा
इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि 'हम जानते हैं कि 'रोटावायरस से हर तकरीबन 78,000 बच्चों की मौत हो जाती है और इससे पीड़ित 10 लाख बच्चे हर साल अस्पताल में भर्ती हो हैं। यह बेहद खतरनाक है और चिकित्सा उपचार की अवधि बहुत कम होती है।' आंध्र प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और ओडिशा में टीके की शुरुआत की गई है और चरणबद्ध तरीके से देश के बाकी हिस्सों में इसका विस्तार किया जाएगा।
अब हर बच्चे को उपलब्ध होगी रोटवायरस वैक्सीन : डॉ. निर्मला डे
इससे पहले उड़ीसा के स्वास्थ्य विभाग द्वारा यूनीसेफ, विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं अन्य के सहयोग से यहां मीडिया के लिए आयोजित कार्यशाला में राज्य की परिवार कल्याण (निदेशक) डॉ. निर्मला डे ने बताया कि 'रोटावायरस वैक्सीन दस्त निर्जलीकरण से हजारों बच्चों की रक्षा करेगा। इससे पहले इस वैक्सीन का लाभ केवल वही उठा पाते थे, जो इसका खर्चा उठा सकते थे, लेकिन अब यह राज्य में हर बच्चे को उपलब्ध हो सकेगा।'
वैक्सीन उपलब्धता की जानकारी हर माता-पिता तक पहुंचे : युमी बे
वहीं, यूनिसेफ, उड़ीसा की चीफ ऑफ फील्ड ऑफिसर युमी बे ने कहा कि 'यह जरूरी है कि रोटावायरस वैक्सीन की उपलब्धता की जानकारी राज्य के प्रत्येक माता-पिता तक पहुंचे। उड़ीसा में पांच साल से कम बच्चों की मृत्यु दर सबसे अधिक है, जिसकी मुख्य वजह डायरिया है।'
दरअसल, रोटावायरस वैक्सीन, रोटवायरस डायरिया को रोकने में सबसे कारगर है। अनुमान के मुताबिक, रोटावायरस टीकाकरण से भारत में पांच साल की उम्र से कम करीब 41,000 से 48000 बच्चों को मौत के मुंह से बचाया जा सकेगा।
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