नई दिल्ली:
वन रैंक वन पेंशन को लेकर दिल्ली के जंतर मंतर पर चल रही पूर्व सैनिकों की भूख हड़ताल पिछले दस दिन से जारी है लेकिन अभी तक सरकार का कोई नुमाइंदा इनसे मिलने नहीं आया और ना ही विपक्ष इसे मुद्दा बना रहा है।
दिल्ली के जंतर मंतर के साथ-साथ देश में कई जगहों पर वन रैंक वन पेंशन के मुद्दे पर आमरण अनशन पर बैठे हैं पूर्व सैनिक। जंतर मंतर पर ही धरने पर बैठे हैं हरियाणा के रेवाड़ी के सुबेदार सीता राम। जिन्होंने 1962, 1965 और 1971 की लड़ाई लड़ी है।
सेना से 1983 में रिटायर हुए सुबेदार सीता राम कहते हैं, 'हमनें तीन लड़ाईयां लड़ी हैं और जैसे लगता है हम भीख मांगने आये हैं।' सीताराम के साथ धरने पर बैठे हैं सुबेदार मेजर राम नाथ। इन्होंने ने भी तीनों लड़ाई लड़ी है, कहते हैं, 'नेता लोग इसे मुद्दा नहीं बना रहे हैं क्योंकि सैनिक भ्रष्टाचार जैसी चीजों से दूर रहते हैं।' साथ ही वो ये भी कहते हैं कि हम भ्रष्ट लोग तो हैं नहीं इसलिए वो हमारे मुद्दे को अपना मुद्दा नहीं बना रहे हैं।
सरकार के रवैये से नाराज होकर पूर्व सैनिकों ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर उनके वायदे की याद दिलाई है। ऑल इंडिया एक्स सर्विसमेन वेलफेयर एसोसियेशन के चैयरमेन लेफ्टिनेंट कर्नल इन्द्रजीत सिंह कहते हैं, 'हमनें तो प्रधानमंत्री से यही कहा है कि आपने जो सियाचिन में सैनिकों के बीच जाकर वन रैंक वन पेंशन देने का वायदा किया था उसे आप पूरा कीजिए।
पूर्व सैनिकों का दुख इस बात को लेकर भी है कि किसी भी राजनीतिक दल को इस बात की कोई फिक्र नहीं है पिछले दस दिनों से पूर्व सैनिक भुख हड़ताल पर बैठे हैं। सैनिक ये भी कहने से नहीं चूकते हैं कि वे अनुशासन के साथ अनशन कर रहे हैं तो सरकार इसे उनकी कमजोरी ना समझे। आज अगर देश में मोदी सरकार बनी है तो इसके पीछे पूर्व सैनिकों का बहुत बड़ा योगदान है। अगर वो सरकार बना सकते हैं तो गिरा भी सकते हैं। देश भर में करीब 25 लाख पूर्व सैनिक हैं जो कई इलाकों में काफी असर रखते हैं।
दिल्ली के जंतर मंतर के साथ-साथ देश में कई जगहों पर वन रैंक वन पेंशन के मुद्दे पर आमरण अनशन पर बैठे हैं पूर्व सैनिक। जंतर मंतर पर ही धरने पर बैठे हैं हरियाणा के रेवाड़ी के सुबेदार सीता राम। जिन्होंने 1962, 1965 और 1971 की लड़ाई लड़ी है।
सेना से 1983 में रिटायर हुए सुबेदार सीता राम कहते हैं, 'हमनें तीन लड़ाईयां लड़ी हैं और जैसे लगता है हम भीख मांगने आये हैं।' सीताराम के साथ धरने पर बैठे हैं सुबेदार मेजर राम नाथ। इन्होंने ने भी तीनों लड़ाई लड़ी है, कहते हैं, 'नेता लोग इसे मुद्दा नहीं बना रहे हैं क्योंकि सैनिक भ्रष्टाचार जैसी चीजों से दूर रहते हैं।' साथ ही वो ये भी कहते हैं कि हम भ्रष्ट लोग तो हैं नहीं इसलिए वो हमारे मुद्दे को अपना मुद्दा नहीं बना रहे हैं।
सरकार के रवैये से नाराज होकर पूर्व सैनिकों ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर उनके वायदे की याद दिलाई है। ऑल इंडिया एक्स सर्विसमेन वेलफेयर एसोसियेशन के चैयरमेन लेफ्टिनेंट कर्नल इन्द्रजीत सिंह कहते हैं, 'हमनें तो प्रधानमंत्री से यही कहा है कि आपने जो सियाचिन में सैनिकों के बीच जाकर वन रैंक वन पेंशन देने का वायदा किया था उसे आप पूरा कीजिए।
पूर्व सैनिकों का दुख इस बात को लेकर भी है कि किसी भी राजनीतिक दल को इस बात की कोई फिक्र नहीं है पिछले दस दिनों से पूर्व सैनिक भुख हड़ताल पर बैठे हैं। सैनिक ये भी कहने से नहीं चूकते हैं कि वे अनुशासन के साथ अनशन कर रहे हैं तो सरकार इसे उनकी कमजोरी ना समझे। आज अगर देश में मोदी सरकार बनी है तो इसके पीछे पूर्व सैनिकों का बहुत बड़ा योगदान है। अगर वो सरकार बना सकते हैं तो गिरा भी सकते हैं। देश भर में करीब 25 लाख पूर्व सैनिक हैं जो कई इलाकों में काफी असर रखते हैं।
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