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4 years ago
नई दिल्ली:

कर्नाटक में ऑक्सीजन सप्लाई को लेकर केंद्र की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस मामले में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड और जस्टिस एम आर शाह की बेंच ने सुनवाई की. कोर्ट ने केंद्र की इस याचिका को खारिज कर दिया. बता दें कि ऑक्सीजन की आपूर्ति को लेकर कर्नाटक हाईकोर्ट के ऑर्डर को चुनौती देने केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची है.

दरअसल, कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य को 1200 मीट्रिक टन ऑक्सीजन रोजाना मुहैया कराने को कहा है. लेकिन केंद्र सरकार का कहना है कि अचानक इतनी बड़ी मात्रा में ऑक्सीजन सप्लाई करने को उन्हें समय चाहिए, लिहाज़ा फिलहाल इस आदेश पर स्टे लगाया जाए.

इस याचिका का जिक्र गुरुवार को हो रही दिल्ली ऑक्सीजन संकट की सुनवाई के दौरान किया गया था, तब जस्टिस चंद्रचूड़ ने इसे लिस्ट करने को कहा था.

Supreme Court Hearing on Oxygen Supply Live Updates : 

सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर सारे हाईकोर्ट ने आदेश पास करने शुरू कर दिए, तो मैनेज करना मुश्किल हो जाएगा. केंद्र ने कहा, 'इस मुद्दे को मद्रास, तेलंगाना हाईकोर्ट भी देख रहे हैं, तो फिर हाईकोर्ट्स को ही राज्यों में ऑक्सीजन का वितरण देखने दें. हमारे पास ऑक्सीजन की मात्रा बहुत कम है, हम साथ में बैठकर बात कर सकते हैं.'
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपनी शक्ति का सोच-समझकर इस्तेमाल किया है और शीर्ष अदालत इसमें दखल देने का इरादा नहीं रखता है. इसपर केंद्र ने कहा कि तो फिर हाईकोर्ट को ही ऑक्सीजन का वितरण करने दें. मद्रास, तेलंगाना सभी हाईकोर्ट आदेश दे रहे हैं. 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 'हम सही मौके पर दखल देंगे. हम कर्नाटक के लोगों को बीच में लटकाकर नहीं रख सकते.'
कोर्ट ने केंद्र की याचिका खारिज की.

दिल्ली की ऑक्सीजन सप्लाई पर टिप्पणी

केंद्र ने कहा कि 'हमें 700 MT ऑक्सीजन दिल्ली को देने के लिए कहा गया है. इसका मतलब रोजाना 700 MT ये हमें कहां ले जा रहा है.' इसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 'हम साफ करना चाहते हैं कि अगले आदेशों तक आपको 700 MT ऑक्सीजन रोजाना दिल्ली को देनी होगी. कृपया हमें ऐसी स्थिति में न ले जाएं, जहां हमें सरकार के खिलाफ कठोर कार्रवाई करनी पड़े.'

सुप्रीम कोर्ट ने दिखाई सख्ती

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा कि 'हम कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश में दखल नहीं देंगे.' जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि 3.95 लाख मामलों पर कर्नाटक के अनुसार 1700 मीट्रिक टन आवश्यकता है. 1100 मीट्रिक टन न्यूनतम आवश्यकता है.  हाईकोर्ट ने इस मामले में असाधारण कैलिब्रेटिड अभ्यास किया है. हाईकोर्ट इस समय आंख मींच कर नहीं बैठे रह सकता.

कर्नाटक मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू.

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