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This Article is From Feb 17, 2020

RJD ने कॉलेजियम सिस्टम पर उठाए सवाल- 'ये भी वही करता है, जो संघी करना चाहते हैं'

राष्ट्रीय जनता दल ने बीजेपी सरकार के साथ-साथ कॉलेजियम सिस्टम पर हमला बोला है.RJD की तरफ से ट्वीट कर कहा गया है कि कॉलेजियम सिस्टम से बहुजनों को दरकिनार किया जाता है.

RJD ने कॉलेजियम सिस्टम पर उठाए सवाल- 'ये भी वही करता है, जो संघी करना चाहते हैं'
RJD नेता लालू यादव (फाइल फोटो)
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
RJD ने कॉलेजियम सिस्टम को बहुजन विरोधी बताया
आरक्षण को मुद्दे पर राजद का केंद्र सरकार पर हमला
सरकार अध्यादेश ला सकती है- रामविलास पासवान
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट के द्वारा हाल ही में आरक्षण के दावे को मौलिक अधिकार नहीं बताए जाने के बाद, इस मुद्दे पर विवाद बढ़ता ही जा रहा है. बिहार में प्रमुख विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल इस मुद्दे पर लगातार केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमलावर है. अब RJD ने बीजेपी सरकार के साथ-साथ जजों की नियुक्ति वाले कॉलेजियम सिस्टम पर हमला बोला है. RJD की तरफ से ट्वीट कर कहा गया है कि कॉलेजियम सिस्टम से बहुजनों को दरकिनार किया जाता है. ट्वीट में लिखा गया है, "PM मोदी ने कॉलेजियम का दबे सुर यह सोच विरोध किया था कि न्यायपालिका में चुन चुनकर संघी बिठाएंगे! फिर संघी ब्रह्म ज्ञान की प्राप्ति हुई! सोचा कॉलेजियम हटा तो आरक्षण लागू करना पड़ जाएगा! और कॉलेजियम भी तो वही करता है जो संघी करना चाहते हैं- यानी बहुजनों को दरकिनार! सो शांत हो गए!'

गौरतलब है कि RJD नेता तेजस्वी यादव ने आरक्षण के मुद्दे पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला बोला था. उन्होंने नीतीश कुमार पर RSS के सामने आत्मसमर्पण करने का आरोप लगाया था. साथ ही राजद नेता ने बिहार के मुख्यमंत्री को नीति, सिद्धांत विहीन बताया था. सोशल नेटवर्किग साइट फेसबुक पर राजद नेता ने लिखा था, "नीतीश कुमार जी ने पूरी तरह से आरएसएस-भाजपा के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है. उन्होंने तब CAA,NPR,NRC पर केंद्र को समर्थन देने के बावजूद बात भी नहीं की थी और अब आरक्षण नीति के ख़त्म करने पर भी घातक रूप से चुप है."

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इधर NDA की सहयोगी पार्टी LJP के नेता केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने शुक्रवार को कहा था कि अनुसूचित जाति (एससी) एवं अनुसूचित जनजाति (एसटी) समुदायों के लिए नौकरियों में आरक्षण पर उच्चतम न्यायालय के हालिया फैसले में ‘सुधार' के लिए सरकार को एक अध्यादेश लाना चाहिए. पासवान ने यह भी कहा था कि इस तरह के सभी मुद्दों को संविधान की ‘‘नौवीं अनुसूची'' में डाल देना चाहिए ताकि उन्हें न्यायिक समीक्षा के दायरे से बाहर रखा जा सके. उन्होंने कहा कि सरकार उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ एक पुनर्विचार याचिका दायर करने और इस विषय पर कानूनी राय लेने पर विचार कर रही है.

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