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This Article is From Nov 15, 2018

कमजोर बैंकों के लिए उदार किए जा सकते हैं पीसीए नियम, रिजर्व बैंक और सरकार के बीच सहमति की कोशिशें

रिजर्व बैंक और सरकार के बीच कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर सहमति बनाने के प्रयास जारी, आरबीआई के निदेशक मंडल की बैठक 19 नवंबर को

कमजोर बैंकों के लिए उदार किए जा सकते हैं पीसीए नियम, रिजर्व बैंक और सरकार के बीच सहमति की कोशिशें
रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल (फाइल फोटो).
नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक के निदेशक मंडल की 19 नवंबर की बैठक से पहले सरकार और केंद्रीय बैंक कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर सहमति बनाने का प्रयास कर रहे हैं. सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए कहा कि दोनों ओर से प्रसास है कि खासकर कमजोर बैंकों पर लागू त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) के अंकुशों में ढील देने और सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्योगों (एमएसएमई) क्षेत्र के लिए कर्ज के नियमों को सरल बनाने के बारे में सहमति के समाधान तय किए जा सकें.

सूत्रों ने कहा कि बोर्ड की इस बैठक में न सही पीसीए रूपरेखा पर कोई सहमति अगले कुछ सप्ताह में जरूर बन जाएगी. वित्त मंत्रालय लगातार इसके लिए दबाव बना रहा है. यदि पीसीए नियमों को उदार कर दिया जाता है तो कई बैंक इस वित्त वर्ष के अंत तक पीसीए के अंकुश से बाहर आ जाएंगे.

सार्वजनिक क्षेत्र के 21 बैंकों में से 11 पर आरबीआई ने पीसीए का शिकंजा कस रखा है जिसके तहत उन्हें कर्ज स्वीकृत करने पर कई तरह की रोक लगी हुई है. ये बैंक हैं- इलाहाबाद बैंक, यूनाइटेड बैंक आफ इंडिया, कॉरपोरेशन बैंक, आईडीबीआई बैंक, यूको बैंक, बैंक आफ इंडिया, सेंट्रल बैंक आफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, ओरिएंटल बैंक आफ कॉमर्स, देना बैंक और बैंक आफ महाराष्ट्र. पीसीए व्यवस्था तब लागू होती है जबकि वाणिज्य बैंक आरबीआई द्वारा सुरक्षित बैंकिंग कारोबार के बारे में तय तीन प्रमुख कसौटियों में से किसी एक भर भी विफल हो जाते हैं. ये तीन नियामकीय व्यवस्थाएं हैं- पूंजी से जोखिम भारांश संपत्ति अनुपात, शुद्ध गैर निष्पादित आस्तियां, संपत्तियों पर प्रतिफल (आरओए).

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सूत्रों ने कहा कि रिजर्व बैंक एमएसएमई क्षेत्र के लिए ऋण के नियमों को उदार करने पर सहमत हो सकता है. इसमें सख्त रेटिंग मानदंड भी शामिल है जिससे इस क्षेत्र को ऋण का प्रवाह बढ़ सके. इसके अलावा ऐसी उम्मीद है कि केंद्रीय बैंक एमएसएमई तथा गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए विशेष व्यवस्था पर विचार कर सकता है. ये क्षेत्र नकदी संकट से जूझ रहे हैं.

सरकार का मानना है कि 12 करोड़ लोगों को रोजगार देने वाला एमएसएमई क्षेत्र अर्थव्यवस्था के लिए काफी महत्वपूर्ण है. यह क्षेत्र नोटबंदी तथा माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के बाद काफी प्रभावित हुआ है और इसे समर्थन की जरूरत है. हालांकि, केंद्रीय एमएसएमई तथा एनबीएफसी क्षेत्रों के लिए विशेष व्यवस्था के पक्ष में नहीं है क्योंकि वह इन्हें संवेदनशील क्षेत्र मानता है.

VIDEO : रिजर्व बैंक और सरकार के बीच मतभेद

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पिछले सप्ताह कहा था कि एनपीए को कम से कम करने की जरूरत है ताकि बैंकिंग प्रणाली की मजबूती को कायम रखा जा सके जिससे यह अर्थव्यवस्था की वृद्धि में मदद दे सके.
(इनपुट भाषा से)

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