बुंदेलखंड में राहुल गांधी (फाइल फोटो)
वाराणसी:
राहुल गांधी की किसान यात्रा जैसे ही बुंदेलखंड पहुंची तो वहां एक आवाज आम सुनाई पड़ने लगी, वो है अलग बुंदेलखंड राज्य की. क्योंकि यहां के लोग नेताओं के तमाम वादों से उम्मीद खो चुके हैं. उन्हें लगता है कि हर नेता न सिर्फ उन्हें ठगता है बल्कि उसके यहां के संसाधन से अपनी तिजोरी भरता और उन्हें सिर्फ भुखमरी मिलती है. ऐसे में उन्हें लगता है कि अगर उनका अलग राज्य होगा तो उनका विकास होगा. झांसी में राहुल को ऐसे विरोध भी झेलने पड़े.
झांसी के सर्किट हाउस के बाहर अलग बुंदेलखंड राज्य की मांग के लिये किसान यात्रा पर निकले राहुल गांधी को घेरने के लिये लोग अल सुबह ही जुट गये थे. इनका कहना था कि पिछले एक दशक से नेता सिर्फ वादा करते हैं, वो यहां की न तो समस्या से जुड़ते हैं और न ही हमें कोई राजनीतिक भागीदारी देते हैं. उल्टे हमारा खनिज भी ले जाते हैं. लिहाजा जब तक अलग बुंदेलखंड राज्य नहीं बनेगा तब तक हमारा भला नहीं होगा. बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा की सदस्य हमीदा बेगम बताती हैं, 'हमारे यहां के खनिज को ले जाते हैं. हमें उसका कुछ लाभ नहीं मिलता क्योंकि हमारे यहां से कोई राजनीतिक पद नहीं मिलता. किसी आयोग में हमारे यहां के लोग नहीं होते. कभी कोई नेतृत्व नहीं पनप पाता.'
गौरतलब है कि बुंदेलखंड में उत्तर प्रदेश के सात जिले आते हैं. यहां के बेतवा और केन नदी के बालू को लाल सोना कहा जाता है. जिसके खनन में आरोप है कि राज्य के मंत्रियो का कब्ज़ा है. इसी तरह अवैध पत्थर के खनन पर भी उन्हीं के कब्ज़े की बात सामने आती है. बुंदेलखंड दलहन और मटर के साथ दूसरे अनाज की बड़े पैदावार का इलाका है लेकिन यहां बिजली नहीं आती तो पानी की समस्या और हर साल मौसम की मार इस कदर पड़ती है कि हज़ारों किसान बर्बादी की कगार पर पहुंच गये हैं. क़र्ज़ की मार ऐसी कि सैकड़ों किसानों को अब तक लील लिया है. लिहाजा यहां सैकड़ों लोग पलायन करते नज़र आते हैं.
सूखे की मार झेल रहे बुंदेलखंड में राजनीतिक सूखा भी है, लिहाजा अलग राज्य की मांग के लिये भी एकजुटाता नहीं, बल्कि अलग अलग संगठन हैं जो किसी न किसी दल से जुड़े भी नज़र आते हैं. यानी मुद्दा तो एक है पर रास्ते अलग-अलग हैं, लिहाजा आपस में बचाव और टकराव भी है. बुंदेलखंड मुक्ति मोर्चा के अखिलेश तिवारी जहां राहुल पर आरोप लगाते हुए कहते हैं कि मायावाती जी ने जब प्रस्ताव भेजा था तब क्यों नहीं बनाया, आज आप घूम रहे हैं. यहां तो कुछ नहीं दिया, तब आपकी सरकार थी. वहीं बुंदेलखंड निर्माण सेना के अध्यक्ष भानू सहाय कहते हैं, 'मैं गया था, राहुल गांधी से मिला था. उन्होंने कहा कि मायावती जी ने आधा अधूरा प्रस्ताव भेजा है. फिर समाजवादी पार्टी बिल्कुल खिलाफ है. उसके साथ मिल कर सरकार चला रहे हैं. उनके 40 सांसद हैं, इसलिये दिक्कत है.'
बहरहाल, राहुल गांधी 2007 के बाद अब तक 7 दफे बुंदेलखंड आ चुके हैं. यहां दलित के घर खाना खाने के साथ उनकी समस्या सुन हल करने का वादा भी किया था. ये वादा वो अभी हाल में महोबा की पदयात्रा में भी किया था. लेकिन वो पूरा नहीं कर पाये, लिहाजा लोगों में निराशा है.
झांसी के सर्किट हाउस के बाहर अलग बुंदेलखंड राज्य की मांग के लिये किसान यात्रा पर निकले राहुल गांधी को घेरने के लिये लोग अल सुबह ही जुट गये थे. इनका कहना था कि पिछले एक दशक से नेता सिर्फ वादा करते हैं, वो यहां की न तो समस्या से जुड़ते हैं और न ही हमें कोई राजनीतिक भागीदारी देते हैं. उल्टे हमारा खनिज भी ले जाते हैं. लिहाजा जब तक अलग बुंदेलखंड राज्य नहीं बनेगा तब तक हमारा भला नहीं होगा. बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा की सदस्य हमीदा बेगम बताती हैं, 'हमारे यहां के खनिज को ले जाते हैं. हमें उसका कुछ लाभ नहीं मिलता क्योंकि हमारे यहां से कोई राजनीतिक पद नहीं मिलता. किसी आयोग में हमारे यहां के लोग नहीं होते. कभी कोई नेतृत्व नहीं पनप पाता.'
गौरतलब है कि बुंदेलखंड में उत्तर प्रदेश के सात जिले आते हैं. यहां के बेतवा और केन नदी के बालू को लाल सोना कहा जाता है. जिसके खनन में आरोप है कि राज्य के मंत्रियो का कब्ज़ा है. इसी तरह अवैध पत्थर के खनन पर भी उन्हीं के कब्ज़े की बात सामने आती है. बुंदेलखंड दलहन और मटर के साथ दूसरे अनाज की बड़े पैदावार का इलाका है लेकिन यहां बिजली नहीं आती तो पानी की समस्या और हर साल मौसम की मार इस कदर पड़ती है कि हज़ारों किसान बर्बादी की कगार पर पहुंच गये हैं. क़र्ज़ की मार ऐसी कि सैकड़ों किसानों को अब तक लील लिया है. लिहाजा यहां सैकड़ों लोग पलायन करते नज़र आते हैं.
सूखे की मार झेल रहे बुंदेलखंड में राजनीतिक सूखा भी है, लिहाजा अलग राज्य की मांग के लिये भी एकजुटाता नहीं, बल्कि अलग अलग संगठन हैं जो किसी न किसी दल से जुड़े भी नज़र आते हैं. यानी मुद्दा तो एक है पर रास्ते अलग-अलग हैं, लिहाजा आपस में बचाव और टकराव भी है. बुंदेलखंड मुक्ति मोर्चा के अखिलेश तिवारी जहां राहुल पर आरोप लगाते हुए कहते हैं कि मायावाती जी ने जब प्रस्ताव भेजा था तब क्यों नहीं बनाया, आज आप घूम रहे हैं. यहां तो कुछ नहीं दिया, तब आपकी सरकार थी. वहीं बुंदेलखंड निर्माण सेना के अध्यक्ष भानू सहाय कहते हैं, 'मैं गया था, राहुल गांधी से मिला था. उन्होंने कहा कि मायावती जी ने आधा अधूरा प्रस्ताव भेजा है. फिर समाजवादी पार्टी बिल्कुल खिलाफ है. उसके साथ मिल कर सरकार चला रहे हैं. उनके 40 सांसद हैं, इसलिये दिक्कत है.'
बहरहाल, राहुल गांधी 2007 के बाद अब तक 7 दफे बुंदेलखंड आ चुके हैं. यहां दलित के घर खाना खाने के साथ उनकी समस्या सुन हल करने का वादा भी किया था. ये वादा वो अभी हाल में महोबा की पदयात्रा में भी किया था. लेकिन वो पूरा नहीं कर पाये, लिहाजा लोगों में निराशा है.
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