चीफ जस्टिस तीर्थ सिंह ठाकुर (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
भारत के मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू के सेवानिवृत्ति के बाद सुप्रीम कोर्ट बार एसोएशिएसन की तरफ से दिए गए विदाई समारोह में बोलते हुए भारत के नवनियुक्त मुख्य न्यायाधीश तीर्थ सिंह ठाकुर ने कहा कि लोगों का मानना है कि न्यायाधीशों की बहाली न्यायाधीशों के द्वारा ही की जानी चाहिए। लेकिन, कहीं ना कहीं चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता को लेकर लोगों के मन में संशय है।
उन्होंने कहा कि चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता बरती जाए। हमें इसका ध्यान रखकर लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरना होगा। इस वक्त न्यायपालिका पहले से ज्यादा बड़ी चुनौतियों से गुजर रही है।
जस्टिस ठाकुर ने लंबित मामलों को लेकर भी चिंता जताई। जस्टिस ठाकुर ने कहा कि 58 हज़ार मामले अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। ये बहुत ही ज्यादा है। ये किसी भी CJI के लिए के सामने सबसे बड़ी चुनौती होती है कि वो लंबित मामलों का निपटारा जल्द से जल्द करे।
लोग 3 करोड़ केस के बारे में बात करते हैं जो देशभर की अलग अलग अदालतों में लंबित है। लेकिन हर साल 5 करोड़ केस को सुनना पड़ता है। दो करोड़ का निपटारा हो जाता है।
उन्होंने कहा कि लंबित मामलों के निपटारे के लिए टाइम फिक्स करने की जरूरत है। 2016 में हम सब लोगों को मिलकर लंबित मामलों का निपटारा करने का प्रयास करना होगा। इसमें सबके सहयोग कि जरूरत होगी।
जजों की नियुक्ति को लेकर अक्सर सवाल उठते रहे हैं, चाहे वो पारदर्शिता का मामला हो, चाहे जजों के चुनाव का। हमें इसको लेकर भी कदम उठाने कि जरूरत है ताकि लोगों की उम्मीदों को पूरा किया जा सके।
उन्होंने कहा कि चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता बरती जाए। हमें इसका ध्यान रखकर लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरना होगा। इस वक्त न्यायपालिका पहले से ज्यादा बड़ी चुनौतियों से गुजर रही है।
जस्टिस ठाकुर ने लंबित मामलों को लेकर भी चिंता जताई। जस्टिस ठाकुर ने कहा कि 58 हज़ार मामले अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। ये बहुत ही ज्यादा है। ये किसी भी CJI के लिए के सामने सबसे बड़ी चुनौती होती है कि वो लंबित मामलों का निपटारा जल्द से जल्द करे।
लोग 3 करोड़ केस के बारे में बात करते हैं जो देशभर की अलग अलग अदालतों में लंबित है। लेकिन हर साल 5 करोड़ केस को सुनना पड़ता है। दो करोड़ का निपटारा हो जाता है।
उन्होंने कहा कि लंबित मामलों के निपटारे के लिए टाइम फिक्स करने की जरूरत है। 2016 में हम सब लोगों को मिलकर लंबित मामलों का निपटारा करने का प्रयास करना होगा। इसमें सबके सहयोग कि जरूरत होगी।
जजों की नियुक्ति को लेकर अक्सर सवाल उठते रहे हैं, चाहे वो पारदर्शिता का मामला हो, चाहे जजों के चुनाव का। हमें इसको लेकर भी कदम उठाने कि जरूरत है ताकि लोगों की उम्मीदों को पूरा किया जा सके।
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