नई दिल्ली:
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने शुक्रवार को कहा कि पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सरकार के कामकाज में एक बार भी हस्तक्षेप नहीं किया और कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ‘शासन में सत्ता के केन्द्र’ हैं।
सिंह ने यह टिप्पणी सत्ता के दो केन्द्र की ‘अवधारणा’ को स्पष्ट करने का प्रयास करते हुए की जो हाल में उनकी उस टिप्पणी के बाद चर्चा में आई थी कि सत्ता के दो केन्द्र के मॉडल ने बहुत अच्छा काम नहीं किया।
कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने एनडीटीवी से कहा, ‘‘सत्ता का एक केन्द्र होना चाहिए और यहां शासन में डॉ मनमोहन सिंह सत्ता के केन्द्र हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘दोनों अपने अपने क्षेत्र में पृथक रूप से काम कर रहे हैं। डॉ मनमोहन सिंह भारत सरकार में सभी फैसले करते हैं और सोनिया गांधी संगठन में सभी फैसले करती हैं।’’
सिंह ने अपनी पूर्व की टिप्पणी को स्पष्ट करने का प्रयास करते हुए कहा कि मीडिया के शोर और विपक्ष के आरोप के कारण नौकरशाही और सरकार के सभी ढांचे में यह आम धारणा है कि सत्ता के दो केन्द्र हैं। स्पष्ट रूप से कांग्रेस अध्यक्ष ने सरकार के कामकाज में एक बार भी हस्तक्षेप नहीं किया।
सिंह ने कहा कि सोनिया गांधी ने सूचना का अधिकार और मनरेगा कार्यक्रम जैसी नीतियों के बारे में सुझाव दिया था जो कि कांग्रेस के चुनाव घोषणा पत्र और न्यूनतम साझा कार्यकम के अनुरूप था। लेकिन उन्होंने कभी भी सरकार के काम काज में हस्तक्षेप नहीं किया। इसलिए यह धारणा गलत है।
सिंह ने यह टिप्पणी सत्ता के दो केन्द्र की ‘अवधारणा’ को स्पष्ट करने का प्रयास करते हुए की जो हाल में उनकी उस टिप्पणी के बाद चर्चा में आई थी कि सत्ता के दो केन्द्र के मॉडल ने बहुत अच्छा काम नहीं किया।
कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने एनडीटीवी से कहा, ‘‘सत्ता का एक केन्द्र होना चाहिए और यहां शासन में डॉ मनमोहन सिंह सत्ता के केन्द्र हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘दोनों अपने अपने क्षेत्र में पृथक रूप से काम कर रहे हैं। डॉ मनमोहन सिंह भारत सरकार में सभी फैसले करते हैं और सोनिया गांधी संगठन में सभी फैसले करती हैं।’’
सिंह ने अपनी पूर्व की टिप्पणी को स्पष्ट करने का प्रयास करते हुए कहा कि मीडिया के शोर और विपक्ष के आरोप के कारण नौकरशाही और सरकार के सभी ढांचे में यह आम धारणा है कि सत्ता के दो केन्द्र हैं। स्पष्ट रूप से कांग्रेस अध्यक्ष ने सरकार के कामकाज में एक बार भी हस्तक्षेप नहीं किया।
सिंह ने कहा कि सोनिया गांधी ने सूचना का अधिकार और मनरेगा कार्यक्रम जैसी नीतियों के बारे में सुझाव दिया था जो कि कांग्रेस के चुनाव घोषणा पत्र और न्यूनतम साझा कार्यकम के अनुरूप था। लेकिन उन्होंने कभी भी सरकार के काम काज में हस्तक्षेप नहीं किया। इसलिए यह धारणा गलत है।
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