आलोक वर्मा के सीबीआई डायरेक्टर पद से हटाए जाने के सिलेक्शन कमेटी के फैसले के बाद जस्टिस एके सीकरी पहली बार कैमरे के सामने आए. रविवार को ही जस्टिस सीकरी ने मार्च में अपने रिटायरमेंट के बाद कामनवेल्थ ट्रिब्यूनल में जाने के सरकार के आफर को ठुकरा दिया. लेकिन अब विपक्ष सवाल सीवीसी की जांच पर उठा रहा है.
सोमवार को जस्टिस एके सीकरी ने खुद को बस किताब तक सीमित रखा. जिन्हें उम्मीद थी कि वे हाल के विवाद पर कुछ कहेंगे, वे मायूस हुए. लेकिन आलोक वर्मा को हटाने पर विवाद ख़त्म नहीं हुआ है.
आलोक वर्मा के खिलाफ सीवीसी जांच की निगरानी कर रहे जस्टिस एके पटनायक के बयान का हवाला देते हुए सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने NDTV से कहा कि सीवीसी को हटाया जाना चाहिए. येचुरी ने कहा "मुझे लग रहा है कि सीवीसी को अब हटाना चाहिए क्योंकि उन्होंने पूरे मामले को सरकार के हिसाब से तय किया. उनका सीवीसी के पद पर बने रहना उचित नहीं है. सीवीसी को पहले हटाया जाना चाहिए और फिर उन पर कार्रवाई होनी चाहिए, कि क्या रहा उनका रोल इस पूरे केस में.
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कांग्रेस पहले से ही सीवीसी की जांच की निष्पक्षता पर सवाल उठा रही है. लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, "इस सरकार में निष्पक्ष जांच संभव नहीं है...सीवीसी का काम आर्बिट्रेट करने का नहीं है." जबकि बीजेपी के सांसद औरक प्रवक्ता जीवीएल नरसिंह राव ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के बड़े नेता अगस्ता वेस्टलैंड जैसे मामलों में उनके खिलाफ चल रही सीबीआई जांच से घबराकर इस तरह से बौखलाए हुए हैं.
VIDEO : जस्टिस सीकरी ने अंतरराष्ट्रीय ट्रिब्यूनल से नाम वापस लिया
इस राजनीतिक वाद-विवाद से साफ है कि ये विवाद जल्दी खत्म होगा, फिलहाल इसके आसार दिखाई नहीं दे रहे.
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