पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और अकाली दल नेता प्रकाश सिंह बादल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन के संबंध में पत्र लिखा है. उन्होंने पत्र में आपातकाल और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का भी जिक्र किया है. बादल ने लिखा, यह यकीन करना बेहद कठिन है कि इतने भारी बहुमत वाली सरकार निर्णय लेने में नाकामयाबी को रोक नहीं पा रही है. प्रकाश सिंह बादल ने पिछले हफ्ते कृषि कानूनों के खिलाफ पदम विभूषण सम्मान को लौटा दिया था. अकाली दल ने कृषि कानूनों को लेकर मोदी सरकार से किनारा कर लिया था.
बादल ने पत्र में पीएम मोदी को कृषि कानूनों के मुद्दे पर टकराव से बचने की सलाह भी दी. बादल ने पत्र में आपातकाल के दिनों और तानाशाही जैसे शब्दों का उल्लेख करने के साथ पीएम मोदी गतिरोध को हल करने के लिए हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है. बादल ने कहा कि किसानों, राज्य सरकारों समेत सभी पक्षों की सहमति के साथ एक सर्वमान्य हल निकाला जाना चाहिए. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, " संवाद, समाधान और सहमति लोकतंत्र की नींव हैं. संवाद की प्रक्रिया से सहमति तक पहुंचा जा सकती है और सहमति ही टकराव को टालने का रास्ता है, जैसा कि हम सरकार और किसानों के बीच देख रहे हैं.
बादल ने कहा, मैंने आपातकाल के दौरान में तानाशाही के खिलाफ संघर्ष किया. मेरा अनुभव कहता है कि शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक मूल्यों से बड़े से बड़े जटिल मुद्दे और कठिन समस्याओं का भी बेहतरीन समाधान निकल सकता है.
92 साल के वयोवृद्ध नेता ने इस पत्र में सरकार द्वारा सर्वदलीय बैठक न बुलाने की नाकामी पर भी सवाल उठाए हैं, जब केंद्र के नए कृषि कानूनों को बेहद प्रभावी ढंग से किसानों द्वारा खारिज किया जा रहा था. राज्यों से ऐसे मुद्दे पर संवाद न करना, जो उनकी 70 फीसदी आबादी को प्रभावित करता है, वह सरकार की संघीय सिद्धांतों से असहमति या विरोध को दिखाता है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं