क्या यूक्रेन संकट (Ukraine Crisis) की वजह से अंतर्राष्ट्रीय तेल बाजार में तेज़ी से महंगे होते कच्चे तेल की वजह से भारत में जल्दी ही पेट्रोल-डीजल (Petrol-Diesel) के दाम बढ़ेंगे? इस अहम सवाल पर पेट्रोलियम मंत्री (Petroleum Minister) हरदीप पुरी ने मंगलवार को चुप्पी तोड़ी. हरदीप पुरी ने कहा, "यह कहना कि चुनाव के कारण हमने कीमतें नहीं बढ़ाई थी... यह कहना ग़लत होगा. तेल की कीमतों को लेकर कंपनियों को तय करना है क्योंकि उन्हें भी बाज़ार में बने रहना है. तेल की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाज़ार के अनुसार तय होती है.''
पुरी ने इशारा किया कि अंतराष्ट्रीय हालात का असर कीमतों (Price) पर पड़ेगा जो मंगलवार को 127 डॉलर प्रति बैरल के आस पास रहीं. उन्होंने कहा, "मैं आप सबको आश्वस्त करता हूं कि देश में कच्चे तेल की कोई कमी नहीं होगी. हम सुनिश्चित करेंगे कि हमारी ऊर्जा जरूरतें पूरी हो सकें. हालांकि, हमारी जरूरतों का 85 प्रतिशत तेल और 55 प्रतिशत गैस (Gas) हम आयात करते हैं... ये भी तो ध्यान रखिए कि दुनिया में हालात क्या हैं? रूस और यूक्रेन में जंग चल रही है. तेल की कीमत इंटरनेशल स्थितियों पर निर्भर करती है. हम अपने नागरिकों के हितों जो अच्छा होगा वह फैसला लेंगे".
उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा, 'एक यंग लीडर लोगों से लगातार कह रहे हैं कि टंकियां भरवा लें, क्योंकि डीजल-पेट्रोल सिर्फ चुनाव तक सस्ते हैं. गंभीरता से कहूं तो जब कांग्रेस सत्ता में थी उन्होंने पेट्रोलियम की कीमतों को डीरेग्यूलेट कर दिया था. हमने तो पिछले साल नवंबर में सेंट्रल एक्साइज (Central Excise) को भी कम किया था".
उधर इस बढ़ते आर्थिक संकट की वजह से एक तरफ जहां कच्चा तेल महंगा होने से आयल इम्पोर्ट बिल (Import Bill) बढ़ता जा रहा है, वहीँ अंतराष्ट्रीय गेहूं बाजार में भारतीय गेहूं की डिमांड बढ़ रही है. दरअसल रूस और यूक्रेन गेहूं के दुनिया में सबसे बड़े निर्यातक देशों में हैं जहाँ से 29% तक गेहूं अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में पहुँचता है. फिलहाल युद्ध और रूस पर लगे पाबंदियों की वजह से गेहूं की सप्लाई बुरी तरह प्रभावित हुई है और भारत के गेहूं निर्यातकों के लिए एक नया अवसर बनता दिख रहा है.
वित्त मंत्रालय के पोस्ट-बजट वेबिनार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "इन दिनों दुनिया में भारत के गेहूं के तरफ आकर्षण बढ़ने की खबरें आ रही हैं. जो गेहूं के एक्सपोर्टर्स होंगे क्या हमारी फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस का ध्यान उनकी तरफ है क्या? हमारा एक्सपोर्ट इंपोर्ट देखने वाले डिपार्टमेंट का ध्यान इस ओर है क्या? ... अगर मानो दुनिया में हमारे गेहूं के लिए अपॉर्चुनिटी आई है तो उसको समय से पहले उत्तम क्वालिटी और उत्तम सर्विस के साथ हम प्रोवाइड करें तो धीरे-धीरे वह परमानेंट बन जाएगा". महंगा होता कच्चा तेल भारत के लिए बड़ा सरदर्द बनता जा रहा है. अगर अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में अनिश्चितता जल्दी ख़तम नहीं हुई तो इसके असर से निपटने की चुनौती बड़ी होती जाएगी.
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