भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) कोरोना (Coronavirus) के असर से धीरे-धीरे उबर रही है और चौथी तिमाही आते-आते आर्थिक विकास दर निगेटिव से पॉजिटिव हो सकती है. आरबीआई (RBI) गवर्नर ने शुक्रवार को पहली बार ये दावा किया. कोरोना के कहर का अर्थव्यवस्था पर इस साल कितना असर पड़ेगा? इस अहम सवाल पर आरबीआई गवर्नर ने शुक्रवार को पहली बार देश के सामने अपना आकलन रखा. मॉनीटरी पालिसी समिति के फैसलों का ऐलान करते हुए उन्होंने कहा कि 2020-21 में जीडीपी (GDSP) विकास दर (Growth Rate) -9.5% रहने का अनुमान है.
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्ति कांत दास, गवर्नर ने कहा कि हमारे विकास के अनुमानों से पता चलता है कि जीडीपी की वृद्धि संकुचन से बाहर हो सकती है और क्वाटर 4 में यह सकारात्मक हो सकती है, वर्ष 2020-21 के लिए समग्र रूप से. इसलिए वास्तविक जीडीपी में 9.5 प्रतिशत की गिरावट की संभावना है.
यह आंकड़ा महत्वपूर्ण है क्योंकि इस साल पहली तिमाही में कोरोना के कहर की वजह से जीडीपी विकास दर में -23.9% की बड़ी गिरावट दर्ज़ की गई है. आरबीआई गवर्नर ने कहा कि देश में लोगों का मूड अब निराशा से आशा में बदल गया है. कोरोना के सक्रिय मामलों में गिरावट एक सिल्वर लाइनिंग है.
अर्थव्यवस्था सुधर रही है. खरीफ फसलों की रिकॉर्ड बुआई हुई है. फ़ूड प्रोडक्शन रिकॉर्ड होने की उम्मीद है. प्रवासी मज़दूर काम पर वापस लौट रहे हैं. आम कर्मचारी भी काम पर लौट रहे हैं. डिमांड-सप्लाई की अड़चनें दूर होने से महंगाई दर में गिरावट की उम्मीद है.
आरबीआई ने बाजार में नकदी सप्लाई में सुधार के लिए नए फैसले लिए और रियल एस्टेट में सेंटीमेंट सुधारने के लिए नए ऐलान किए. आरबीआई गवर्नर की ताज़ा घोषणा का स्टॉक मार्किट ने स्वागत किया, सेंसेज़ 386 पॉइंट तक उछला. हालांकि आरबीआई गवर्नर ने कहा है कि कोरोना का खतरा पूरी तरह से टला नहीं है और सबको सतर्क रहना होगा. साफ है, अब चुनौती सुधार के इन संकेतों को आने वाले महीनों में और मज़बूत करने की होगी.
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