चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishore) रविवार को आयोजित तृणमूल कांग्रेस की शहीद दिवस रैली में शामिल नहीं हुए. प्रशांत किशोर (Prashant Kishore) के इस रैली में शामिल होने को लेकर काफी पहले ही अटकलें लगाई जा रही थी. मीडिया में इस बात की चर्चा जोरों पर थी कि किशोर इस रैली में शामिल होंगे. किशोर भाजपा की गठबंधन सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) के वरिष्ठ पदाधिकारी भी हैं.प्रशांत किशोर के रैली में शामिल न होने को लेकर तृणमूल के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि प्रशांत किशोर रैली में शामिल नहीं हुए. इसमें शामिल होने की उनकी कोई संभावना नहीं थी. यह सब मीडिया की अटकले थीं कि वह रैली में हिस्सा लेंगे. इसमें शामिल होने की उनकी तनिक भी संभावना नहीं थी.
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लोकसभा चुनावों में भाजपा के अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने के बाद राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी ने पिछले महीने किशोर से संपर्क किया था लोकसभा चुनाव में राज्य की 42 संसदीय सीटों में से भाजपा ने तृणमूल से सिर्फ चार कम सीटें यानी 18 सीटें जीती थीं. तृणमूल नेताओं ने कहा कि तृणमूल के पार्टी कार्यक्रम में किशोर का शामिल होना थोड़ा अस्वाभाविक है क्योंकि वह जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं जो राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के साथ गठबंधन में है. किशोर ने पिछले महीने दो बार तृणमूल प्रमुख से मुलाकात की और बनर्जी ने दावा किया कि चुनाव रणनीतिकार कॉरपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी के तहत उनकी पार्टी की मदद करेंगे. किशोर को तृणमूल के करीब लाने में तृणमूल सांसद एवं मुख्यमंत्री के भतीजे अभिषेक बनर्जी ने अहम भूमिका निभायी थी.
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गौरतलब है कि कोलकाता में रैली को संबोधित करते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने कहा कि वे (बीजेपी) चुनाव ईवीएम, सीआरपीएफ चुनाव आयोग के दम पर चुनाव जीते है. उन्हें सिर्फ 18 सीटें मिली हैं. कुछ सीटें जीतकर वे पार्टी ऑफिस कब्जा करने की कोशिश कर रहे है और कार्यकर्ताओं को पीट रहे . इसके साथ ही ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग से अपील करते हुए कहा कि पंचायत और म्यनिसपल चुनाव बैलेट पेपर से करवाए जाएं. बंगाल की सीएम ने कहा कि इस बार लोकसभा चुनाव 'इतिहास' नहीं, 'रहस्य' है. रैली में ममता बनर्जी ने एक तरह से चेतावनी देते हुए, 'कुछ बीजेपी नेता कहते हैं कि टीएमसी नेताओं को बसों से खींचों, मैं बीजेपी से कहती हूं कि अगर हमने इस तरह से करना शुरू कर दिया तो क्या झेलने के लायक होंगे?
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आपको बता दें कि ममता बनर्जी ने रैली से पहले ट्विटर पर राज्य में वाम दल के 34 वर्षों के शासन के दौरान सभी ‘‘शहीदों'' को श्रद्धांजलि दी और लोगों से देश में लोकतंत्र बहाल करने के लिए लड़ने का अनुरोध किया. उन्होंने 13 युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं को भी याद किया जो आज के दिन 1993 में पुलिस की गोलीबारी में मारे गए थे. बनर्जी उस समय युवा कांग्रेस की नेता थीं जब पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चा सत्ता में था. तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) 13 युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं की याद में हर साल 21 जुलाई को शहर में शहीद दिवस रैली निकालती है.
बनर्जी ने कहा था कि आज ऐतिहासिक 21 जुलाई शहीद दिवस है. आज के दिन 26 साल पहले पुलिस की गोलीबारी में 13 युवा कार्यकर्ताओं की हत्या की गई थी. तब से हम इस दिन को शहीद दिवस के तौर पर मनाते हैं. सभी शहीदों को मेरी श्रद्धांजलि जो वाम दल के 34 साल के शासन के दौरान मारे गए.'' उन्होंने कहा था कि इस साल की रैली लोकतंत्र को ‘‘बचाने'' के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के बजाय मत पत्रों को वापस लाने पर केंद्रित होगी. मुख्यमंत्री ने कहा था 21 जुलाई 1993 को प्रदर्शन की मुख्य मांग थी ‘कोई आईडी कार्ड नहीं, कोई वोट नहीं'. इस साल हमने लोकतंत्र को बहाल करने का आह्वान किया. कोई मशीन नहीं, मत पत्रों को वापस लाओ. हमारे महान देश में लोकतंत्र को बहाल रखने के लिए लड़ने का संकल्प लीजिए. लोकसभा चुनावों में भाजपा के शानदार प्रदर्शन की पृष्ठभूमि में यह रैली आयोजित की गई. भाजपा ने पश्चिम बंगाल में 42 सीटों में से 18 पर जीत हासिल की थी.
VIDEO: ममता बनर्जी ने शहीद दिवस रैली को किया संबोधित.
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