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This Article is From Jan 17, 2015

सेंसर बोर्ड के सदस्यों के इस्तीफे के मुद्दे को अरुण जेटली ने बताया 'बेवजह की बगावत'

सेंसर बोर्ड के सदस्यों के इस्तीफे के मुद्दे को अरुण जेटली ने बताया 'बेवजह की बगावत'
फाइल फोटो
नई दिल्ली:

सेंसर बोर्ड से जुड़े इस्तीफा प्रकरण के बीच सूचना एवं प्रसारण मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि फिल्मों के प्रमाणन से जुड़े विषयों से सरकार एक हाथ की दूरी बनाकर रहती है और कांग्रेस इस मुद्दे को राजनीतिक रंग दे रही है।

जेटली ने कहा कि न तो उन्होंने, न ही उनके कनिष्ठ मंत्री राज्यवर्धन राठौर और न ही किसी नौकरशाह ने सेंसर बोर्ड के किसी सदस्य के साथ कभी कोई संवाद किया और बोर्ड में यूपीए की ओर से नियुक्त निवर्तमान लोगों ने उनके समक्ष कभी भी भ्रष्टाचार का कोई मुद्दा नहीं उठाया।

जेटली ने फेसबुक पर 'रेबेल्स विदाउट ए कौज़' (बेवजह की बगावत) शीषर्क से लेख में कहा, 'एनडीए सरकार फिल्मों के प्रमाणन से जुड़े सभी मुद्दों से एक हाथ की दूरी बनाकर रखती है।'

वित्तमंत्री का फेसबुक पर यह लेख सेंसर बोर्ड की अध्यक्ष लीला सैमसन और कुछ अन्य सदस्यों द्वारा डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत रामरहीम सिंह की फिल्म 'मैसेंजर ऑफ गॉड' को मंजूरी देने पर इस्तीफा देने से जुड़े विषय से संबंधित है।

कांग्रेस पर इस मुद्दे को राजनीतिक रंग देने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि 2004 में सरकार ने जाने माने अभिनेता अनुपम खेर के नेतृत्व वाले सेंसर बोर्ड को केवल इसलिए भंग कर दिया था कि उन्हें पूर्व की सरकार ने नियुक्त किया था।

उन्होंने कहा, 'यूपीए सरकार ने सेंसर बोर्ड को राजनीतिक रंग दिया था.. हम ऐसा नहीं करना चाहते। यह खेदजनक है कि यूपीए सरकार द्वारा नियुक्त लोगों ने सामान्य विषयों को राजनीतिक रंग देने का निर्णय किया।'

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