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बच्चियों के साथ छेड़खानी की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए दिल्ली नगर निगम द्वारा संचालित 500 से ज्यादा प्राथमिक विद्यालयों के गेट पर प्राइवेट सिक्यूरिटी गार्ड तैनात किए जाएंगे।
दक्षिणी दिल्ली नगरनिगम के आयुक्त मनीष गुप्ता ने बताया, 'हमने अगले शैक्षणिक सत्र से प्राथमिक विद्यालयों में सरकार द्वारा स्वीकृत एजेंसियों के प्राइवेट सिक्यूरिटी गार्डों को तैनात करने की योजना बनाई है। छेड़छाड़ की कई घटनाएं जानकारी में आने के बाद यह फैसला लिया गया है।'
दक्षिण दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) की परिधि में कक्षा 5 तक के 548 प्राथमिक विद्यालयों के द्वारों पर गार्ड तैनात किए जाएंगे। इन स्कूलों में 5 से 13 साल तक की बच्चियां होती हैं और ये आवारा छेड़खानी करने वालों का मुकाबला नहीं कर सकतीं।
गुप्ता ने कहा कि एसडीएमसी के क्षेत्र के हर स्कूल में चरणबद्ध तरीके से गार्डों की तैनाती होगी। उन्होंने बताया कि इस परियोजना पर शुरुआती खर्च 1 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। छेड़खानी के कारण माता-पिता ने बच्चियों को स्कूल भेजना बंद कर दिया। हम यह कदम ऐसी बच्चियों के दोबारा स्कूल तक लाने के लिए उठा रहे हैं।
खानपुर दिल्ली में रहने वाली 12 साल की एक लड़की की मां ने बताया कि आवारा लोग स्कूलों के बाहर लड़कियों को छेड़ने के लिए घात लगाए बैठे रहते हैं। वे स्कूल जाती बच्चियों को डराते हैं।
यदि यह परियोजना रंग लाती है तो तीनों नगरनिगमों की परिधि के सभी स्कूलों में लागू की जाएंगी। अन्य दो निगम हैं पूर्वी और उत्तरी दिल्ली नगरनिगम। गुप्ता ने कहा कि ठेका आधार पर रखे गए सिक्यूरिटी गार्ड लड़कियों के स्कूल आते-जाते समय नजर रखेंगे और यदि जरूरत पड़ी तो वे उन्हें छोड़ने घर तक भी जाएंगे।
एसडीएमसी की शिक्षा समिति के अध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने इस कदम का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि हम बच्चियों की पुख्ता सुरक्षा चाहते हैं।
दिल्ली की नगरनिगमों के तहत 18000 हजार स्कूल हैं जिनमें 10 लाख छात्र-छात्राएं पढ़ती हैं। एसडीएमसी के 548 स्कूलों में करीब 5 लाख छात्र-छात्राएं हैं। 2010 में एमसीडी ने प्रताड़ना पर नजर रखने के लिए स्कूल परिसरों में सीसीटीवी लगाने का फैसला लिया था। कुछ स्कूलों में ऐसे कैमरे लगाए गए थे।
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