स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लालकिले की प्राचीर से देश को संबोधित करते पीएम नरेंद्र मोदी
बीजिंग:
एक चीनी सरकारी दैनिक ने भारत द्वारा पाक अधिकृत कश्मीर में बसे आतंकवाद के शिकारों को मुआवज़ा देने की पेशकश को लेकर तिलमिलाई भाषा में मंगलवार को कहा कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सब्र खो चुके हैं, और उन्होंने दुश्मनी के संभावित रुख और लहजे को अपना लिया है.
बलूचिस्तान को लेकर प्रधानमंत्री की टिप्पणी का पहली बार ज़िक्र करते हुए चीन के सरकारी अखबार 'ग्लोबल टाइम्स' की वेबसाइट ने कहा है कि नरेंद्र मोदी बलूचिस्तान और पीओके का मामला इसलिए उठा रहे हैं, ताकि कश्मीर के तनावपूर्ण माहौल की तरफ से लोगों का ध्यान हटाया जा सके.
समाचारपत्र में कहा गया है, "भारत और पाकिस्तान के रिश्तों को फिर से जीवंत बनाने की अनिच्छा से की गई कोशिशों के बाद प्रधानमंत्री के रूप में तीसरे साल में आ चुके नरेंद्र मोदी ने अब संयम खो दिया है और दुश्मनी के पहले से संभावित कट्टर लहजे को अपना लिया है..."
पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकवाद के शिकार लोगों को पांच लाख रुपये का मुआवज़ा देने को 'उकसाने' वाली कार्रवाई बताते हुए आलेख में कहा गया है कि "ज़्यादा महत्वपूर्ण यह है कि पाकिस्तानी सीमा में बसे कश्मीरी भी इस मुआवजे का दावा कर सकते हैं..."
आलेख में यह भी कहा गया, "उकसाने वाली कार्रवाई सिर्फ यही नहीं है... 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर उनका (मोदी का) भाषण भी ऐसा ही था..." आलेख का इशारा प्रधानमंत्री द्वारा लालकिले की प्राचीर से किए अपने संबोधन में यह कहे जाने की ओर था कि बलूचिस्तान, गिलगित और पाक अधिकृत कश्मीर के लोग वहां मानवाधिकार हनन की बात उठाने के लिए उन्हें धन्यवाद दे रहे हैं.
यह पहला मौका है, जब चीन के सरकारी मीडिया ने इस संदर्भ में कुछ टिप्पणी की गई है कि भारतीय प्रधानमंत्री ने पाक अधिकृत कश्मीर और बलूचिस्तान का ज़िक्र किया, जहां चीन 46 अरब अमेरिकी डॉलर की लागत से आर्थिक गलियारे का निर्माण कर रहा है, और उस पर भारत आपत्ति भी दर्ज करा चुका है, क्योंकि वह पाक अधिकृत कश्मीर से होकर गुज़रता है.
बलूचिस्तान को लेकर प्रधानमंत्री की टिप्पणी का पहली बार ज़िक्र करते हुए चीन के सरकारी अखबार 'ग्लोबल टाइम्स' की वेबसाइट ने कहा है कि नरेंद्र मोदी बलूचिस्तान और पीओके का मामला इसलिए उठा रहे हैं, ताकि कश्मीर के तनावपूर्ण माहौल की तरफ से लोगों का ध्यान हटाया जा सके.
समाचारपत्र में कहा गया है, "भारत और पाकिस्तान के रिश्तों को फिर से जीवंत बनाने की अनिच्छा से की गई कोशिशों के बाद प्रधानमंत्री के रूप में तीसरे साल में आ चुके नरेंद्र मोदी ने अब संयम खो दिया है और दुश्मनी के पहले से संभावित कट्टर लहजे को अपना लिया है..."
पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकवाद के शिकार लोगों को पांच लाख रुपये का मुआवज़ा देने को 'उकसाने' वाली कार्रवाई बताते हुए आलेख में कहा गया है कि "ज़्यादा महत्वपूर्ण यह है कि पाकिस्तानी सीमा में बसे कश्मीरी भी इस मुआवजे का दावा कर सकते हैं..."
आलेख में यह भी कहा गया, "उकसाने वाली कार्रवाई सिर्फ यही नहीं है... 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर उनका (मोदी का) भाषण भी ऐसा ही था..." आलेख का इशारा प्रधानमंत्री द्वारा लालकिले की प्राचीर से किए अपने संबोधन में यह कहे जाने की ओर था कि बलूचिस्तान, गिलगित और पाक अधिकृत कश्मीर के लोग वहां मानवाधिकार हनन की बात उठाने के लिए उन्हें धन्यवाद दे रहे हैं.
यह पहला मौका है, जब चीन के सरकारी मीडिया ने इस संदर्भ में कुछ टिप्पणी की गई है कि भारतीय प्रधानमंत्री ने पाक अधिकृत कश्मीर और बलूचिस्तान का ज़िक्र किया, जहां चीन 46 अरब अमेरिकी डॉलर की लागत से आर्थिक गलियारे का निर्माण कर रहा है, और उस पर भारत आपत्ति भी दर्ज करा चुका है, क्योंकि वह पाक अधिकृत कश्मीर से होकर गुज़रता है.
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