नई दिल्ली:
साहित्यकार रघुवीर चौधरी को वर्ष 2015 का ज्ञानपीठ पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई है। उनका चयन जाने-माने आलोचक डॉ. नामवर सिंह की अध्यक्षता वाली चयन समिति ने किया है। रघुवीर को अगले वर्ष एक समारोह में 51वां ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। पुरस्कार के रूप में उन्हें 11 लाख रुपये की राशि, वाग्देवी की प्रतिमा तथा प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा।
80 से अधिक पुस्तकें लिख चुके हैं
डॉ. रघुवीर चौधरी का नाम हिंदी में प्रामाणिक और विशिष्ट लेखन करने वाले एक महत्वपूर्ण भारतीय लेखक के रूप में स्थापित है। 5 दिसम्बर, 1938 को गांधीनगर के बापूपुरा गांव में जन्मे डॉ. चौधरी गुजरात विवि में हिंदी विभाग के प्रोफेसर हैं। वर्ष 1960 में बीए करने के बाद उन्होंने हिंदी में एमए की परीक्षा पास की। डॉ. चौधरी कई कविता, उपन्यास, कथा, नाटक लिखे हैं । उनकी प्रमुख रचनाओं में 'अमृता', 'वेणुवत्सला', 'सोमतीर्थ', 'रुद्रमहालय' आदि शामिल हैं।
कई अवार्ड भी मिल चुके हैं
डॉ. चौधरी को हिंदी की सेवा के लिए 'सौहार्द्र सम्मान', 'दर्शक सम्मान' और 'गौरव पुरस्कार' जैसे पुरस्कार प्रदान किए जा चुके हैं। कई समाचार पत्रों के साथ भी वे जुड़े रहे हैं। रघुवीर चौधरी ने साहित्य के क्षेत्र में अपने सफर की शुरुआत उपन्यास और कविताएं लिखते हुए शुरू की। बाद में उन्होंने अन्य क्षेत्रों की ओर भी रुख किया। वर्ष 1977 में साहित्य सेवा के लिए उन्हें प्रतिनिठत साहित्य अकादमी अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है।
80 से अधिक पुस्तकें लिख चुके हैं
डॉ. रघुवीर चौधरी का नाम हिंदी में प्रामाणिक और विशिष्ट लेखन करने वाले एक महत्वपूर्ण भारतीय लेखक के रूप में स्थापित है। 5 दिसम्बर, 1938 को गांधीनगर के बापूपुरा गांव में जन्मे डॉ. चौधरी गुजरात विवि में हिंदी विभाग के प्रोफेसर हैं। वर्ष 1960 में बीए करने के बाद उन्होंने हिंदी में एमए की परीक्षा पास की। डॉ. चौधरी कई कविता, उपन्यास, कथा, नाटक लिखे हैं । उनकी प्रमुख रचनाओं में 'अमृता', 'वेणुवत्सला', 'सोमतीर्थ', 'रुद्रमहालय' आदि शामिल हैं।
कई अवार्ड भी मिल चुके हैं
डॉ. चौधरी को हिंदी की सेवा के लिए 'सौहार्द्र सम्मान', 'दर्शक सम्मान' और 'गौरव पुरस्कार' जैसे पुरस्कार प्रदान किए जा चुके हैं। कई समाचार पत्रों के साथ भी वे जुड़े रहे हैं। रघुवीर चौधरी ने साहित्य के क्षेत्र में अपने सफर की शुरुआत उपन्यास और कविताएं लिखते हुए शुरू की। बाद में उन्होंने अन्य क्षेत्रों की ओर भी रुख किया। वर्ष 1977 में साहित्य सेवा के लिए उन्हें प्रतिनिठत साहित्य अकादमी अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है।
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