यह ख़बर 20 मई, 2012 को प्रकाशित हुई थी

पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सरकार के एक साल पूरे, क्या खोया-क्या पाया...

खास बातें

  • 'मां, माटी, मानुष' का नारा देते हुए ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में एक साल पहले 34 साल तक सत्ता पर काबिज रहे लेफ्ट को बाहर का रास्ता दिखा दिया था।
कोलकाता:

पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस की सरकार ने आज एक साल पूरा कर लिया है। 'मां, माटी मानुष' का नारा देते हुए उन्होंने एक साल पहले 34 साल तक सत्ता पर काबिज रहे लेफ्ट को बाहर का रास्ता दिखा दिया था।

ममता ने परिवर्तन का नारा दिया था...और परिवर्तन के लिए चाहिए पैसा। ममता का कहना है कि राज्य का खजाना खाली है, दो लाख करोड़ रुपये का घाटा है। इस मामले पर केंद्र से भी उनका टकराव बना हुआ है। वह लंबे समय से स्पेशल पैकेज की मांग कर रही थीं और आखिरकार वह करीब 16 फीसदी ज्यादा आर्थिक मदद लेने में कामयाब भी रही हैं।

ममता को दूसरी बड़ी कामयाबी माओवादियों से निपटने में मिल रही है। हालांकि उन पर ये आरोप भी लगता रहा है कि वह माओवादियों की ताकत से चुनाव में जीतती आई हैं, लेकिन ममता के आने के बाद माओवादी राज्य में कमजोर पड़े हैं। किशन जी से लेकर शशिधर महतो तक मारे गए हैं। हाल ही में ममता ने यह भी दावा किया है कि जंगल महल में भी सरकार का नियंत्रण है।

पिछले एक साल के दौरान ममता कई विवादों में भी घिरी रही हैं। उनका कार्टून बनाने वाले प्रोफेसर को उन्होंने जिस तरह प्रताड़ित किया, उसकी काफी तीखी आलोचना हुई है। कोलकाता में हुए एक रेप केस को उन्होंने सीपीएम की साजिश बताकर भी सबको हैरान कर दिया था। इस दौरान पश्चिम बंगाल के अस्पतालों की बदहाली और वहां मरीजों की मौत की घटनाएं भी लगातार होती रही हैं। एएमआरआई अस्पताल में लगी आग के दौरान भी उनकी सरकार के तौर-तरीकों पर सवाल उठे थे।

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सिंगूर से टाटा को हटाने वाली ममता बनर्जी अपनी सरकार के एक साल होने के बाद भी सिंगूर के किसानों को जमीन वापस नहीं लौटा पाई हैं. और अब वह किसानों को वजीफा देने की बात कर रही हैं। ममता ने ऐलान किया है कि जब तक सिंगूर के लोगों को उनकी जमीन वापस नहीं मिलती, तब तक जो किसान जमीन नहीं देना चाह रहे थे, उन्हें एक-एक हजार रुपये हर महीने दिया जाएगा। ममता बनर्जी ने कहा है कि मेरे लिए दुख की बात ये है कि मैं अभी तक सिंगूर के किसानों की जमीन वापस नहीं दे पाई हूं।