
नई दिल्ली:
केंद्र की मोदी सरकार को एक साल पूरा होने को है और पीएम सहित तमाम मंत्री सरकार की उपलब्धियां गिना रहे हैं। वहीं विपक्ष मोदी सरकार को नाकाम बता रहा है। सरकार पर सबसे ज्यादा हमले तो मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस की ओर से हो रहे हैं।
आनंद शर्मा

कपिल सिब्बल

पूर्व कानून मंत्री ने केंद्रीय वित्त मंत्री मंत्री अरुण जेटली को बड़बोला बताया। उन्होंने कहा, 'बड़ी-बड़ी बातें करते हैं जेटली साहब.. वह कहते हैं कि उन्होंने मुद्रास्फीति पर काबू पाया है। मैं जेटली से पूछना चाहूंगा कि क्या आप कभी नॉर्थ ब्लॉक की पहली मंजिल से बाहर निकले हैं? क्या आप बाजार गए हैं? नॉर्थ ब्लॉक में बैठने वाला शख्स बाजार के बारे में क्या जाने।'
सिब्बल ने कहा, 'उन्होंने 'साल एक, काम अनेक' का नारा दिया, लेकिन हकीकत में यह है साल एक, बातें अनेक।' काम सब हवा में है। हम जमीन पर काम नहीं देखते। क्या आप देखते हैं।' उन्होंने कहा, 'पिछले एक साल में मोदी 53 दिन विदेश यात्रा पर रहे और भारत की 48 दिन की यात्रा की। किसी भी प्रधानमंत्री ने विदेश यात्रा पर रहते हुए कभी भारत की आलोचना नहीं की, लेकिन मोदी ने ऐसा किया।'
ए.के. एंटनी

सलमान खुर्शीद

पूर्व विदेश मंत्री ने कहा, 'सत्ता में आने के पूर्व मोदी कहा करते थे कि सीमा पर भारत के एक नागरिक का सिर कलम होने पर हम पाकिस्तान का आठ सिर कलम करेंगे। क्या वे अभी युद्धविराम के बावजूद पाकिस्तान द्वारा किए जा रहे भारतीयों के कलम किए सिर को गिन रहे हैं।'
जयराम रमेश

पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने कहा, 'मोदी लोकतांत्रिक भारत की हत्या का संकेत देते हैं और अधिकतम शासन अधिकतम अहंकार बन गया है और न्यूनतम सरकार एक व्यक्ति की सरकार बन गई है।'
उन्होंने कहा, 'रक्षा खर्च को कम करना, लगातार संघर्ष विराम उल्लंघन, भारतीय भूभाग में पाकिस्तानी और चीनी घुसपैठ और 'वन रैंक वन पेंशन योजना' पर कोई फैसला नहीं करना इसकी दिलचस्पी के अभाव को दर्शाता है।'
दिग्विजय सिंह

कांग्रेस महासचिव ने कहा, 'मोदी सरकार एक के बाद एक यूपीए सरकार की नीतियों का जिस तरह से अनुसरण कर रही है उसे देखते हुए उसे एनडीए सरकार की बजाय यूपीए-3 सरकार कहना ज्यादा सही होगा।'
दिग्विजय सिंह ने कहा, 'एक साल में मोदी सरकार ने 56 इंच वाले सीने से जो उपलब्धियां गिनाई हैं, उनमें से एक भी उपलब्धि उनकी नहीं है। मोदी जी हमेशा मैक्सिमम गवर्मेंट, मिनिमम गवर्नेंस का नारा देते हैं और उन्होंने इसे साबित कर दिया है, क्योंकि गवर्मेंट मिनिमम होकर महज पीएमओ तक सीमित हो गई है। पहले पीएम ही सबकुछ तय नहीं करते थे सब मिलकर तय करते थे, अब गृहमंत्री को सूचना भेजी जाती है कि फलां काम किया गया है। सेक्रेटरी सीधे चीफ सेक्रेटरी से काम कराता है और गृहमंत्री मायूसी से देखते रहते हैं।'
आनंद शर्मा

- खाड़ी के देशों से इन्होंने हमारे संबंध खराब किए।
- इबोला वायरस का हवाला देकर यूरोपियन यूनियन के साथ 2014 का समिट रद्द किया।
- नेपाल में भूकंप के बाद 'भारत सबसे पहले पहुंचा' कहने से नेपाल में भावनाएं आहत हुईं।
- सुनामी के वक्त भारतीय नौसेना सबसे पहले इंडोनेशिया पहुंची, पर ये बोलने की बात नहीं है।
- पिछले एक साल में निवेश गिरा है।
- कच्चे तेल के दाम गिरने के बावजूद पेट्रोल-डीजल महंगे हैं।
- विदेशों में मोदी-मोदी के नारे लगाने के लिए आरएसएस के लोग पहले से पहुंच जाते हैं। ऑस्ट्रेलियाई या अमेरिकी राष्ट्रपति चाहते तो ज्यादा नारे लगवा सकते थे।
- मोर्केल के सामने कहा, 'भारत अब भीख नहीं मांगेगा' कब भीख मांगी? ये देश का अपमान है।
- पीएयू को बीमार रखकर प्राइवेट कंपनियों के साथ समझौते कराए। सरकार खंडन करे तो कांग्रेस सबूत देगी।
- राफेल डील में एचएएल को बाहर रखा और ये राष्ट्रहित में नहीं है।
- आरोप लगाने के पहले अपनी गिरेबान में झांककर देखें। अगर बहुत मजबूत और प्रभावशाली प्रधानमंत्री आ गए हैं तो क्यों कई सारे महत्वपूर्ण पद खाली हैं?
- CIC, CVC आदि की नियुक्ति नहीं की गई।
- भ्रष्टाचार की बात करते हैं तो हुडको, येदियुरप्पा, बेंगलुरु, कॉफिन, बेल्लारी की बात करनी होगी।
- GST हम लेकर आए थे तो मोदी ने विरोध किया था। इसमें जो बदलाव किए गए हैं वो ठीक नहीं हैं।
- 87 फीसदी जनधन खातों में कोई ट्रांजेक्शन नहीं हुई।
- एक साल पहले वादों की सुनामी और सपनों की बौछार कर सत्ता हासिल की। पिछला एक साल वादाख़िलाफ़ी का साल रहा।
कपिल सिब्बल

पूर्व कानून मंत्री ने केंद्रीय वित्त मंत्री मंत्री अरुण जेटली को बड़बोला बताया। उन्होंने कहा, 'बड़ी-बड़ी बातें करते हैं जेटली साहब.. वह कहते हैं कि उन्होंने मुद्रास्फीति पर काबू पाया है। मैं जेटली से पूछना चाहूंगा कि क्या आप कभी नॉर्थ ब्लॉक की पहली मंजिल से बाहर निकले हैं? क्या आप बाजार गए हैं? नॉर्थ ब्लॉक में बैठने वाला शख्स बाजार के बारे में क्या जाने।'
सिब्बल ने कहा, 'उन्होंने 'साल एक, काम अनेक' का नारा दिया, लेकिन हकीकत में यह है साल एक, बातें अनेक।' काम सब हवा में है। हम जमीन पर काम नहीं देखते। क्या आप देखते हैं।' उन्होंने कहा, 'पिछले एक साल में मोदी 53 दिन विदेश यात्रा पर रहे और भारत की 48 दिन की यात्रा की। किसी भी प्रधानमंत्री ने विदेश यात्रा पर रहते हुए कभी भारत की आलोचना नहीं की, लेकिन मोदी ने ऐसा किया।'
ए.के. एंटनी

- मोदी सरकार का एक साल का प्रदर्शन देखते हुए मैं बेहिचक कह सकता हूं कि सरकार ने देश की सुरक्षा के साथ समझौता किया है।
- माउंटेन स्ट्राइक कॉर्प्स का साइज कम कर दिया, जबकि चीन तेजी से डिफेंस इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार कर रहा है। सेना के यह कहने पर ही कॉर्प्स का गठन किया था कि वह चीन की चुनौती का सामना करने में मुश्किल महसूस कर रही है। यह बीजेपी सरकार की ऐंटी-नेशनल ऐक्टिविटी है।
- फ्रांस से राफेल विमान खरीद पर सरकार खुलकर कहे कि वह अपने रुख से पलट रही है।
- हमने पूर्व सैन्यकर्मियों की पेंशन 3 बार बढ़ाई थी। उस समय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने अप्रैल 2014 से इसे लागू करने की घोषणा की थी, राहुल गांधी ने भी इसमें अहम भूमिका निभाई।
- राफेल विमान खरीद के सिलसिले में यूपीए सरकार के दौरान यशवंत सिन्हा जैसे बीजेपी नेताओं और कई अन्य सांसदों ने इस पर सवाल खड़े किए थे। हमारे पास इन विमानों को लेकर बहुत सी शिकायतें आई थीं।
सलमान खुर्शीद

पूर्व विदेश मंत्री ने कहा, 'सत्ता में आने के पूर्व मोदी कहा करते थे कि सीमा पर भारत के एक नागरिक का सिर कलम होने पर हम पाकिस्तान का आठ सिर कलम करेंगे। क्या वे अभी युद्धविराम के बावजूद पाकिस्तान द्वारा किए जा रहे भारतीयों के कलम किए सिर को गिन रहे हैं।'
जयराम रमेश

पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने कहा, 'मोदी लोकतांत्रिक भारत की हत्या का संकेत देते हैं और अधिकतम शासन अधिकतम अहंकार बन गया है और न्यूनतम सरकार एक व्यक्ति की सरकार बन गई है।'
उन्होंने कहा, 'रक्षा खर्च को कम करना, लगातार संघर्ष विराम उल्लंघन, भारतीय भूभाग में पाकिस्तानी और चीनी घुसपैठ और 'वन रैंक वन पेंशन योजना' पर कोई फैसला नहीं करना इसकी दिलचस्पी के अभाव को दर्शाता है।'
दिग्विजय सिंह

कांग्रेस महासचिव ने कहा, 'मोदी सरकार एक के बाद एक यूपीए सरकार की नीतियों का जिस तरह से अनुसरण कर रही है उसे देखते हुए उसे एनडीए सरकार की बजाय यूपीए-3 सरकार कहना ज्यादा सही होगा।'
दिग्विजय सिंह ने कहा, 'एक साल में मोदी सरकार ने 56 इंच वाले सीने से जो उपलब्धियां गिनाई हैं, उनमें से एक भी उपलब्धि उनकी नहीं है। मोदी जी हमेशा मैक्सिमम गवर्मेंट, मिनिमम गवर्नेंस का नारा देते हैं और उन्होंने इसे साबित कर दिया है, क्योंकि गवर्मेंट मिनिमम होकर महज पीएमओ तक सीमित हो गई है। पहले पीएम ही सबकुछ तय नहीं करते थे सब मिलकर तय करते थे, अब गृहमंत्री को सूचना भेजी जाती है कि फलां काम किया गया है। सेक्रेटरी सीधे चीफ सेक्रेटरी से काम कराता है और गृहमंत्री मायूसी से देखते रहते हैं।'
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