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This Article is From Feb 27, 2017

रेलवे की नई केटरिंग पॉलिसी का ऐलान, ठेकेदारों की जगह IRCTC को मिली जिम्‍मेदारी, जानें खास बातें

रेलवे की नई केटरिंग पॉलिसी का ऐलान, ठेकेदारों की जगह IRCTC को मिली जिम्‍मेदारी, जानें खास बातें
प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर
नई दिल्‍ली: अब ट्रेन में किसी ठेकेदार के खाने से शायद आपका सफ़र बदजायका नहीं होगा. रेलों में खाने-पीने को लेकर मिल रही लगातार शिकायतों के बाद किसी ठेकेदार को नए लाइसेंस न जारी करने का फ़ैसला हुआ है. इसकी जगह आईआरसीटीसी को ये ज़िम्मेदारी दे दी गई है. दिल्ली में सोमवार को रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने भारतीय रेल में नई कैटरिंग पॉलिसी को लागू करने का ऐलान किया. रेल मंत्री ने पिछले साल अपने रेल बजट भाषण में इसका प्रस्ताव रखा था. सुरेश प्रभु ने कहा, 'हम रेल यात्रियों को अच्छा, साफ सुथरा खाना मुहैया कराना चाहते हैं. हम चाहते हैं कि चलती गाड़ियों में उन्हें स्वादिष्ट और पौष्टिक खाना सप्लाई किया जा सके.' रेलों का खानपान बेहतर करने के लिए रेल मंत्रालय की कई योजनाएं हैं जिनके अनुसार रेल के किचन को आधुनिक शक्ल दी जाएगी. खाना पकाने और खाना पहुंचाने का काम अलग-अलग किया जाएगा. धीरे-धीरे चलती ट्रेनों में खाना पकाने का काम बंद हो सकता है. इसकी जगह अलग-अलग स्टेशनों पर खाना पकेगा जो ट्रेनों में जाएगा.

मंत्रालय का मानना है कि नई कैटरिंग पॉलिसी से एक ओर जहां ठेकेदारों की मनमानी ख़त्म होगी तो वहीं दूसरी ओर खानपान भी बेहतर होगा. चलती ट्रेनों में खाने की गुणवत्ता को लेकर बढ़ते सवालों और शिकायतों के बाद अब रेल मंत्री नई कैटरिंग पॉलिसी के ज़रिये यात्रियों को साफ-सुथरा और बेहतर पौष्टिक खाना मुहैया कराना चाहते हैं. अब अगली चुनौती इस नई कैटरिंग व्यवस्था को कारगर तरीके से लागू करने की होगी.

आईआरसीटीसी को अधिकतर ट्रेन में केटरिंग की जिम्मेदारी देने वाली नई नीति सात साल पुरानी नीति के स्थान पर लाई जा रही है. साल, 2010 में ममता बनर्जी के रेल मंत्री रहते हुए आईआरसीटीसी को केटरिंग की जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया गया था. प्रभु ने 2016 के बजट में कहा था, ‘आईआरसीटीसी चरणबद्ध तरीके से केटरिंग सेवा को संभालना शुरू करेगी. यह खाना पकाने और इसके वितरण को अलग अलग रखते हुए केटरिंग सेवा संचालित करेगी.’

रेलवे केटरिंग नीति-2017 आईआरसीटीसी को खाने का मेन्यू तय करने और इसके लिए राशि निर्धारित करने का अधिकार होगा, हालांकि इसके लिए उसे रेलवे बोर्ड से परामर्श लेना होगा. सामाजिक उद्देश्य को हासिल करने के मकसद से इस नीति के तहत स्टाल के आवंटन में महिलाओं को 33 फीसदी का उप कोटा दिया जाएगा.

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