पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक (PMC) में अपना खाता रखने वाले लोग भले ही अपना पैसा बैंक से निकालने के लिए परेशान हो रहे हों लेकिन इस बैंक को करोड़ों की चपत लगाने वाले रियल एस्टेट फर्म हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (HDIL) के प्रमोटर पिता-पुत्र मौज में थे. इतना बड़े स्तर पर दिवालिया घोषित होने के बाद भी एचडीआईएल के मालिक राकेश कुमार वधावन और उनके बेटे सारंग वाधवान की जीवन शैली में किसी तरह का बदलाव नहीं आया था. वह इतने बड़े लोन की राशि न चुकाने के बाद भी खुलेआम घूम रहे थे और उनकी सुरक्षा में कई निजी गार्ड तैनात थे.हालांकि, बैंक के वित्त हालात उजागर होने के बाद इन दोनों को पुलिस ने गिरफ्तार किया. इन दोनों ने PMC बैंक से 6500 करोड़ रुपये का लोन लिया था. आरोप है कि इन्होंने बैंक को लोन की मूल राशि तक वापस नहीं की है. अब इन दोनों को 9 अक्टूबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है.
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सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस कंपनी के मालिक के लिए स्थिति अचानक ही खराब हो गई थी. बता दें कि इस कंपनी के मालिक की फिल्मी सितारों से लेकर राजनेताओं तक से बेहद अच्छे रिश्ते हैं. एचडीआईएल कंपनी द्वारा बैंक से लिए लोन की राशि न चुकाने की वजह से बैंक की हालत इतनी खराब हो गई है वह अपने खाताधारकों को भी पैसे देने की स्थिति में नहीं रहा. इसके बाद इस बैंक में खाता रखने वाले लोगों ने पूरे मामले में केंद्र सरकार के हस्तक्षेप की मांग की.
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ऐसा बताया जा रहा है कि PMC बैंक ने अपने लोन की कुल राशि का 75 फीसदी हिस्सा यानी 4000 करोड़ रुपये एचडीआईएल को ही दे दिया था. इस वजह से जब कंपनी ने लोन की राशि वापस नहीं की तो बैंक की हालत खराब हो गई.एचडीआईएल के प्रमोटर्स पर आरोप है कि उन्होंने बैंक से ज्यादा से ज्यादा लोन लेने के लिए 21 हजार फर्जी खाते खुलवाए. सूत्रों के अनुसार कंपनी द्वारा पहले लिए लोन की रकम न लौटाने के बाद भी बैंक ने उन्हें लोन देना जारी रखा. बैंक ने अपने वार्षिक रिपोर्ट ने इसका जिक्र भी नहीं किया. अभी तक की जांच में यह बात साफ तौर पर सामने आई है कि बैंक ने कंपनी के दिवालिया होने के बाद भी उसे लोन देना जारी रखा.
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वधावन के वकील अमित देसाई ने इस पूरे मामले के सामने आने के बाद कहा कि वधावन पिता-पुत्र की गिरफ्तारी ने परिसमापन प्रक्रिया को खत्म कर दिया है. अमित देसाई ने कहा कि अगर परिसमापन की प्रक्रिया जारी रहती तो इसकी मदद से बैंक के खाता धारकों को उनका पैसा दिया जा सकता था. उन्होंने कहा कि वधावन लोन का भुगतान करने की कोशिश कर रहे हैं.
इन सब के बीच PMC बैंक के कर्मचारियों पर RBI को भी धोखे में रखने का आरोप लगने शुरू हो गए हैं. आरोप है कि PMC बैंक अधिकारियों ने 2008 से लेकर अगस्त 2019 तक RBI को गुमराह किया. जिन फर्जी खाता धारकों को लोन दिया गया उसे दर्ज नहीं किया गया था. बैंक की इस लापरवाही का खामियाजा बैंक के खाता धारकों को हुआ है. खाता धारकों की दिक्कतों को ध्यान में रखते हुए RBI ने अब उनके लिए पैसे निकालने की सीमा बढ़ा दी है. RBI ने पहले उन्हें महज 1000 रुपये निकालने की अनुमति दी थी जिसे बाद में 10 हजार और अब 25 हजार रुपये कर दिया गया है.
VIDEO: HDIL के डायरेक्टर गिरफ्तार.
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