प्रतीकात्मक चित्र
नई दिल्ली:
राजस्थान के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. अरूण चतुर्वेदी ने कहा कि शिक्षा प्रणाली आज केवल डिग्रियां हासिल करने तक सीमित हो गई है. उन्होंने कहा कि हमें शिक्षा में संस्कारों का समावेश करना होगा. उच्च शिक्षा में नैतिकता एवं कार्य संस्कृतिविषय पर आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए चतुर्वेदी ने कहा कि अंग्रेजों ने इस देश की रीढ़ माने जाने वाली समृद्ध शिक्षा पद्धति को जान-बूझकर कमजोर किया. विशेष रूप से सांस्कृतिक मूल्यों को आघात पहुंचाया.
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विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष प्रो. डी.पी. सिंह ने बताया कि शिक्षक का सभ्य आचरण तथा सुसभ्य व्यक्तित्व विद्यार्थियों के लिए आदर्श स्थापित कर सकते हैं. उन्होंने पं. मदन मोहन मालवीय का उल्लेख करते हुए कहा कि महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय विद्यार्थी की नर्सरी होते हैं. अपने संबोधन के दौरान उन्होंने उच्च शिक्षण संस्थानों में ‘‘आनन्द विभाग’’ खोले जाने का अनूठा प्रस्ताव भी दिया. अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. जे.पी. सिंघल ने कहा कि शिक्षक अपने आचरण से ही संस्कृति का पोषक बनता है तथा कार्य संस्कृति का निर्माण कर सकता है. (इनपुट भाषा से)
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