
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद
नई दिल्ली:
संविधान दिवस के मौके पर विज्ञान भवन में सुप्रीम कोर्ट की ओर से आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, कानून मंत्री रविशंकर प्रसा, वित्त मंत्री अरुण जेटली, मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत समेत सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा व रिटायर जज मौजूद थे. ये कार्यक्रम सुबह 9.30 शुरु हुआ. इस मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि मुंबई में हुए हमले की यादें अब तक ताजा हैं जिसमें कई निर्दोष नागरिक मारे गए. उनके परिवारों को तकलीफ उठानी पड़ी. हमें ऐसी स्थिति से लोगों को बचाना है. राष्ट्रपति ने कहा कि संविधान भारत की आजादी का आधुनिक ग्रंथ है. प्रस्तावना संविधान का सोर्स कोड है. सोशल जस्टिस हमारे देश में सभी को बराबर का दर्जा दिला रहा है. राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, 'मुझे खुशी है कि पिछले साल मेरी सलाह पर CJI ने काम शुरु किया और फैसलों को क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद कर दिया जा रहा है. कुछ हाईकोर्ट में भी फैसलों का क्षेत्रीय भाषाओं में जजमेंट मुहैया कराए जा रहे हैं. मैं 2019 में सभी हाईकोर्ट को क्षेत्रीय भाषाओं में जजमेंट उपलब्ध कराते हुए देखना चाहता हूं.
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राष्ट्रपति ने कहा कि अवसर की समानता 1949 में ज़रूरी थी. आज भी है. संसद में गतिरोध नहीं होना चाहिए. न्यायपालिका में सुनवाई स्थगित नहीं होनी चाहिए. लोकतंत्र में लोगों को न्याय मिलने ज़रूरी है. सदन में काम होना ज़रूर है. हम लोगों का संवैधानिक दायित्व है नदियों, शहरों का साफ सुथरा, प्रदूषण मुक्त होना चाहिए. एक बच्चे को गन्दगी के चलते अस्थमा होना में सामाजिक न्याय के सिद्धांत का हनन मानता हूँ.
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राष्ट्रपति ने आधार योजना करते हुए कहा कि इससे भ्रष्टाचार रूक है और जरूरी सेवाओं लोगों तक पहुंची हैं. लेकिन कोविंद ने निजता का भी मसला उठाया. उन्होंने कहा कि संविधान अंगीकार करने का 70वां साल शुरू हो रहा है. हम लोगों तक संविधान की जानकारी पहुंचाएं.
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई का भाषण
सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस मदन बी लोकुर का भाषण
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केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद का भाषण
इस मौके पर म्यांमार, भूटान और नेपाल के चीफ जस्टिस भी मौजूद रहे. देश का संविधान 26 नवंबर 1949 को तैयार हुआ था और 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ. 2015 में केंद्र सरकार ने 26 नवंबर को संविधान दिवस घोषित किया.
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राष्ट्रपति ने कहा कि अवसर की समानता 1949 में ज़रूरी थी. आज भी है. संसद में गतिरोध नहीं होना चाहिए. न्यायपालिका में सुनवाई स्थगित नहीं होनी चाहिए. लोकतंत्र में लोगों को न्याय मिलने ज़रूरी है. सदन में काम होना ज़रूर है. हम लोगों का संवैधानिक दायित्व है नदियों, शहरों का साफ सुथरा, प्रदूषण मुक्त होना चाहिए. एक बच्चे को गन्दगी के चलते अस्थमा होना में सामाजिक न्याय के सिद्धांत का हनन मानता हूँ.
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राष्ट्रपति ने आधार योजना करते हुए कहा कि इससे भ्रष्टाचार रूक है और जरूरी सेवाओं लोगों तक पहुंची हैं. लेकिन कोविंद ने निजता का भी मसला उठाया. उन्होंने कहा कि संविधान अंगीकार करने का 70वां साल शुरू हो रहा है. हम लोगों तक संविधान की जानकारी पहुंचाएं.
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई का भाषण
- 26 नवंबर 1949 का दिन अलग तरीके से लेकिन देश के तौर पर रह रहे लाखों लोगों के लिए आशा का दिन है
- संविधान दबों कुचलों की आवाज है हमारे संविधान की आलोचना की गई कि ये लंबा है और कहा गया कि संविधान भारतीय परिवेश के मुताबिक नहीं है लेकिन सात दशक से ये बेहतरीन काम कर रहा है.
- यहां तक कि संविधान सभा के एक सदस्य ने कहा था कि हमें वीणा या सितार चाहिए था लेकिन हमने बैंड चुना. बाद में वो गलत साबित हुए. संविधान को और कैसे मजबूत बनाया जाए और इसके लिए आगे का रोडमैप तैयार करने की जरूरत है.
सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस मदन बी लोकुर का भाषण
- संविधान दिवस 1.3 अरब लोगों के लिए जश्न का दिन है और ये जाति, वर्ग और धर्म और लिंग हर चीज से परे सभी को सरंक्षण देता है.
- दस साल पहले आज के दिन ही मुंबई में हमला हुआ, 200 से ज्यादा निर्दोष लोगों ने जान गंवाईं.
- - देश एक होकर ही ऐसे हमलों को निपट सकता है
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केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद का भाषण
- आज का दिन काफी महत्वपूर्ण है और संविधान ने सभी को बराबर का अधिकार दिया है.
- आतंकी भी अपने मौलिक अधिकारों का दाला करते हुए फेयर ट्रायल की मांग करते हैं. लेकिन सवाल ये है कि पीडितों के अधिकारों का क्या होगा.
इस मौके पर म्यांमार, भूटान और नेपाल के चीफ जस्टिस भी मौजूद रहे. देश का संविधान 26 नवंबर 1949 को तैयार हुआ था और 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ. 2015 में केंद्र सरकार ने 26 नवंबर को संविधान दिवस घोषित किया.
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