भारतीय विदेश सचिव एस जयशंकर (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
पाकिस्तान के विदेश सचिव एजाज़ चौधरी ने सोमवार को इस्लामाबाद में भारत से हाई कमिश्नर गौतम बंबेवाला को बुलाकर विदेश सचिव एस जयशंकर के लिए एक चिट्ठी दी. इस चिट्ठी में जयशंकर को इस्लामाबाद आकर जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर बात करने का न्योता दिया गया है.
असल में यही बयान विदेश मामलों पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ के सलाहकार सरताज अज़ीज़ ने दिया था. ये उसी दिशा में आधिकारिक क़दम है. हालांकि ये न्योता तब दिया गया है जब भारत ये साफ कर चुका है कि कश्मीर पर पाकिस्तान से कोई बात होगी तो वो पीओके पर होगी.
विदेश कार्यालय के प्रवक्ता नफीस जकारिया ने एक बयान में कहा कि भारतीय उच्चायुक्त गौतम बम्बावाले को बातचीत के लिए एक पत्र सौंपने की खातिर बुलाया गया था. जकारिया ने कहा, ‘‘विदेश सचिव ने भारतीय उच्चायुक्त को सोमवार दोपहर बाद (15 अगस्त 2016) को बुलाया और उन्हें अपने भारतीय समकक्ष के लिए एक पत्र सौंपकर उन्हें भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद के मुख्य विषय जम्मू कश्मीर मुद्दे पर बातचीत के लिए पाकिस्तान आने का निमंत्रण दिया.’’ दोनों देशों के बीच इस मुद्दे पर वाकयुद्ध को लेकर द्विपक्षीय संबंधों में तनाव के बीच यह आमंत्रण दिया गया है.
बयान के अनुसार, ‘‘पत्र में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्तावों के अनुरूप, जम्मू कश्मीर विषय के हल के लिए दोनों देशों भारत और पाकिस्तान के अंतरराष्ट्रीय कर्तव्य को रेखांकित किया गया है.’’ विदेश मामलों में पाकिस्तान के सलाहकार ने पिछले हफ्ते कहा था कि इसी महीने संपन्न पाकिस्तान दूतों के सम्मेलन में सहमति बनी थी कि पाकिस्तान भारत के साथ बातचीत पर जोर देगा.
इस आमंत्रण के कुछ दिन पहले ही केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कश्मीर के मुद्दे पर संसद को संबोधित किया था और कहा था कि भारत सिर्फ पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) पर बातचीत का इच्छुक है तथा इस्लामाबाद के साथ जम्मू कश्मीर के बारे में बातचीत करने का सवाल ही नहीं उठता.
भारत ने वास्तव में पाकिस्तान के प्रस्ताव को खारिज कर दिया कि वह जम्मू कश्मीर पर बातचीत के लिए भारत को आमंत्रित करेगा. भारत ने स्पष्ट किया कि वह भारत-पाक संबंधों में ‘‘समकालीन और प्रासंगिक’’ मुद्दों पर ही बात करेगा.
आतंकवादी बुरहान वानी के एनकाउंटर में मारे जाने को बाद से कश्मीर में हिंसा भड़की और लगातार तनाव बना हुआ है. इसका फ़ायदा उठाने की कोशिश में पाकिस्तान लगातार अलग-अलग तरह से कश्मीर के मामले को तूल देने की कोशिश में जुटा है.
इससे पहले वो कश्मीर में राहत सामग्री भेजने का प्रस्ताव रख चुका है जिसे भारत ने यह कहते हुए सिरे से ख़ारिज कर दिया कि पाकिस्तान से भारत और इस क्षेत्र के देशों में आतंकवाद, सीमापार घुसपैठ, नशीली दवाओं की तस्करी और जाली नोट के रूप में पाकिस्तान के ट्रेडमार्क वाले बहुत सी चीज़ों को पर्याप्त रूप में हासिल कर चुका है.
(साथ में इनपुट भाषा से...)
असल में यही बयान विदेश मामलों पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ के सलाहकार सरताज अज़ीज़ ने दिया था. ये उसी दिशा में आधिकारिक क़दम है. हालांकि ये न्योता तब दिया गया है जब भारत ये साफ कर चुका है कि कश्मीर पर पाकिस्तान से कोई बात होगी तो वो पीओके पर होगी.
विदेश कार्यालय के प्रवक्ता नफीस जकारिया ने एक बयान में कहा कि भारतीय उच्चायुक्त गौतम बम्बावाले को बातचीत के लिए एक पत्र सौंपने की खातिर बुलाया गया था. जकारिया ने कहा, ‘‘विदेश सचिव ने भारतीय उच्चायुक्त को सोमवार दोपहर बाद (15 अगस्त 2016) को बुलाया और उन्हें अपने भारतीय समकक्ष के लिए एक पत्र सौंपकर उन्हें भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद के मुख्य विषय जम्मू कश्मीर मुद्दे पर बातचीत के लिए पाकिस्तान आने का निमंत्रण दिया.’’ दोनों देशों के बीच इस मुद्दे पर वाकयुद्ध को लेकर द्विपक्षीय संबंधों में तनाव के बीच यह आमंत्रण दिया गया है.
बयान के अनुसार, ‘‘पत्र में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्तावों के अनुरूप, जम्मू कश्मीर विषय के हल के लिए दोनों देशों भारत और पाकिस्तान के अंतरराष्ट्रीय कर्तव्य को रेखांकित किया गया है.’’ विदेश मामलों में पाकिस्तान के सलाहकार ने पिछले हफ्ते कहा था कि इसी महीने संपन्न पाकिस्तान दूतों के सम्मेलन में सहमति बनी थी कि पाकिस्तान भारत के साथ बातचीत पर जोर देगा.
इस आमंत्रण के कुछ दिन पहले ही केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कश्मीर के मुद्दे पर संसद को संबोधित किया था और कहा था कि भारत सिर्फ पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) पर बातचीत का इच्छुक है तथा इस्लामाबाद के साथ जम्मू कश्मीर के बारे में बातचीत करने का सवाल ही नहीं उठता.
भारत ने वास्तव में पाकिस्तान के प्रस्ताव को खारिज कर दिया कि वह जम्मू कश्मीर पर बातचीत के लिए भारत को आमंत्रित करेगा. भारत ने स्पष्ट किया कि वह भारत-पाक संबंधों में ‘‘समकालीन और प्रासंगिक’’ मुद्दों पर ही बात करेगा.
आतंकवादी बुरहान वानी के एनकाउंटर में मारे जाने को बाद से कश्मीर में हिंसा भड़की और लगातार तनाव बना हुआ है. इसका फ़ायदा उठाने की कोशिश में पाकिस्तान लगातार अलग-अलग तरह से कश्मीर के मामले को तूल देने की कोशिश में जुटा है.
इससे पहले वो कश्मीर में राहत सामग्री भेजने का प्रस्ताव रख चुका है जिसे भारत ने यह कहते हुए सिरे से ख़ारिज कर दिया कि पाकिस्तान से भारत और इस क्षेत्र के देशों में आतंकवाद, सीमापार घुसपैठ, नशीली दवाओं की तस्करी और जाली नोट के रूप में पाकिस्तान के ट्रेडमार्क वाले बहुत सी चीज़ों को पर्याप्त रूप में हासिल कर चुका है.
(साथ में इनपुट भाषा से...)
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