दिल्ली में शहीदों के सम्मान में बना नेशनल वॉर मेमोरियल (National War Memorial) को आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने देश को समर्पित किया. ये स्मारक आज़ादी के बाद देश के लिए जान क़ुर्बान करने वाले वीर सैनिकों के सम्मान में तैयार किया गया है. इस अवसर पर पीएम मोदी ने पूर्व सैनिकों से बोले पीएम मोदी, 'आप सभी भूतपूर्व नहीं अभूतपूर्व हैं', क्योंकि आज लाखों सैनिकों के शौर्य और समर्पण के कारण हमारी सेना सबसे बड़ी सेना में से एक है. आपने अपने शौर्य से जो परंपरा बनाई है उसकी कोई तुलना नहीं है. देश पर जब भी संकट आया है तब हमारे सैनिकों ने हमेशा पहला वार अपने ऊपर लिया है...चुनौती को सबसे पहले कबूल किया है और उसका सबसे असरदार जवाब भी दिया है.
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पीएम मोदी ने कहा कि जब लता दीदी ने 'ए मेरे वतन के लोगों' को स्वर दिए थे तो उस समय करोड़ों लोगों की आंखें नम हो गई थीं. मैं पुलवामा में शहीद हुए हर बलिदानी को नमन करता हू. मैं राष्ट्र के सभी मोर्चों पर खड़े वीरों को नमन करता हूं. नया हिन्दुस्तान आज नई नीति और नई रीति से आगे बढ़ रहा है, मजबूती से विश्व पटल पर अपनी भूमिका तय कर रहा है तो उसमें एक योगदान आपका भी है. पीएम नेे कहा कि मुझे बहुत संतोष है कि थोड़ी देर बाद आपका और देश का दशकों लंबा इंतजार खत्म होने वाला है. आजादी के सात दशक बाद मां भारती के लिए बलिदान देने वाले वीरों को याद करने के लिए यह मेमोरियल उनको समर्पति किया जा रहा है. इसमें हजारों शहीदों के नाम अंकित हैं.
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इस मेमोरियल की मांग कई दशक से हो रही थी, लेकिन अभी तक कुछ ठोस नहीं हो पाया था. आपके आशीर्वाद से 2014 में इसे बनाने के लिए प्रक्रिया शुरू की और आज तय समय से पहले इसका लोकार्पण भी होने वाला है. आप सभी ने राष्ट्र के लिए जो किया है वह अद्भूत है. यह स्मारक इस बात का भी प्रतीक है कि संकल्प लेकर उसे सिद्ध कैसे किया जाता है. ऐसा ही एक संकल्प मैंने आपके सामने किया था 'वन रैंक वन पेंशन' का. पहले की सरकारों के समय आपको कितना संधर्ष करना पड़ा था, लेकिन अब वन 'रैंक वन पेंशन' न सिर्फ लागू हुआ है, बल्कि 35 हजार करोड़ रुपये वितरित किए जा चुके हैं. साथियों 'वन रैंक वन पेंसन' से आप सभी की पेंशन में 40 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. इतना ही नहीं मौजूदा सैनिकों की तुलना में 55 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.
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इससे पहले रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, 'हमनें इस दिन के लिए कई दशक का इंतजार किया है. यह वॉर मेमोरियल सिर्फ अपने शहीदों को उनकी शहादत के लिए याद करने के लिए है. यह हमारे लिए गर्व की बात है कि हम ऐसे देश में रहते हैं, जिसकी रक्षा हमारे जाबाज जवान करते हैं. स्वतंत्रता के बाद 22 हजार 500 जवानों ने राष्ट्र के लिए अपनी शहादत दी. इन सभी शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए एक ऐसे वॉर मेमोरियल की जरूरत थी. अभी तक इस देश ने जितनी भी लड़ाई लड़ी है यह मेमोरियल उन सभी को याद करता है. उन्हें श्रद्धांजलि देता है. इस मेमोरियल में चार चक्र होंगे, अमर चक्र, वीर चक्र, त्याग चक्र और रक्षा चक्र. इस मौके पर मैं इस प्रोजेक्ट टीम को बधाई देना चाहती हूं, जिन्होंने इस प्रोजेक्ट से जुड़कर इसे बनाया है. उन्होंने कहा कि यह मेमोरियल का डिजाइन नायाब है. हम चाहते हैं कि अपने बहादुर शहीदों को याद करने के लिए हर भारतीय यहां आए और उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दें.
नेशनल वॉर मेमोरियल के निर्माण में करीब 176 करोड़ रुपये की लागत आई है.
बता दें कि इस मेमोरियल में शहीद हुए 26 हजार सैनिकों के नाम हैं. अब शहीदों से जुड़े कार्यक्रम अमर जवान ज्योति के बजाए नेशनल वॉर मेमोरियल में ही होंगे. इस प्रॉजेक्ट पर करीब 176 करोड़ रुपये की लागत आई है. 1947-48, 1961 में गोवा मुक्ति आंदोलन, 1962 में चीन से युद्ध, 1965 में पाक से जंग, 1971 में बांग्लादेश निर्माण, 1987 में सियाचिन, 1987-88 में श्रीलंका और 1999 में कारगिल में शहीद होने वाले सैनिकों के सम्मान में इसे बनाया गया है. वैसे दिल्ली में इंडिया गेट में भी एक युद्ध स्मारक है, लेकिन वो प्रथम विश्वयुद्ध और अफगान लड़ाई के दौरान शहीद हुए सैनिकों के याद में बना है. इसके बाद 1971 की लड़ाई में शहीद हुए सैनिकों की याद में अमरजवान ज्योति बनाई गई.
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