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This Article is From May 30, 2016

बिजली की मांग बढ़ने से अगले पांच वर्षों में 5.6 प्रतिशत तक पहुंच सकती है इसकी कमी : अध्‍ययन

बिजली की मांग बढ़ने से अगले पांच वर्षों में 5.6 प्रतिशत तक पहुंच सकती है इसकी कमी : अध्‍ययन
प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर
नई दिल्‍ल: आपूर्ति के मुकाबले मांग बढ़ने से देश में बिजली की कमी 2021-22 तक बढ़कर 5.6 प्रतिशत हो सकती है जो पिछले वित्त वर्ष में अधिकतम मांग के समय 2.6 प्रतिशत थी। एक अध्ययन में यह कहा गया है।

उद्योग मंडल एसोचैम तथा परामर्श कंपनी पीडब्ल्यूसी के संयुक्त अध्ययन के अनुसार, ‘‘भारत की वृद्धि की कहानी को आगे बढ़ाने के लिए विश्वसनीय, सस्ती और भरोसेमंद बिजली की उपलब्धता आवश्यक है और बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने तथा ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये ऊर्जा के सभी संभावित स्रोतों का दोहन करने की जरूरत होगी।’’

इस क्षेत्र में सात प्रतिशत सालाना वृद्धि की दरकार
‘हाइड्रोपावर एट क्रॉसरोड’ शीर्षक से जारी अध्ययन में कहा गया है कि भारत को करीब 8 से 9 प्रतिशत सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि बनाए रखने के लिये बिजली के क्षेत्र में सात प्रतिशत सालाना वृद्धि की जरूरत हो सकती है।

इसमें कहा गया है कि प्रति व्यक्ति खपत 1,800 किलोवाट प्रतिघंटा के लक्ष्य को प्राप्त करने तथा 2034 तक 30 करोड़ लोगों के लिए बिजली पहुंच हेतु भारत को 450 गीगावाट (एक गीगावाट बराबर 1,000 मेगावाट) अतिरिक्त बिजली आपूर्ति की जरूरत होगी।

भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में पनबिजली क्षेत्र उल्लेखनीय रूप से योगदान कर सकता है। रिपोर्ट में देश में कुल स्थापित क्षमता में कोयला आधारित बिजली उत्पादन का योगदान करीब 70 प्रतिशत होने का जिक्र करते हुए आगाह किया गया है कि तापीय स्रोतों पर इतनी निर्भरता ईंधन उपलब्धता समेत अन्य कारणों के संदर्भ में ऊर्जा सुरक्षा के लिहाज से गंभीर खतरा है।

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)

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