प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने मंगलवार को पंजाब की उस दरगाह के संरक्षक को तलब किया जहां का पुलिस अधीक्षक रैंक के एक अधिकारी ने आतंकवादियों द्वारा उनका अपहरण किए जाने से पहले दौरा किया था। इस अपहरण के कुछ घंटे बाद ही आतंकवादियों ने पठानकोट वायुसेना अड्डे पर हमला किया था।
बमियाल गांव के समीप से घुसपैठ का आशंका
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि एनआईए ने बमियाल गांव से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित पंज पीर दरगाह के संरक्षक सोमराज को तलब किया। इसी गांव से आतंकवादियों के भारत में घुसपैठ करके हमला करने की आशंका है।
अचानक दरगाह के दौरे
सोमराज के इस बयान ने कई सवाल खड़े किए हैं कि पुलिस अधीक्षक रैंक के अधिकारी सलविंदर सिंह हमले से पहले पहली बार दरगाह पर आए थे। उनके मित्र राजेश वर्मा तथा उनका रसोइया मदन गोपाल एक ही दिन में दो बार दरगाह पर आए थे। सवाल इसलिए खड़े हुए हैं क्योंकि पुलिस अधिकारी ने दावा किया है कि वह नियमित रूप से दरगाह जाते हैं।
सिंह के बयानों में विरोधाभास
एनआईए मुख्यालय में सिंह से मंगलवार को लगातार दूसरे दिन पूछताछ की जा रही है। जांचकर्ता उनसे कड़े सवाल पूछ रहे हैं। जांचकर्ता पंजाब पुलिस को दिए सिंह के बयान में कई ‘विरोधाभासों’ के बारे में सवाल पूछ रहे हैं जिसमें उन्होंने दावा किया था कि हिन्दी, उर्दू और कश्मीरी भाषाएं बोलने वाले आतंकवादियों ने उनकी आंखों पर पट्टी बांध दी थी।
बमियाल गांव के समीप से घुसपैठ का आशंका
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि एनआईए ने बमियाल गांव से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित पंज पीर दरगाह के संरक्षक सोमराज को तलब किया। इसी गांव से आतंकवादियों के भारत में घुसपैठ करके हमला करने की आशंका है।
अचानक दरगाह के दौरे
सोमराज के इस बयान ने कई सवाल खड़े किए हैं कि पुलिस अधीक्षक रैंक के अधिकारी सलविंदर सिंह हमले से पहले पहली बार दरगाह पर आए थे। उनके मित्र राजेश वर्मा तथा उनका रसोइया मदन गोपाल एक ही दिन में दो बार दरगाह पर आए थे। सवाल इसलिए खड़े हुए हैं क्योंकि पुलिस अधिकारी ने दावा किया है कि वह नियमित रूप से दरगाह जाते हैं।
सिंह के बयानों में विरोधाभास
एनआईए मुख्यालय में सिंह से मंगलवार को लगातार दूसरे दिन पूछताछ की जा रही है। जांचकर्ता उनसे कड़े सवाल पूछ रहे हैं। जांचकर्ता पंजाब पुलिस को दिए सिंह के बयान में कई ‘विरोधाभासों’ के बारे में सवाल पूछ रहे हैं जिसमें उन्होंने दावा किया था कि हिन्दी, उर्दू और कश्मीरी भाषाएं बोलने वाले आतंकवादियों ने उनकी आंखों पर पट्टी बांध दी थी।
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