बमियाल गांव में मिले आतंकियों के जूतों के निशान।
पठानकोट:
पठानकोट के आतंकी हमले की जांच में एनआईए के सामने कई सवाल हैं। आतंकी कहां से घुसे, किन रास्तों से आए और उनको हथियार कैसे मिले, यह अहम सवाल हैं। NDTV इंडिया ने उस पूरे इलाके का जायजा लिया जिसमें आतंकवादियों का रूट मैप बनता है।
एनआईए को मिले आतंकियों के निशान
बमियाल वह गांव है जहां आतंकियों के कुछ निशान मिल रहे हैं। यहां खेतों की गीली मिट्टी में उनके बूटों के निशान थे। जांच एजेंसियों ने इसको लेकर दो भाइयों पूर्व सूबेदार नारायण सिंह से पूछताछ भी की। उन्होंने हमें भी बताया कि उस सुबह उन्होंने क्या-क्या देखा। नारायण सिंह ने NDTV इंडिया को बताया कि "जब मैं अपने खेत में सुबह गया तो मैंने देखा, दो लोगों के पैरों के निशान थे। मैंने पानी छोड़ा हुआ था इसलिए मिट्टी में उनके बूट के निशान भी मिल गए। एनआईए की टीम यहां आई थी। मैंने उन्हें सब बता दिया। उन्होंने यहां फोटो भी खींचे और फिर चले गए।" पूर्व सैनिक होने के नाते नारायण सिंह ने सुरक्षा एजेंसियों की मदद की तो उनके छोटे भाई जसपाल ने भी भारतीय नागरिक होने का फर्ज़ निभाया। जयपाल ने कहा कि " मैं गांव में गया तो पता चला कि एकाग्र सिंह का कत्ल हो गया। मैंने तब ऐजेंसियों को सब बता दिया।"
बीएसएफ ने एनआईए को दी इलाके की जानकारी
सीमबल गांव में एनआईए की पूरी टीम पहुंची। खुद डीजी शरद कुमार भी वहां पहुंचे। बीएसएफ के लोग उन्हें पूरे इलाके के बारे में जानकारी देते हुए दिखायी दिए। वैसे बीएसएफ ने एक अंदरूनी जांच के आदेश दे दिए हैं।
क्या उझ नदी की आड़ में हुई घुसपैठ
उझ वह नदी है जो भारत और पाकिस्तान को बांटती है। तारों के पार पाकिस्तान है। नदी में पानी फिलहाल कम है और कई जगह तार भी नहीं हैं। मुमकिन है आतंकी इस रास्ते से भी आए हों। एनआईए की टीम यहां भी यह देखने के लिए आई कि बीएसएफ की गश्त के बावजूद आखिर आतंकी इतनी आसानी से भारत में कैसे दाखिल हो गए।
एनआईए की जांच में तेजी
एनआईए की जांच में कुछ चीज़ें धीरे-धीरे साफ हो रही हैं। पता चला कि आतंकी दो गुटों में एयरबेस में दाखिल हुए। पहला गुट एक जनवरी की सुबह ही आ गया और दीवार के पास ही छुपा रहा। पहले दिन मारे गए चार आतंकियों का काम सुरक्षा बलों को भटकाना भर था। बाकी दो को तकनीकी इलाके मे घुसकर तबाही मचानी थी। कॉल डीटेल से यह सारी जानकारियां मिली हैं।
क्या ड्रग्स तस्करी का रूट इस्तेमाल किया?
जांच एजेंसियां अपहृत एसपी और मारे गए एकागर सिंह की भूमिका की भी तफ़्तीश में लगी हैं। उन्हें लग रहा है एकागर सिंह ड्रग रैकेट का हिस्सा हो सकता है। वह सरहद से अगले ठिकाने तक सामान पहुंचाने का काम करता रहा होगा। पाकिस्तान से फोन आने के बाद वह निकला लेकिन उसे अहसास हो गया कि इस बार वह आतंकियों को ले जा रहा है। शायद उसने इरादतन कार टकरा दी। एसपी के भी ड्रग रैकेट का हिस्सा होने की संभावना पर जांच की जा रही है।
गुरदासपुर और पठानकोठ में सतर्कता
इस बीच हर संदिग्ध चीज पर सुरक्षा बलों की नज़र है। पंढेर मे दो संदिग्ध लोगों के घूमने की खबर मिलते ही उन्होंने पूरे इलाके की तलाशी का काम शुरू कर दिया। पूरे गांव को खाली भी करा लिया गया। पठानकोट के बाद सुरक्षाबल जरा भी लापरवाही के लिए तैयार नहीं है।
एनआईए को मिले आतंकियों के निशान
बमियाल वह गांव है जहां आतंकियों के कुछ निशान मिल रहे हैं। यहां खेतों की गीली मिट्टी में उनके बूटों के निशान थे। जांच एजेंसियों ने इसको लेकर दो भाइयों पूर्व सूबेदार नारायण सिंह से पूछताछ भी की। उन्होंने हमें भी बताया कि उस सुबह उन्होंने क्या-क्या देखा। नारायण सिंह ने NDTV इंडिया को बताया कि "जब मैं अपने खेत में सुबह गया तो मैंने देखा, दो लोगों के पैरों के निशान थे। मैंने पानी छोड़ा हुआ था इसलिए मिट्टी में उनके बूट के निशान भी मिल गए। एनआईए की टीम यहां आई थी। मैंने उन्हें सब बता दिया। उन्होंने यहां फोटो भी खींचे और फिर चले गए।" पूर्व सैनिक होने के नाते नारायण सिंह ने सुरक्षा एजेंसियों की मदद की तो उनके छोटे भाई जसपाल ने भी भारतीय नागरिक होने का फर्ज़ निभाया। जयपाल ने कहा कि " मैं गांव में गया तो पता चला कि एकाग्र सिंह का कत्ल हो गया। मैंने तब ऐजेंसियों को सब बता दिया।"
बीएसएफ ने एनआईए को दी इलाके की जानकारी
सीमबल गांव में एनआईए की पूरी टीम पहुंची। खुद डीजी शरद कुमार भी वहां पहुंचे। बीएसएफ के लोग उन्हें पूरे इलाके के बारे में जानकारी देते हुए दिखायी दिए। वैसे बीएसएफ ने एक अंदरूनी जांच के आदेश दे दिए हैं।
भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित उझ नदी।
क्या उझ नदी की आड़ में हुई घुसपैठ
उझ वह नदी है जो भारत और पाकिस्तान को बांटती है। तारों के पार पाकिस्तान है। नदी में पानी फिलहाल कम है और कई जगह तार भी नहीं हैं। मुमकिन है आतंकी इस रास्ते से भी आए हों। एनआईए की टीम यहां भी यह देखने के लिए आई कि बीएसएफ की गश्त के बावजूद आखिर आतंकी इतनी आसानी से भारत में कैसे दाखिल हो गए।
एनआईए की जांच में तेजी
एनआईए की जांच में कुछ चीज़ें धीरे-धीरे साफ हो रही हैं। पता चला कि आतंकी दो गुटों में एयरबेस में दाखिल हुए। पहला गुट एक जनवरी की सुबह ही आ गया और दीवार के पास ही छुपा रहा। पहले दिन मारे गए चार आतंकियों का काम सुरक्षा बलों को भटकाना भर था। बाकी दो को तकनीकी इलाके मे घुसकर तबाही मचानी थी। कॉल डीटेल से यह सारी जानकारियां मिली हैं।
क्या ड्रग्स तस्करी का रूट इस्तेमाल किया?
जांच एजेंसियां अपहृत एसपी और मारे गए एकागर सिंह की भूमिका की भी तफ़्तीश में लगी हैं। उन्हें लग रहा है एकागर सिंह ड्रग रैकेट का हिस्सा हो सकता है। वह सरहद से अगले ठिकाने तक सामान पहुंचाने का काम करता रहा होगा। पाकिस्तान से फोन आने के बाद वह निकला लेकिन उसे अहसास हो गया कि इस बार वह आतंकियों को ले जा रहा है। शायद उसने इरादतन कार टकरा दी। एसपी के भी ड्रग रैकेट का हिस्सा होने की संभावना पर जांच की जा रही है।
गुरदासपुर और पठानकोठ में सतर्कता
इस बीच हर संदिग्ध चीज पर सुरक्षा बलों की नज़र है। पंढेर मे दो संदिग्ध लोगों के घूमने की खबर मिलते ही उन्होंने पूरे इलाके की तलाशी का काम शुरू कर दिया। पूरे गांव को खाली भी करा लिया गया। पठानकोट के बाद सुरक्षाबल जरा भी लापरवाही के लिए तैयार नहीं है।
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