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This Article is From Feb 11, 2016

पीडीपी की महबूबा मुफ्ती के समर्थन की वह चिट्ठी जो अपने पते पर नहीं पहुंच पाई

पीडीपी की महबूबा मुफ्ती के समर्थन की वह चिट्ठी जो अपने पते पर नहीं पहुंच पाई
महबूबा मुफ्ती (फाइल फोटो)
श्रीनगर: जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे मुफ्ती मोहम्मद सईद के देहांत के बाद अभी तक पीडीपी की सरकार बन चुकी होती अगर कहानी वैसा मोड़ नहीं लेती जैसा उसने दरअसल लिया है। 7 जनवरी को सईद की मृत्यु के बाद शाम को पीडीपी ने महबूबा मुफ्ती के समर्थन में एक चिट्ठी राज्यपाल एनएन वोहरा को सौंपने का फैसला कर लिया था लेकिन आखिरी पल में पार्टी ने अपने कदम वापस खींच लिए। यह जानकारी एक आरटीआई जांच से सामने आई है।

जम्मू कश्मीर के राज्यपाल वोहरा ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के नाम 9 जनवरी को एक चिट्ठी लिखी थी जिसमें उन्होंने राज्यपाल शासन लागू करने के लिए मंजूरी मांगी थी। एक आरटीआई के ज़रिए पहुंच में आई इस चिट्ठी में राज्यपाल ने राष्ट्रपति को लिखा है कि पीडीपी के एक दल ने वरिष्ठ नेता मुज्ज़फर हुसैन बैग की अगुवाई में  7 जनवरी की शाम को उनसे मुलाकात की थी। यह मीटिंग श्रीनगर हवाईअड्डे पर हुई थी जब राज्यपाल जम्मू जा रहे थे। लेकिन इसी बीच बैग को पता नहीं क्या सूझी और उन्होंने समर्थन की वह चिट्ठी देने का इरादा बदल दिया।

महबूबा का इंकार
वोहरा ने राष्ट्रपति को भेजी इस चिट्ठी में लिखा है 'बैग ने मुझसे कहा कि वह यह चिट्ठी अपनी पार्टी की तरफ से लाए हैं जिसमें बताया गया है कि पीडीपी चाहती है कि सांसद महबूबा मुफ्ती, राज्य की अगली मुख्यमंत्री होंगी।' वोहरा लिखते हैं 'लेकिन फिर बैग ने कहा कि वह यह चिट्ठी मुझे नहीं दे रहे हैं क्योंकि वह एक बार फिर यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि पीडीपी के सभी विधायक इस फैसले से सहमत हैं या नहीं।'
 
जम्मू कश्मीर के राज्यपाल एनएन वोहरा (फाइल फोटो)

हालांकि बाद में पीडीपी ने साफ किया कि महबूबा ने ही अपनी पिता की मृत्यु के तुरंत बाद कुर्सी संभालने से इंकार कर दिया था। फिलहाल मुफ्ती ने राज्य में अपनी सहयोगी पार्टी बीजेपी के सामने गठबंधन एजेंडे के क्रियान्वयन से संबंधित कई तरह की शर्ते रख दी हैं। लेकिन बीजेपी ने इस संबंध में किसी भी तरह का आश्वासन देने से इंकार करते हुए कहा है कि मुफ्ती अपने उस वोटबैंक को शांत करने की कोशिश कर रही हैं जो शुरू से ही सैद्धांतिक रूप से दो भिन्न पार्टियों के गठबंधन को लेकर नाराज़ थी। 2 फरवरी को दोनों ही पार्टियों ने राज्यपाल से मुलाकात करके इस मामले को सुलझाने के लिए थोड़ा और वक्त मांगा है।

हालांकि इस पूरे मसले में बीजेपी ज्यादा मौखिक होकर सामने नहीं आ रही है क्योंकि वह ऐसी पार्टी के रूप में नहीं दिखना चाहती जिसने गठबंधन को नुकसान पहुंचाने या राज्य को राजनीतिक संघर्ष के बीच लाकर खड़ा कर दिया है। अगले हफ्ते दोनों पार्टियों के बीच मतभेद को दूर करने के लिए वरिष्ठ बीजेपी नेता राम माधव के श्रीनगर जाने की खबर है।

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