रामगढ़ विधानसभा के उपचुनाव के बाद राजस्थान विधानसभा की तस्वीर पूरी हो जाएगी. दिसंबर में यहां बसपा उम्मीदवार की मृत्यु के बाद चुनाव स्थगित किया गया था.
रामगढ़ सीट सभी पार्टियों के लिए महत्वपूर्ण है. यदि कांग्रेस यह सीट जीतती है तो वह 200 सदस्यीय विधानसभा में 100 विधायकों के आंकड़े पर पहुंच जाएगी. बीजेपी के लिए यह सीट इसलिए अहम है क्योंकि यहां गाय को लेकर चली राजनीति से वोटों के ध्रुवीकरण की अधिकतम संभावनाएं हैं. हालांकि बीजेपी और कांग्रेस का खेल नटवर सिंह के पुत्र जगत सिंह बिगाड़ने वाले हैं जो कि बहुजन समाज पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं.
जगत सिंह ने हाल ही में बीजेपी को छोड़कर बसपा का दामन थामा है. बसपा का इस विधानसभा चुनाव में अलवर और भरतपुर में काफी अच्छा प्रदर्शन रहा है. छह में से पांच विधायक इस इलाके से जीत के आए हैं.
यहां बसपा का वोट शेयर भी बढ़ा है. जहां कांग्रेस को पूर्ण बहुमत नहीं है वहीं बसपा को उम्मीद है कि मुट्ठी भर विधायकों के साथ भी वह निर्णायक स्थिति में रह सकती है.
बीएसपी प्रत्याशी जगत सिंह कहते हैं कि बीएसपी का सिर्फ विधानसभा उपचुनाव ही नहीं लोकसभा चुनाव में भी अहम रोल होगा. नटवर सिंह ने बताया कि वे लोगों से कहेंगे कि मेरी 90 साल की उम्र देखो और मेरे बेटे को वोट देकर विधानसभा भेजो.
हालांकि कांग्रेस का कहना है कि उसे रामगढ़ में सत्ता परिवर्तन का लाभ मिलेगा. कांग्रेस प्रत्याशी साफिया खान का कहना है कि कांग्रेस विधानसभा में इस सीट के साथ 100 का जादुई आंकड़ा पा लेगी. कांग्रेस ने सरकार बनाई है. इस चुनाव पर इसका असर दिखेगा.
रामगढ़ में पिछले एक साल में गौरक्षा के नाम पर राजनीति होती रही. पिछले साल जुलाई में यहां गाय ले जा रहे रकबर खान को पीट पीटकर मार डाला गया था. भाजपा ने यहां कट्टर हिंदुत्व का चेहरा ज्ञान देव आहूजा को हटा दिया है, लेकिन ध्रुवीकरण का मुद्दा अब भी यहां गूंज रहा है. बीजेपी प्रत्याशी सुखदेव सिंह का कहना है कि गाय हमारे लिए पूज्य है. हमारे लिए हिंदुत्व महत्वपूर्ण ह लेकिन सब कुछ भाईचारे के साथ किया जाता है.
रामगढ़ में चुनावी अभियान अभी शुरू हुआ है. मायावती यहां 24 जनवरी को रैली करेंगी और कांग्रेस भी यहां पूरी ताकत लगाने की तैयारी में है. आखिरकार बहुमत के लिए हर सीट अहम है.
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