अनंतनाग में अमरनाथ यात्रियों पर हुए आतंकी हमले को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय हरकत में आ गया है.
नई दिल्ली:
अमरनाथ यात्रा पर हुए हमले को लेकर श्रीनगर से दिल्ली तक मंगलवार को सुरक्षा तंत्र में हलचल बनी रही. सवाल सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय से आते रहे और जवाब देने की कोशिश की जाती रही.
अनंतनाग में हुए हमले की गूंज श्रीनगर से दिल्ली तक सुनाई दी. एक के बाद एक बैठकों का दौर चलता रहा. यह सवाल बार-बार उठा कि आखिर आतंकी सुरक्षा ग्रिड तोड़ने में कामयाब कैसे हुए? यह भी विचार उठा कि माहौल न बिगड़े. केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कश्मीरियत को याद किया. राजनाथ सिंह ने आतंकी हमले को कायराना हरकत करार देते हुए कहा कि कश्मीर के लोगों ने इस हमले को नकारकर कश्मीरियत की भावना को बरकरार रखा है. आतंक की यह कायरतापूर्ण हरकत है जिसके खिलाफ पूरा देश एकजुट होकर खड़ा हो गया है.
उधर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार गृह मंत्री के घर से निकले और सीधे साउथ ब्लाक पहुंचे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उन्होंने बताया कि सुरक्षा के ग्रिड में कई स्तरों पर सुराख रह गए. एनडीटीवी इंडिया को मिली जानकारी के मुताबिक प्रधानमंत्री कार्यालय इस मामले में हरकत में आ गया है.
सेना प्रमुख बिपिन रावत से कहा गया है कि बादामीबाग कंटोनमेंट जाकर वे खुद हमलावरों की पहचान कर उनके खिलाफ ऑपरेशन लांच कराएं. गृह राज्यमंत्री हंसराज अहीर से कहा गया कि कश्मीर जाकर यात्रा का रिव्यू करें ताकि ऐसा हमला आगे न हो. अमरनाथ यात्रा सात अगस्त तक चलनी है. गवर्नर एनएन वोहरा से कहा गया कि श्राइन बोर्ड की बैठक करें ताकि यात्रा में कोई खलल न आए. मुख्यमंत्री से कहा गया है कि वे कानून-व्यवस्था न बिगड़ने दें.
बीजेपी-पीडीपी सरकार इस हमले के बाद दबाव में है. जम्मू-कश्मीर के उप मुख्यमंत्री निर्मल सिंह ने कहा है कि "कहीं न कहीं कोई न कोई लैप्स तो हुआ है. इसका कौन जिम्मेदार है उसका पता लगाया जाएगा." केंद्र सरकार इस बात को लेकर भी सतर्क है कि इस हमले के बहाने शरारती तत्व बाकी देश में हिंसा न फैलाएं.
दरअसल पिछले कुछ महीनों में घाटी में हो रही हिंसा का स्तर बदला है, स्वभाव बदला है. अब अमरनाथ यात्रियों पर हुए हमले ने सरकार के आगे एक और चुनौती खड़ी कर दी है कि हमले के कारण कहीं देश में हिंसा न फैल जाए. हालांकि कुछ का मनाना है कि इस हमले ने एक अवसर भी दिया है उन अलगाववादियों और आतंकियों को अलग थलग करने का जो इस हमले के लिए जिम्मेदार हैं.
अनंतनाग में हुए हमले की गूंज श्रीनगर से दिल्ली तक सुनाई दी. एक के बाद एक बैठकों का दौर चलता रहा. यह सवाल बार-बार उठा कि आखिर आतंकी सुरक्षा ग्रिड तोड़ने में कामयाब कैसे हुए? यह भी विचार उठा कि माहौल न बिगड़े. केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कश्मीरियत को याद किया. राजनाथ सिंह ने आतंकी हमले को कायराना हरकत करार देते हुए कहा कि कश्मीर के लोगों ने इस हमले को नकारकर कश्मीरियत की भावना को बरकरार रखा है. आतंक की यह कायरतापूर्ण हरकत है जिसके खिलाफ पूरा देश एकजुट होकर खड़ा हो गया है.
उधर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार गृह मंत्री के घर से निकले और सीधे साउथ ब्लाक पहुंचे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उन्होंने बताया कि सुरक्षा के ग्रिड में कई स्तरों पर सुराख रह गए. एनडीटीवी इंडिया को मिली जानकारी के मुताबिक प्रधानमंत्री कार्यालय इस मामले में हरकत में आ गया है.
सेना प्रमुख बिपिन रावत से कहा गया है कि बादामीबाग कंटोनमेंट जाकर वे खुद हमलावरों की पहचान कर उनके खिलाफ ऑपरेशन लांच कराएं. गृह राज्यमंत्री हंसराज अहीर से कहा गया कि कश्मीर जाकर यात्रा का रिव्यू करें ताकि ऐसा हमला आगे न हो. अमरनाथ यात्रा सात अगस्त तक चलनी है. गवर्नर एनएन वोहरा से कहा गया कि श्राइन बोर्ड की बैठक करें ताकि यात्रा में कोई खलल न आए. मुख्यमंत्री से कहा गया है कि वे कानून-व्यवस्था न बिगड़ने दें.
बीजेपी-पीडीपी सरकार इस हमले के बाद दबाव में है. जम्मू-कश्मीर के उप मुख्यमंत्री निर्मल सिंह ने कहा है कि "कहीं न कहीं कोई न कोई लैप्स तो हुआ है. इसका कौन जिम्मेदार है उसका पता लगाया जाएगा." केंद्र सरकार इस बात को लेकर भी सतर्क है कि इस हमले के बहाने शरारती तत्व बाकी देश में हिंसा न फैलाएं.
दरअसल पिछले कुछ महीनों में घाटी में हो रही हिंसा का स्तर बदला है, स्वभाव बदला है. अब अमरनाथ यात्रियों पर हुए हमले ने सरकार के आगे एक और चुनौती खड़ी कर दी है कि हमले के कारण कहीं देश में हिंसा न फैल जाए. हालांकि कुछ का मनाना है कि इस हमले ने एक अवसर भी दिया है उन अलगाववादियों और आतंकियों को अलग थलग करने का जो इस हमले के लिए जिम्मेदार हैं.
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