Air Pollution In Delhi-NCR : राजधानी दिल्ली में सर्दियों का मौसम शुरू होने से पहले ही वायु प्रदूषण लोगों की दिक्कत बढ़ा देता है. इस बार कोरोना संकट के बीच सर्दियां शुरू होने से पहले ही केंद्र और राज्य सरकार इस मामले पर मुस्तैद दिखाई दे रही है. राष्ट्रीय राजधानी की केजरीवाल सरकार जहां लगातार प्रदूषण को लेकर एडवाइजरी जारी कर रही है वहीं केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय भी इसे लेकर दिल्ली और आसपास के राज्यों से लगातार संपर्क में है. ताकि पराली जलाने के चलते दिल्ली में वायु की गुणवत्ता प्रभावित ना हो.
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने गुुरुवार को कहा कि पराली जलाये जाने से दिल्ली-एनसीआर में सिर्फ चार प्रतिशत ही प्रदूषण होता है और शेष 96 प्रतिशत के लिये स्थानीय कारण जिम्मेदार हैं. इस पर, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि ‘‘इनकार करते रहने से कोई फायदा नहीं होगा.''
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प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, "केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की 50 टीमों को आज से दिल्ली-एनसीआर में निरीक्षण के लिए तैनात किया जाएगा. दिल्ली के पर्यावरण में पराली जलाने का केवल 4% प्रदूषकों में योगदान है, बाकी धूल, निर्माण और बायोमास जलने जैसे स्थानीय कारकों के कारण है."
Staying in denial will not help. If stubble burning causes only 4% pollution, then why has pollution suddenly increased last fortnite? Air was clean before that. Same story every yr. There's no massive jump in any local source of pollution in last few days to cause this spike? https://t.co/nxdJ2timv0
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) October 15, 2020
जावड़ेकर के बयान पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पलटवार करते हुए ट्वीट किया, ‘‘इनकार करते रहने से कोई लाभ नहीं होगा. यदि पराली जलाने की वजह से केवल चार प्रतिशत प्रदूषण होता है, तो पिछले पखवाड़े में अचानक प्रदूषण क्यों बढ़ गया है? हवा इससे पहले साफ थी. हर साल एक ही कहानी.''उन्होंने कहा, ‘‘पिछले कुछ दिन में किसी अन्य स्थानीय स्रोत से प्रदूषण नहीं बढ़ा है, जो हाल में बढ़े प्रदूषण का कारण हो.''
My statement today on Air Pollution in Delhi has been misinterpreted by a section of the media. Let me clarify, the figures of 4% share of stubble burning in AQI in Delhi, pertained to this week. It varies from 4% to 40% during peak stubble burning.@PIB_India @DDNewslive @ANI https://t.co/NwHtUAQuH9
— Prakash Javadekar (@PrakashJavdekar) October 15, 2020
केंद्रीय मंत्री ने केजरीवाल को जवाब देते हुए लिखा, "दिल्ली में वायु प्रदूषण पर मेरे बयान को मीडिया के एक वर्ग ने गलत तरीके से प्रस्तुत किया है. मैं स्पष्ट कर देता हूं कि दिल्ली में वायु की गुणवत्ता के पैमाने (AQI)में पराली जलने वाले 4% हिस्से के आंकड़े इस सप्ताह से संबंधित हैं. पराली जलाने के ज्यादा उच्च स्तर के दौरान यह 4% से 40% तक होता है."
दिल्ली-एनसीआर में पसरी धुंध; वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब' श्रेणी में पहुंची
दिल्ली-एनसीआर में बृहस्पतिवार को धुंध की परत छाने के साथ ही पूरे क्षेत्र में हवा की गुणवत्ता गिरकर ''बहुत खराब'' की श्रेणी में पहुंच गई. हालांकि क्रमिक प्रतिक्रिया कार्य योजना (जीआरएपी) के तहत क्षेत्र में बिजली जनरेटर पर प्रतिबंध सहित कई सख्त वायु प्रदूषण-रोधी उपायों को भी लागू किया गया है.
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नासा के कृत्रिम उपग्रह द्वारा ली गई तस्वीरों में पंजाब के अमृतसर, पटियाला, तरनतारन और फिरोजपुर तथा हरियाणा के अंबाला और राजपुरा में बड़े पैमाने पर खेतों में पराली जलाए जाने का पता चला है. हालांकि, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की ''वायु गुणवत्ता प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली'' ने कहा कि राजधानी की वायु गुणवत्ता पर इसका प्रभाव फिलहाल कम है.
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने कहा कि पराली जलाना दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण का मुख्य कारण नहीं है.
जावड़ेकर ने कहा, ‘‘केवल चार प्रतिशत प्रदूषण पराली जलाने के कारण है. इसके अलावा, 96 प्रतिशत प्रदूषण स्थानीय कारणों से है, जिसमें बायोमास जलाने, कचरा निस्तारण, कच्ची सड़कों, धूल, निर्माण और तोड़-फोड़ संबंधी गतिविधियां शामिल है. ''केंद्रीय मंत्री ने दिल्ली-एनसीआर में सर्दियों के मौसम में सर्वाधिक प्रदूषित स्थलों पर नजर रखने के लिए बृहस्पतिवार को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की 50 टीमें तैनात कीं और पंजाब सरकार से पराली जलाने पर रोक लगाने की अपील की. (इनपुट भाषा से भी)
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