यह ख़बर 05 मार्च, 2014 को प्रकाशित हुई थी

प्राइम टाइम इंट्रो : भिड़े आप-भाजपा कार्यकर्ता

नई दिल्ली:

नमस्कार मैं रवीश कुमार।
एक आवश्यक सूचना 2014 के चुनाव में निष्पक्षता को सबसे बड़ा ख़तरा है पेड न्यूज़। चुनाव आयोग ने संपादकों को चिट्ठी लिखी है और सरकार से कहा है कि कानून बनाकर इसे परिभाषित करने की ज़रूरत है। मोटा मोटी यूं समझिये कि किसी अख़बार के पहले पन्ने पर ख़बर को इस तरह से लिखा जाए कि फलाने की आंधी वांधी चल रही है और वे जीत की ओर अग्रसर हैं तो ऐसी ख़बरों के प्रति सचेत रहने की ज़रूरत है क्योंकि ये पैसे देकर लिखवाई जाने लगी हैं। यही काम टीवी में भी हो रहा है।

आप देखेंगे कि इन दिनों रैलियों के कवरेज के लिए पार्टियों ने अपनी तरफ से जिमी जिब कैमरा लगाना शुरू कर दिया है। यह कैमरा क्रेन के सहारे एक छोटे से बाड़े के ऊपर घूमता हुआ आता है और उसमें खड़े पांच सौ लोगों को भी पांच हज़ार की तरह दिखने का असर पैदा कर देता है। मैं इस कैमरे को भोजपुरी में लबरा कैमरा बोलता हूं। लबरा मतलब झूठा। बीजेपी, कांग्रेस और अब समाजवादी पार्टी कई दल अपनी रैलियों में इस कैमरे का इस्तमाल करने लगे हैं। बहुत दिनों तक तो दर्शकों को पता ही नहीं चला कि कैमरा रिपोर्टर का नहीं किसी पार्टी का है। अब जाकर न्यूज़ चैनल सौजन्य बीजेपी और सौजन्य कांग्रेस लिखने लगे हैं।

2014 का डेट निकल गया है। 16 मई को रिजल्ट आएगा और 7 अप्रैल को पहला मतदान होगा। 81 करोड़ 40 लाख मतदाता हो गए हैं आपके देश में। 10 करोड़ तो ऐसे मतदाता हैं जो पहली बार वोट देंगे। ऐसी उम्मीद की जा रही है कि ये दस करोड़ जाति धर्म और इलाकाई निष्ठा से ऊपर उठकर वोट करंगे। जबकि इन्हें रिझाने वाले नेता खुलकर जाति के आधार पर गठबंधन कर रहे हैं और अपनी जात बता रहे हैं।

आप 81 करोड़ मतदाता कैसे फ़ैसला करेंगे। इन दिनों अखबारों और टीवी में खूब राजनीतिक विज्ञापन आ रहे हैं। गुजरात का विज्ञापन बिहार में छप रहा है और यूपी, मध्यप्रदेश, हिमाचल का दिल्ली के अख़बारों में। उम्मीद है आप उन्हें पढ़कर डायरी में नोट करते होंगे। आज के अख़बारों में विज्ञापन इतना मोटा हो गया है कि पढ़ने के लिए छुट्टी लेकर नैनिताल जाना होगा। रद्दी में बेचने से पहले उन विज्ञापनों को ज़रूर पढ़ियेगा। आपका हिन्दुस्तान लहलहा रहा है। अपना बताते समय तरक्की और उनका बताते समय बरबादी। इसका औसत निकालेंगे तो हिन्दुस्तान में न तो प्रगति हुई है न बरबादी।

सबसे आसान है दो नेताओं के बीच फैसला करना। सबसे मुश्किल है तमाम दलों के आर्थिक सामाजिक कार्यक्रमों को समझ कर परख कर वोट देना। उम्मीद है आपके हाथ में मेनिफेस्टो पहुंचेगा। घोषणापत्र आता भी इतना लेट है कि उसकी चर्चा कम ही हो पाती है।

दिग्विजय सिंह ने कहा है कि 2004 और 2009 में बीजेपी ने तो पोर्टफोलियो तक बांट दिए थे। समा बांधने में बीजेपी का जवाब नहीं। दोनों बार कांग्रेस ही जीती। यूपीए सरकार ने सबसे अधिक कानून बनाए फिर भी आरोप लगता है कि नीतियों को लेकर सुस्ती है। इस सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जितना काम किया है, उतना किसी ने नहीं किया। रविशंकर प्रसाद कहते हैं कि हम भी इसी से हैरान हैं कि चुनाव की तारीखों का ऐलान होने तक कांग्रेस के भ्रष्टाचार की खबरें आ रही हैं। रविशंकर ने कहा कि बेरोज़गारी, महंगाई, भयंकर भ्रष्टाचार मुद्दा है। राहुल गांधी ने कहा है कि कांग्रेस ने जैसे बिना गुस्सा किये अंग्रेज़ों को भगा दिया वैसे ही प्यार से बीजेपी को भगा देगी।

नरेंद्र मोदी कहते हैं कि कांग्रेस मुक्त भारत होगा। इस चक्कर में कहीं जनता ने दोनों की इच्छाएं पूरी कर दीं तो बिना कांग्रेस बीजेपी के भारत कितना सूना सूना लगेगा। बुरा न मानो होली है।

लेकिन शाम पांच बजते बजते तमाम चैनलों के स्क्रीन से चुनाव की तारीखें उड़ गईं और आपका और भाजपा का टकराव की तस्वीरें पसर गईं। आज जिस वक्त अरविंद केजरीवाल गुजरात के विकास का अध्ययन कर रहे थे, उसी वक्त आचार संहिता लग गई।

पाटन ज़िले के राधनपुर में पुलिस ने उन्हें थाने में बिठा लिया। पुलिस का बयान है कि बुलाकर आचार संहिता के बारे में बताया गया और छोड़ दिया गया। आप का दावा है कि पुलिस ने मोदी के इशारे पर जबरदस्ती की और ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन के आरोप में थाने बुलाया। पाटन के कलेक्टर ने एनडीटीवी से कहा कि अरविंद केजरीवाल ने आचार संहिता का उल्लंघन नहीं किया है। पाटन कलेक्टर ने कहा है कि कल तक वे चुनाव आयोग को अपनी रिपोर्ट भेज देंगे। आप ने इसमें मोदी की तानाशाही देखी लेकिन भाजपा शुरू से अड़ी रही कि आचार संहिता का उल्लंघन किया गया है। अनुमति नहीं ली और पुलिस ने स्वतंत्र रूप से कार्रवाई की है।

आप ने कहा कि वे चुनाव प्रचार पर नहीं थे, लेकिन काफिला तो राजनीतिक ही था। इस के विरोध में आप कार्यकर्ता और नेता दिल्ली के बीजेपी मुख्यालय पहुंच गए। यहां जो कुछ हुआ उसे लेकर दोनों पक्षों के अपने अपने दावे हैं। दोनों का आरोप है कि हमने नहीं उन्होंने पत्थरबाजी की। मगर तथ्य है कि पत्थरबाजी हुई। आशुतोष, राजमोहन गांधी, शाज़िया इल्मी प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे थे तो बीजेपी के तरफ से युवा नेता नलिन कोहली। बीजेपी ने कहा कि आचार संहिता लागू होने के बाद बिना पुलिस की अनुमति के कैसे प्रदर्शन करने आ गए। बीजेपी ने कहा कि राजमोहन गांधी को गांधी नाम का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए। आप विधायक मनोज कुमार के घायल होने की खबर है। बीजेपी का दावा है कि उसके कार्यकर्ता भी घायल हुए हैं। दिल्ली में 32 लोग हिरासत में लिए गए हैं और चुनाव अधिकारी ने कल तक रिपोर्ट मांगी है।

उधर, लखनऊ में आप और बीजेपी के कार्यकर्ताओं के बीच भिड़ंत हो गई। आप का दावा है कि बीजेपी के लोगों ने लाठी से हमला किया। पुलिस देखती रह गई और मामला काफी बिगड़ गया। तभी खबर आई कि गुजरात में अरविंद की कार पर किसी ने पत्थर फेंक दिया।

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तो क्या यह मोदी और अरविंद के बीच सीधे टकराव की शुरुआत है। उम्मीद है कि इस टकराव के बाद भी प्राइम टाइम में इस बात पर बहस हो सकेगी कि 2014 का चुनाव किसी दल या नेता के विजय के अलावा सचमुच किन मायनों में अलग होने वाला है।