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This Article is From Oct 04, 2018

PM मोदी ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन का गर्मजोशी से किया स्वागत, S-400 मिसाइल डील पर रहेगा फोकस

रूसी रक्षा कंपनियों के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों के मद्देनजर मोदी और पुतिन के इसमें द्विपक्षीय रक्षा सहयोग की समीक्षा करने की उम्मीद है.

PM मोदी ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन का गर्मजोशी से किया स्वागत, S-400 मिसाइल डील पर रहेगा फोकस
पीएम मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का गर्मजोशी से स्वागत किया.
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वार्षिक द्विपक्षीय शिखर बैठक के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दो दिवसीय भारत यात्रा पर गुरुवार को दिल्ली पहुंचे. पीएम मोदी ने गले मिलकर रूसी राष्ट्रपति पुतिन का गर्मजोशी से स्वागत किया. पुतिन के साथ एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी आया है. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने उनकी अगवानी की. 19वां भारत-रूस वार्षिक द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन यहां शुक्रवार को होगा.

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रूसी रक्षा कंपनियों के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों के मद्देनजर मोदी और पुतिन के इसमें द्विपक्षीय रक्षा सहयोग की समीक्षा करने की उम्मीद है. दोनों नेताओं के ईरानी कच्चे तेल के आयात पर अमेरिकी प्रतिबंधों सहित प्रमुख क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी विचार-विमर्श करने की संभावना है. यात्रा के दौरान जोर 'एस-400 ट्राइअम्फ' मिसाइल प्रणाली समझौते पर होगा. क्रेमलिन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को कहा था कि इस यात्रा की खास बात एस-400 वायु रक्षा प्रणाली की आपूर्ति के लिए समझौते पर दस्तखत है और यह करार पांच अरब डॉलर का होगा. 

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विदेश मत्री सुषमा स्वराज ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की अगवानी की.

इससे पहले अमेरिका ने अपने सहयोगी देशों को रूस के साथ किसी तरह के महत्वपूर्ण खरीद फरोख्त के समझौते की दिशा में बढ़ने से आगाह किया है और संकेत दिया है कि ऐसे मामले में वह प्रतिबंधात्मक कार्रवाई कर सकता है. अमेरिका की यह चेतावनी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन की भारत यात्रा से ठीक पहले आई थी, जिसमें दोनों देशों के बीच हथियार प्रणालियों का बड़ा समझौता होने की संभावनाएं जताई जा रही है. अमेरिका का कहना है कि रूस के साथ एस-400 प्रक्षेपास्त्र प्रणाली खरीदने के लिए किया जाने वाला समझौता रूस के साथ एक 'महत्वपूर्ण' व्यापार समझौता माना जाएगा. अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना कर रहे रूस के साथ किसी देश पर दंडनीय प्रतिबंध लगाने के लिए काफी है. 

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अमेरिकी सरकार 'अमेरिका के विरोधियों से प्रबिबंधों के माध्यम से मुकाबला करने का अधिनियम' (सीएएटीएसए) के तहत ईरान, उत्तर कोरिया और रूस के साथ 'महत्वपूर्ण व्यापारिक लेनदेन' करने वाले देश पर प्रतिबंध लगा सकती है. इस अधिनियम के तहत अमेरिका प्रतिबंधित देशों, खास कर रूस के तेल एवं गैस उद्योग, रक्षा एवं सुरक्षा उद्योग और वित्तीय संस्थान उद्योग से जुड़े हितों को लक्ष्य पर रखता है. अमेरिका ने 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रूस के कथित हस्तक्षेप और यूक्रेन में उसके सैन्य हस्तक्षेप की पृष्ठभूमि में यह अधिनियम लागू किया था.

VIDEO : रूसी राष्ट्रपति पुतिन से मिले पीएम मोदी


अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बुधवार को कहा था, 'हम अपने सभी सहयोगी और साझेदारों से अनुरोध करते हैं कि वह रूस के साथ किसी तरह के लेनदेन से बचें ताकि उन पर सीएएटीएसए के तहत प्रतिबंध नहीं लगाना पड़े.' भारत के रूस से एस-400 प्रक्षेपास्त्र रक्षा प्रणाली को खरीदने की योजना के बारे में सवाल पर प्रवक्ता ने कहा, 'सरकार ने संकेत दिया है कि सीएएटीएसए की धारा 231 लगाए जाने के मामले में मुख्य ध्यान क्षमता में नया या गुणात्मक उन्नयन को देखा जाता है-इसमें एस-400 प्रक्षेपास्त्र प्रणाली भी शामिल है. 

(इनपुट : भाषा)

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