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This Article is From Sep 01, 2015

हमारे इलाके में पेशेवर हत्यारे पहले नहीं देखे गए : कलबुर्गी हत्या पर कर्नाटक पुलिस

हमारे इलाके में पेशेवर हत्यारे पहले नहीं देखे गए : कलबुर्गी हत्या पर कर्नाटक पुलिस
एम एम कलबुर्गी की रविवार को हत्या कर दी गई थी
धारवाड़: कर्नाटक पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या रविवार को जिस तरह से शिक्षाविद एम एम कलबुर्गी की हत्या की गई उसका सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र दाभोलकर और गोविंद पनसारे की हत्या से कोई संबंध है।

सीनियर पुलिस अधिकारी पांडुरंग राने ने एनडीटीवी को बताया कि, इस दिशा में अपनी जांच आगे ले जाने के लिए कर्नाटक पुलिस की टीम महाराष्ट्र का दौरा करेगी। एम एम कलबुर्गी की हत्या की जांच के लिए चार पुलिस टीमों का गठन किया गया है। डॉ कलबुर्गी देश के जाने-माने शिक्षाविद, वाम विचारक और बुद्धिजीवी थे जिन्हें दक्षिणपंथी गुटों द्वारा लगातार धमकी दी जा रही थी।

डॉ कलबुर्गी की हत्या धारवाड़ में उनके घर के बाहर गोली मारकर कर दी गई थी। इस हत्याकांड में दो लोग शामिल थे जो एक बाइक पर आए और खुद को उनका छात्र बताया था। पुलिस के अनुसार वह भाड़े के हत्यारे थे।

पेशेवर तरीके से हत्या  
पांडुरंग राने के अनुसार, 'यह हत्या बहुत पेशेवर तरीके से की गई थी, जो इस इलाके में सामान्य नहीं है।' अगस्त 2013 में अंधविश्वास के ख़िलाफ़ मुहिम चलाने वाले सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र दाभोलकर की पुणे में इसी तरह से मॉर्निंग वॉक करते समय हत्या कर दी गई थी।'

इसी साल फरवरी महीने में वामपंथी नेता और सामाजिक कार्यकर्ता गोविंद पनसारे की भी कोल्हापुर में ऐसे ही हालातों में हत्या कर दी गई थी। गोविंद पनसारे राज्य में अन्य मुद्दों के अलावा टोल टैक्स के खिलाफ़ मुहिम चला रहे थे।

इन सभी मामलों के बीच की लिंक ढूंढने के लिए कर्नाटक पुलिस नरेंद्र दाभोलकर और गोविंद पनसारे के गृहनगर कोल्हापुर और पुणे जाएगी। पुलिस के मुताबिक वह जांच के दौरान सभी मुमकिन बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित कर रही है जिसमें संपत्ति का ऐंगल भी शामिल है।   

विचारों के कारण हत्या
कलबुर्गी के परिजनों के अनुसार उनकी हत्या उनके विचारों के कारण की गई है। कलबुर्गी को धार्मिक मुद्दों पर अपने विचार ज़ाहिर करने के लिए कई बार धमकियां भी मिल चुकीं थीं। कई हिंदूवादी कार्यकर्ता भी उनके खिलाफ़ खुलकर अपना विरोध ज़ाहिर कर चुके थे। 

कलबुर्गी की हत्या के तुरंत बाद ट्वीटर पर ट्वीट पोस्ट करने वाले बजरंग दल के एक कार्यकर्ता को कल हिरासत में लेने के कुछ ही घंटों के बाद छोड़ दिया गया था। वीएचपी ने दावा किया है कि किसी भी दक्षिणपंथी संगठन ने कलबुर्गी को धमकी नहीं दी थी।  

पांडुरंग राने के अनुसार जिन संगठनों ने भी डॉ कलबुर्गी के खिलाफ़ प्रदर्शन किया था उनकी जांच की जा रही है।

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