ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) और कांग्रेस नेता राहुल गांधी- फाइल फोटो
खास बातें
- ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से दिया इस्तीफा
- बुधवार को जेपी नड्डा के मौजूदगी में बीजेपी ज्वाइन किया
- राहुल गांधी ने सिंधिया को लेकर तोड़ी चुप्पी, कही ये बात
नई दिल्ली: कांग्रेस के होनहार नेता कहे जाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने बुधवार को भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन कर लिया. कुछ रिपोर्ट्स और बयान की मानें तो कांग्रेस नेता राहुल गांधी से सिंधिया काफी दिनों से मिलना चाह रहे थे, लेकिन उन्हें अप्वाइंटमेंट नहीं मिला. हालांकि बुधवार को न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते वक्त राहुल गांधी ने ने कहा कि वह कांग्रेस के उन नेताओं में से एकलौते नेता थे, जो किसी भी वक्त मिल सकते थे.
एएनआई के मुताबिक राहुल गांधी ने कहा, ''वह कांग्रेस में एकमात्र ऐसे शख्स हैं जो मेरे घर में कभी भी आ सकते हैं.'' लगभग एक साल पहले राहुल गांधी ने उनके पोस्ट को रिट्वीट किया था, जब उन्होंने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की लड़ाई में कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच शांति स्थापित की थी. राहुल गांधी ने लियो टॉलस्टॉय के विचार को ट्वीटर पर ट्वीट करते हुए लिखा था, ''दो सबसे शक्तिशाली योद्धा हैं धैर्य और समय.''
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बीजेपी ज्वाइन करने से 18 साल पहले कांग्रेस ज्वाइन किया था. उन्होंने कहा, वर्तमान में जो स्थिति में है, वो कांग्रेस पार्टी आज नहीं रही जो पहले थी. मैं मानता हूं कि इस वातावरण में जहां राज्य मध्यप्रदेश में एक सपना हमने पिरोया था, जब हमारी सरकार बनी लेकिन 18 माह में वे सपने बिखर गए. किसानों की कर्ज माफी 18 माह में भी नहीं हो पाया. ओलावृष्टि से प्रभावित किसानों को मुआवजा नहीं मिला. वचन पत्र में कहा था कि हर महीने मूल्यांकन होगा. ट्रांसफर उद्योग और रेत माफिया चल रहा है.''
बताते चले कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी के करीबी सहयोगी कहलाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया महीनों की कोशिश के बावजूद उनसे मिलने में सक्षम नहीं थे. यह बात एनडीटीवी को शाही परिवार से आने वाले एक नेता प्रद्योत माणिक्य देबबर्मा, जिनका सिंधिया परिवार के साथ जुड़ाव भी है, ने बताया. कुछ ही महीने पहले पार्टी से दूरी बनाने वाले त्रिपुरा कांग्रेस प्रमुख रहे प्रद्योत माणिक्य देबबर्मा ने कहा, ''मुझे पता है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया महीनों से राहुल गांधी से मिलने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन उन्हे कोई अप्वाइंटमेंट नहीं मिला. अगर वह (राहुल गांधी) हमें नहीं सुनना चाहते थे, तो उन्होंने हमें पार्टी में क्यों लाया?”