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This Article is From Jan 06, 2014

अरविंद केजरीवाल ने कश्मीर पर प्रशांत भूषण की टिप्पणी से दूरी बनाई

फाइल फोटो

नई दिल्ली:

आम आदमी पार्टी ने अपने वरिष्ठ नेता प्रशांत भूषण के इस नजरिये से दूरी बनाई है कि घाटी में सुरक्षा खतरों से निबटने के लिए सेना की तैनाती पर फैसले के लिए कश्मीर में जनमत संग्रह कराया जाना चाहिए।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आंतरिक सुरक्षा पर फैसले कानून व्यवस्था की स्थिति के आधार पर किए जाते हैं और कश्मीर में सेना की तैनाती पर जनमत संग्रह नहीं हो सकता।

भूषण की कल की टिप्पणियों के बारे में पूछे जाने पर केजरीवाल ने कहा कि देश के भीतर सेना की तैनाती का फैसला आंतरिक सुरक्षा के खतरे के आधार पर किया जाता है। इस पर जनमत संग्रह कराने का कोई सवाल नहीं है ,लेकिन हमारा मानना है कि स्थानीय लोगों की भावनाओं का सम्मान किया जाना चाहिए। वरना लोकतंत्र खतरे में होगा।

उन्होंने कहा कि 'आप' इन मुद्दों पर जनमत संग्रह का समर्थन नहीं करती।

भूषण ने कहा था कि घाटी में आंतरिक सुरक्षा खतरों से निबटने के लिए सेना की तैनाती पर फैसला करने के लिए कश्मीर में जनमत संग्रह होना चाहिए। उन्होंने साथ ही जम्मू-कश्मीर में सैन्य बल विशेषाधिकार अधिनियम हटाने का भी समर्थन करते हुए कहा था कि इससे सेना को मानवाधिकारों का उल्लंघन करने की छूट मिलती है।

भूषण ने एक टीवी चैनल से कहा था कि जनता का दिलो-दिमाग जीतना हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसके लिए, पहली चीज है कि अफस्पा हटाया जाए जो सेना को मानवाधिकारों के उल्लंघन की छूट देता है।

उन्होंने कहा था कि अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा को छोड़कर आंतरिक सुरक्षा उददेश्यों के लिए सेना की तैनाती केवल जनता की रजामंदी के साथ ही असरदार होगी।

वर्ष 2011 में भूषण ने जम्मू-कश्मीर में जनमत संग्रह कराने के विचार का समर्थन करके विवाद खड़ा कर दिया था।

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