फाइल फोटो
नई दिल्ली:
" एजीएस 25 दिसंबर 2015" - यह शब्द उस चिट पर लिखे हुए हैं जो आतंकियों द्वारा इस्तेमाल की गई कार में एनआईए को मिली है। एजीएस का मतलब है 'अफजल गुरु स्क्वाड'। 25 दिसंबर 2015, यानी वह तारीख जब प्रधानमंत्री अचानक लाहौर में उतरे थे। पठानकोट पर हमला करने वाले आतंकी खुद को एजीएस यानी 'अफजल गुरु स्क्वाड' का हिस्सा बता रहे हैं। यह जांच एजेंसियों का नया सिरदर्द है।
पठानकोट हमले को लेकर एनआईए की जांच-पड़ताल जारी है। एनआईए को छानबीन में कई ऐसी चीज़ें मिली हैं जिनके हमले से संबंध की जांच की जा रही है।
आतंकी हमलों का आपस में संबंध
अफजल की फांसी के बाद बढ़े फिदाईन हमले
खुफिया एजेंसियां बता रही हैं कि अफजल की फांसी के बाद फिदाईन हमले बढ़े हैं। जबकि पहले कश्मीर में हमले लगभग खत्म हो चले थे। संकट यह है कि आतंक का यह खेल सीमा पार से जारी है, जिस पर अब पाकिस्तान कार्रवाई की बात कर रहा है।
बड़ी मात्रा में हथियार कैसे आए?
पठानकोट आतंकी हमले की जांच कर रही एनआईए अब यह जानने की कोशिश में जुटी है कि पाकिस्तान से आए आतंकियों को यहां किसने मदद की और पनाह दी? संभावना यही जताई जा रही है कि आतंकी हमले से बहुत पहले यहां आ गए थे। वह अपने साथ बड़ी मात्रा में हथियार और साजो-सामान लाए थे। ऐसा करना बिना मदद के मुमकिन नहीं था।
भारत और पाकिस्तान के बदलते रिश्ते
दरअसल भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में पिछले कुछ सालों में काफी बदलाव देखे गए हैं। जब भारत में भाजपा सरकार आई तो दोनों मुल्कों में तल्ख़ी कुछ ज्यादा हो गई। अब सम्बंध कुछ बेहतर हो रहे थे कि पठानकोट में हमला हो गया। उम्मीद की जानी चाहिए की इसी हमले को बुनियाद बनाकर दोनों देश शांति कि दिशा में बढ़ेंगे।
पठानकोट हमले को लेकर एनआईए की जांच-पड़ताल जारी है। एनआईए को छानबीन में कई ऐसी चीज़ें मिली हैं जिनके हमले से संबंध की जांच की जा रही है।
आतंकी हमलों का आपस में संबंध
- कठुआ और सांबा में हुए आतंकी हमलों में भी एजीएस लिखे ऐसे परचे मिले थे।
- मजारे शरीफ़ की जांच में भी आतंकियों के पास ऐसी चिट मिली थीं।
- बताया जा रहा है कि अफजल की मौत के बाद जैश ने 'अफजल गुरु स्क्वाड' बनाया है।
- अफजल के नाम पर नौजवानों को बहकाया जा रहा है। कम से कम 60 लड़कों को फिदाईन ट्रेनिंग दी गई है।
अफजल की फांसी के बाद बढ़े फिदाईन हमले
खुफिया एजेंसियां बता रही हैं कि अफजल की फांसी के बाद फिदाईन हमले बढ़े हैं। जबकि पहले कश्मीर में हमले लगभग खत्म हो चले थे। संकट यह है कि आतंक का यह खेल सीमा पार से जारी है, जिस पर अब पाकिस्तान कार्रवाई की बात कर रहा है।
बड़ी मात्रा में हथियार कैसे आए?
पठानकोट आतंकी हमले की जांच कर रही एनआईए अब यह जानने की कोशिश में जुटी है कि पाकिस्तान से आए आतंकियों को यहां किसने मदद की और पनाह दी? संभावना यही जताई जा रही है कि आतंकी हमले से बहुत पहले यहां आ गए थे। वह अपने साथ बड़ी मात्रा में हथियार और साजो-सामान लाए थे। ऐसा करना बिना मदद के मुमकिन नहीं था।
भारत और पाकिस्तान के बदलते रिश्ते
दरअसल भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में पिछले कुछ सालों में काफी बदलाव देखे गए हैं। जब भारत में भाजपा सरकार आई तो दोनों मुल्कों में तल्ख़ी कुछ ज्यादा हो गई। अब सम्बंध कुछ बेहतर हो रहे थे कि पठानकोट में हमला हो गया। उम्मीद की जानी चाहिए की इसी हमले को बुनियाद बनाकर दोनों देश शांति कि दिशा में बढ़ेंगे।
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