अमेरिकी बंदूक से भारतीय जमीन पर नापाक हरकतों को अंजाम देने की फिराक में पाक आतंकी

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सुरक्षाबलों ने जैश-ए-मोहम्मद के तीन आतंकियों को मार गिराया है.

अमेरिकी बंदूक से भारतीय जमीन पर नापाक हरकतों को अंजाम देने की फिराक में पाक आतंकी

पाक आतंकी के पास मिले अमेरिकी गन

खास बातें

  • एम 4 गन एक मिनट में 700 से 950 गोलियां दाग सकती है.
  • आतंकियों के पास से मिली ये अमेरिकी गन.
  • अफगानिस्तान में नाटो के सैनिक भी यही गन इस्तेमाल करते हैं.
नई दिल्ली:

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सुरक्षाबलों ने जैश-ए-मोहम्मद के तीन आतंकियों को मार गिराया है. खास बात ये है कि इनमें से एक आतंकी जैश के प्रमुख मसूद अजहर का भतीजा तलहा रशीद  भी है.  उसके पास से अमेरिकी बंदूक मिली है, जो ज्यादा चिंता की बात है. जानकारों के मुताबिक, एम 4 गन का इस्तेमाल कश्मीर में पहली बार हो रहा है. ये अमेरिकी गन है, जो पाक सेना इस्तेमाल करती है. अफगानिस्तान  में नाटो के सैनिक भी यही गन इस्तेमाल करते हैं. भारत में भी स्पेशल फोर्सेज के जवान इस गन का इस्तेमाल करते हैं.  
 
एम 4 गन एक मिनट में 700 से 950 गोलियां दाग सकती है
ये गन एक मिनट में 700 से 950 गोलियां दाग सकती हैं. यानी हर संकेड कम से कम 11 से 15 गोलियां.  इसकी रेंज भी करीब आधे किलोमीटर तक की है.  करीब साढ़े तीन किलो वजन के हिसाब से ये हल्की गन है, पर गोलियों के साथ इसका वजन दोगुना हो जाता है. कश्मीर पुलिस के आईजी मुनीर खान ने कहा कि यह राइफल सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुई थी जो आतंकियों के पास पाक से आई है. इसको लेकर आतंकी तस्वीर खिचवाते हैं जो दिखने में भारी भरकम लगता है. सुरक्षाबलों की मानें तो कश्मीर में ये हथियार अफगानिस्तान के रास्ते से आए हैं. 

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घाटी में दाखिल आतंकियों के पास से मिला ये गन
सेना के विक्टर फोर्स के जीओसी मेजर जनरल बीएस राजू की मानें तो बीते कुछ सालों में कश्मीर में अमेरिका में बने कोई हथियार आतंकियों से बरामद होने का यह पहला मामला है. इस तरह के कुछ हथियार और भी हो सकते हैं. यह हथियार बीते कुछ समय के दौरान कश्मीर में दाखिल हुए आतंकियों के पास ही हैं. मेजर जनरल के. राजू के मुताबिक, एम 4 जैसे हथियारों की आतंकियों के पास मौजूदगी से उनकी मारक क्षमता नहीं बढ़ने वाली है ऐसे हथियारों को चलाने की ट्रेनिंग, रख-रखाव और इनमें इस्तेमाल होने वाले कारतूस एसाल्ट राइफलों से पूरी तरह अलग हैं. यह एसाल्ट राइफल से लंबी होती है. इसे ले जाना, छिपाना और चलाना भी आसान नहीं है. यह एसाल्ट राइफल की तरह ज्यादा मारक और सुविधाजनक नहीं है.

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एम-4 गन सिर्फ अमेरिका में बनती हैं
वैसे कश्मीर में आतंक का का पसंदीदा हथियार तो एके 47 ही है लेकिन अमेरिकी बंदूक का वहां मिलना इस बात का इशारा है कि आतंकियों के लिए हथियारों की सुलभता बढ़ी है. ये अमेरिकी गन छोटी भी है और असरदार भी. इसकी गोलियां भी हर जगह नहीं मिलती. एके 47 रायफलें रूस, चीन, भारत हर जगह बनती हैं, जबकि एम-4 अब तक सिर्फ अमेरिका में बनती रही है.  एके 47 का वजन साढ़े चार किलो है. इसकी रेंज करीब 350 मीटर है. एके 47 की गोली हर जगह आसानी से मिल जाती है. 

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वैसे दोनों गन एम 4 और एके 47, 60 के दशक की गन है. दोनों करीबी लड़ाई के लिए आदर्श हैं.  एक अमेरिकी गन है तो दूसरी रूसी. बेशक, एके-47 अब भी आतंकियों की पसंदीदा गन है, लेकिन एम-4 का भी मिलना चिंता की बात है. खासकर इसलिए भी कि वो एक पाक आतंकी के पास मिली है. कश्मीरी आतंकवाद में ये पाक शिरकत का एक और अहम सबूत है. 


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