सोमवार को राहुल गांधी ने की थी लालू प्रसाद यादव से मुलाकात
नई दिल्ली:
सोमवार को एक छोटी सी मुलाकात ने एक बड़े राजनीतिक घटनाक्रम की ओर संकेत दिये हैं. चारा घोटाले में जेल की सजा काट रहे आरजेडी सुप्रीमो और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव से एम्स में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मुलाकात की है. लालू प्रसाद यादव इलाज के लिए यहां भर्ती थे. लेकिन विरोध के बावजूद उनको छुट्टी दे दी गई है. लोगों ने राहुल की इस मुलाकात पर सवाल उठाये हैं. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कर्नाटक में एक रैली में दोनों की मुलाकात पर निशाना साधा है. लेकिन राजनीति में कुछ भी हमेशा के लिए नहीं होता है. फिर बिहार में सवाल लोकसभा की 40 सीटों का है जहां पर कांग्रेस अकेले दम पर कुछ नहीं कर सकती है. 2014 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस को सिर्फ 2 सीटें मिली थीं. इस बीच राज्य में तेजस्वी यादव की लोकप्रियता खासकर युवाओं में तेजी से बढ़ रही है. विपक्ष के नेता के तौर पर तेजस्वी अच्छा काम करते दिखाई दे रहे हैं. हालांकि वह भी भ्रष्टाचार के मामले में जांच का सामना कर रहे हैं.
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दरअसल, जुलाई 2013 में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया कि अगर कोई सांसद, विधायक, एमएलसी दोषी पाया जाता है और उसे दो साल की सजा होती है तो सदन से उसकी सदस्यता तुरंत चली जाएगी. इस फैसले के बाद राज्यसभा सांसद राशिद मसूद और लालू प्रसाद यादव की संसद सदस्यता पर लटकने लगी क्योंकि चारा घोटाले पर फैसला आने वाला था. लेकिन उसी समय तत्कालीन यूपीए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के लिए पहले संसद में बिल रखा और उसके पारित न हो पाने पर अध्यादेश लाने का फैसला किया जिस पर सरकार की खूब छीछालेदर हुई थी.
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उस दिन का घटनाक्रम भी बहुत ही नाटकीय था. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह विदेश यात्रा पर थे और कांग्रेस नेता अजय माकन दिल्ली में प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में एक प्रेस कांफ्रेंस कर रहे थे. वहां राहुल अचानक पहुंचे और उन्होंने अध्यादेश के बारे में कहा कि उनके विचार से यह अध्यादेश बेमतलब है. राहुल गांधी ने कहा कि इसे फाड़ देना चाहिए और फेंक देना चाहिए. यह शायद पहली बार था कि पार्टी और सरकार के बीच इतना बड़ा मतभेद सामने आया था. विपक्ष ने इसे पीएम मनमोहन सिंह का अपमान बताया था.
वीडियो : मुलाकात पर सवाल
लेकिन साल 2013 से लेकर 2018 तक कांग्रेस ने इतने झटके सहे हैं कि जो राहुल गांधी कभी लालू प्रसाद यादव के साथ मंच साझा करने में भी कतराते थे वो अब उनसे मुलाकात करने से भी नहीं चूक रहे हैं. राहुल लोकसभा चुनाव से पहले यूपीए के कुनबे को मजबूत करना चाहते हैं. हालांकि लालू प्रसाद यादव भी सोनिया की तरह राहुल के नेतृत्व को उतना तरजीह नहीं देते हैं. राहुल की कोशिश लालू को मनाने की है. भ्रष्टाचार के उन मुद्दों का क्या होगा जिनके दम पर कांग्रेस मोदी सरकार को घेरने की कोशिश कर रही है.
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दरअसल, जुलाई 2013 में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया कि अगर कोई सांसद, विधायक, एमएलसी दोषी पाया जाता है और उसे दो साल की सजा होती है तो सदन से उसकी सदस्यता तुरंत चली जाएगी. इस फैसले के बाद राज्यसभा सांसद राशिद मसूद और लालू प्रसाद यादव की संसद सदस्यता पर लटकने लगी क्योंकि चारा घोटाले पर फैसला आने वाला था. लेकिन उसी समय तत्कालीन यूपीए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के लिए पहले संसद में बिल रखा और उसके पारित न हो पाने पर अध्यादेश लाने का फैसला किया जिस पर सरकार की खूब छीछालेदर हुई थी.
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उस दिन का घटनाक्रम भी बहुत ही नाटकीय था. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह विदेश यात्रा पर थे और कांग्रेस नेता अजय माकन दिल्ली में प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में एक प्रेस कांफ्रेंस कर रहे थे. वहां राहुल अचानक पहुंचे और उन्होंने अध्यादेश के बारे में कहा कि उनके विचार से यह अध्यादेश बेमतलब है. राहुल गांधी ने कहा कि इसे फाड़ देना चाहिए और फेंक देना चाहिए. यह शायद पहली बार था कि पार्टी और सरकार के बीच इतना बड़ा मतभेद सामने आया था. विपक्ष ने इसे पीएम मनमोहन सिंह का अपमान बताया था.
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लेकिन साल 2013 से लेकर 2018 तक कांग्रेस ने इतने झटके सहे हैं कि जो राहुल गांधी कभी लालू प्रसाद यादव के साथ मंच साझा करने में भी कतराते थे वो अब उनसे मुलाकात करने से भी नहीं चूक रहे हैं. राहुल लोकसभा चुनाव से पहले यूपीए के कुनबे को मजबूत करना चाहते हैं. हालांकि लालू प्रसाद यादव भी सोनिया की तरह राहुल के नेतृत्व को उतना तरजीह नहीं देते हैं. राहुल की कोशिश लालू को मनाने की है. भ्रष्टाचार के उन मुद्दों का क्या होगा जिनके दम पर कांग्रेस मोदी सरकार को घेरने की कोशिश कर रही है.
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