राज्यसभा के12 सांसदों के निलंबन को 14 दिन हो गए हैं. इस मुद्दे को लेकर विपक्ष ने एकजुट होकर सरकार के खिलाफ हमलावर रुख अख्तियार कर रखा है. मंगलवार को मीडिया से बातचीत के दौरान विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार इस मसले पर विपक्ष की आवाज नहीं सुन रही है. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने इस दौरान कहा, 'यह व्यक्तिगत प्रतिष्ठा की नहीं, संसदीय गरिमा की लड़ाई है. ये सिर्फ निलंबन वापसी की लड़ाई नहीं है बल्कि संसदीय लोकतंत्र की बहाली की लड़ाई है.'लखीमपुर खीरी के मुद्दे पर, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, 'किसानों को एक मंत्री ने मारा. मोदीजी मीडिया के सामने गंगा नहाते हैं लेकिन किसी और की तस्वीर नहीं आती.'
डीएमके सांसद त्रिची शिवा ने कहा, 'सरकार मुद्दों पर डिबेट नहीं होने दे रही. तीन चार मुद्दे हैं जिनका नाम भी नहीं लेने दे रही. पीएम खुद सदन में नहीं आतेसरकार विपक्ष का दबा कर और डरा कर रखना चाहती है. शिवसेना के सांसद संजय राउत ने कहा, 'हर सांसद को सदन में आने का हक़ है. सरकार बहुत सख़्त रवैया अपना रही है.बहुत ही अलोकतांत्रिक रवैया है.निलंबित सांसद इस ठंड में भी गांधी प्रतिमा पर बैठते हैं.'
तृणमूल कांग्रेस की सांसद डोला सेन ने कहा कि किसानों के मुद्दे पर सरकार हमारी सुनने को तैयार नहीं है. निलंबन सरकार के हाथ में है तो वापसी भी सरकार के हाथ में है. आज हम गांधी प्रतिमा से चल कर यहां तक आए हैं, हम लड़ते रहेंगे, न डरेंगे और न पीछे हटेंगे. समाजवादी पार्टी के सांसद निषाद ने कहा, 'मोदी सरकार 303 के घमंड में है इसलिए वो विपक्ष को आवाज़ उठाने नहीं देती.' तंज के भाव में उन्होंने कहा कि ‘मोदी है तो मुमकिन है' इसलिए पिछले सत्र का सस्पेंशन इस सत्र में आ गया, लेकिन हम लड़ते रहेंगे. आरजेडी के सांसद मनोज झा ने कहा, 'पूरे देश में अघोषित इमरजेंसी है. हम दलित किसान के मुद्दे को उठाने का काम करते हैं लेकिन ये सरकार उठाने नहीं देती. बुंदेलखंड में इस ठंड में किसान बैठे हुए हैं लेकिन सरकार ध्यान नहीं दे रही.'
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