पेमेंट कार्ड इंडस्ट्री सिक्योरिटी स्टैंडर्ड काउंसिल पता करेगी कि कैसे हुई डेबिट कार्डों में सेंधमारी

पेमेंट कार्ड इंडस्ट्री सिक्योरिटी स्टैंडर्ड काउंसिल पता करेगी कि कैसे हुई डेबिट कार्डों में सेंधमारी

प्रतीकात्मक फोटो

खास बातें

  • वित्त मंत्रालय ने कई स्तर पर जांच के आदेश दिए
  • फारेंसिक ऑडिट के अंतिम नतीजे अक्टूबर के अंत तक आएंगे
  • 641 ग्राहकों के करीब सवा करोड़ रुपये निकाले गए
नई दिल्ली:

देश के अलग-अलग बैंकों के लाखों डेबिट कार्ड की सूचनाएं कैसे चुरा ली गईं और कुछ से पैसे भी कैसे निकाल लिए गए, इसकी जांच के लिए अब केंद्र सरकार ने एक अंतरराष्ट्रीय संस्था पेमेंट कार्ड इंडस्ट्री सिक्योरिटी स्टैंडर्ड काउंसिल से बात की है. यह काउंसिल पता करेगी कि वह कौन सी खामियां हैं जिनसे यह लीक मुमकिन हुई और इसका दायरा असल में कितना बड़ा है.

19 बैंकों के लाखों एटीएम के डाटा लीक का दायरा जैसे-जैसे बड़ा होता जा रहा है, वैसे-वैसे केंद्र सरकार की फिक्र बढ़ती जा रही है. शुक्रवार को वित्त मंत्रालय के एक कार्यक्रम से निकलते हुए अरुण जेटली ने कैमरे पर इस मामले पर कुछ नहीं कहा, लेकिन एनडीटीवी को मिली जानकारी के मुताबिक वित्त मंत्रालय ने कई स्तर पर जांच के आदेश दिए हैं.

वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया है कि इस पूरे मामले की फारेंसिक ऑडिट की जिम्मेदारी अंतरराष्ट्रीय संस्था पेमेंट कार्ड इंडस्ट्री सिक्योरिटी स्टैंडर्ड' काउंसिल को सौंपी गई है.  फारेंसिक ऑडिट के अंतिम नतीजे अक्टूबर के आखिर तक आएंगे. जांच रिपोर्ट स्टडी करने के बाद वित्त मंत्रालय आगे की जरूरी कार्रवाई करेगा. वित्त मंत्रालय ने बैंकों और रिजर्व बैंक को भी इस मामले की तहकीकात करने को कहा है.

फिलहाल सरकार को अब तक जो सूचना मिली है उसके मुताबिक सेंध मई से सितंबर के बीच लगी. हिताची पेमेंट सर्विसेज के लोगों को साफ-सफाई के दौरान एक एटीएम स्विच में कुछ गड़बड़ दिखी. हिताची पेमेंट सर्विसेज ने फौरन इस बारे में सभी बैंकों को सतर्क किया.

नेशनल पेमेंट कार्पोरेशन ऑफ इंडिया यानी एनपीसीआई ने इसके बाद जांच शुरू की. एनपीसीआई ने सभी बैंकों को सलाह दी कि ग्राहकों से पिन बदलने को कहा जाए. बाद में तय हुआ कि मौजूदा परिस्थिति में सुरक्षा के दृष्टिकोण से डेबिट कार्ड बदलना भी बेहद जरूरी होगा.

नेशनल पेमेंट कार्पोरेशन ऑफ इंडिया ने अपनी पहली आधिकारिक जानकारी में बताया कि 641 ग्राहकों के करीब सवा करोड़ रुपये निकाले गए हैं. लेकिन जिस तरह लीक का दायरा बढ़ता जा रहा है, उससे नए अंदेशे पैदा हुए हैं.


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