पठानकोट में आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन के दौरान सुरक्षा बल
नई दिल्ली:
सरकार के दावे के मुताबिक इस हमले को भले ही काफी हद तक सीमित कर दिया गया हो, लेकिन सवाल फिर भी उठ रहे हैं।
31 दिसंबर की आधी रात को गुरदासपुर के एसपी सलविंदर सिंह को दो साथियों के साथ गाड़ी समेत आतंकियों ने अगवा कर लिया था। सुबह एयरफोर्स बेस से करीब दो किलोमीटर दूर एसपी की गाड़ी मिल चुकी थी। एसपी सलविंदर सिंह पुलिस को पूरा वाकया बता भी चुके थे, फिर भी आतंकियों का दिन भर पता क्यों नहीं लगाया जा सका।
आतंकी 1 जनवरी की रात एयरफोर्स बेस के अंदर घुसने में कैसे कामयाब हो गए। ये सब तब हुआ, जब दिल्ली में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने तुरंत उच्च स्तरीय बैठक की। एनएसजी की एक टीम को 1 जनवरी की ही शाम को पठानकोट रवाना कर दिया गया। सेना की स्पेशल फोर्सेस के दो कॉलम भी पठानकोट एयरबेस के अंदर तैनात कर दी गई और एयरफोर्स के गरूड़ कमांडो भी सतर्क हो गए। आतंकवादियों की सीमापार हो रही बातचीत को भी ट्रेस कर लिया गया।
वायुसेना का दावा है कि सभी एजेंसियों के बीच तालमेल बढ़िया रहा। लेकिन पक्की सूचना होने के बावजूद हमले को रोका नहीं जा सका। ये सुरक्षा तंत्र की विफलता है, जिसका जिम्मा कोई भी लेने को तैयार नहीं है। पंजाब बीते छह महीने में ही दूसरी बड़ा आतंकी हमला झेल चुका है।
पिछले साल गुरदासपुर के दीनानगर पुलिस थाने पर आतंकी हमला हुआ था और इस बार भी आतंकी लगभग उसी रास्ते सीमापार से पंजाब में घुसे। लेकिन पंजाब सरकार पिछली बार की ही तरह इस बार भी भरोसे की घुट्टी पिला रही है। पठानकोट ऑपरेशन पूरा होने के बाद घुसपैठ को लेकर बीएसएफ़ से भी जवाब तलब किया जाएगा, गृह मंत्रालय ने इसके संकेत दे दिए हैं।
31 दिसंबर की आधी रात को गुरदासपुर के एसपी सलविंदर सिंह को दो साथियों के साथ गाड़ी समेत आतंकियों ने अगवा कर लिया था। सुबह एयरफोर्स बेस से करीब दो किलोमीटर दूर एसपी की गाड़ी मिल चुकी थी। एसपी सलविंदर सिंह पुलिस को पूरा वाकया बता भी चुके थे, फिर भी आतंकियों का दिन भर पता क्यों नहीं लगाया जा सका।
आतंकी 1 जनवरी की रात एयरफोर्स बेस के अंदर घुसने में कैसे कामयाब हो गए। ये सब तब हुआ, जब दिल्ली में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने तुरंत उच्च स्तरीय बैठक की। एनएसजी की एक टीम को 1 जनवरी की ही शाम को पठानकोट रवाना कर दिया गया। सेना की स्पेशल फोर्सेस के दो कॉलम भी पठानकोट एयरबेस के अंदर तैनात कर दी गई और एयरफोर्स के गरूड़ कमांडो भी सतर्क हो गए। आतंकवादियों की सीमापार हो रही बातचीत को भी ट्रेस कर लिया गया।
वायुसेना का दावा है कि सभी एजेंसियों के बीच तालमेल बढ़िया रहा। लेकिन पक्की सूचना होने के बावजूद हमले को रोका नहीं जा सका। ये सुरक्षा तंत्र की विफलता है, जिसका जिम्मा कोई भी लेने को तैयार नहीं है। पंजाब बीते छह महीने में ही दूसरी बड़ा आतंकी हमला झेल चुका है।
पिछले साल गुरदासपुर के दीनानगर पुलिस थाने पर आतंकी हमला हुआ था और इस बार भी आतंकी लगभग उसी रास्ते सीमापार से पंजाब में घुसे। लेकिन पंजाब सरकार पिछली बार की ही तरह इस बार भी भरोसे की घुट्टी पिला रही है। पठानकोट ऑपरेशन पूरा होने के बाद घुसपैठ को लेकर बीएसएफ़ से भी जवाब तलब किया जाएगा, गृह मंत्रालय ने इसके संकेत दे दिए हैं।
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